Hindi Diwas 2021 :14 सितंबर को पूरा भारत एक बार फिर राष्ट्रीय Hindi Diwas मना रहा है। इस मौके पर याद दिला दें कि जिस देश के संविधान ने देवनागरी लिपि यानी Hindi को तरजीह देते हुए आधिकारिक राजभाषा का दर्जा देकर उसका उत्थान किया।
हिंदी सबसे सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
हिंदी (Hindi) को एक सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए वह एक क्रांतिकारी कदम था। फिर भी देश में अंग्रेजी का वर्चस्व बढ़ता गया। 15 अगस्त, 1947 के दिन जब देश गुलामी की जंजीरों से आजाद हुआ था, तब इस देश में कई भाषाएं और सैकड़ों बोलियां बोलीं जाती थीं। इनमें Hindi सबसे प्रमुख और ज्यादा बोली जाने वाली भाषा थी।
इंटरनेट सर्च से लेकर विभिन्न Social Media Platform पर Hindi का दबदबा बढ़ा है। 2001 की जनगणना के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय अपनी मातृभाषा के रूप में हिंदी का उपयोग करते हैं, जबकि लगभग 42.20 करोड़ लोग इसकी 50 से अधिक बोलियों में से एक का उपयोग करते हैं। Hindi की प्रमुख बोलियों में अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमाउनी, मगधी और मारवाड़ी भाषाएं शामिल हैं।
1949 में मिला था Hindi को राज भाषा का दर्जा
जब संविधान बनने की प्रक्रिया शुरू हुई तो भारत की भाषा क्या हो? इस सवाल को लेकर लंबी चर्चाओं और विमर्श का दौर चला। किसी भी देश की आधिकारिक भाषा, वह हो सकती है, जो राष्ट्र को जोड़ने का काम करे। उस समय अधिकांश रियासतों में Hindi बोली, पढ़ी-लिखी जाती थी। उस दौरान हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने की मांग लगातार उठ रही थी। फिर, 14 सितंबर, 1949 को Hindi को हमारी राज भाषा का दर्जा दिया गया था। भारतकोश के अनुसार, हिंदी की राजभाषा बनाने को लेकर संसद में तीन दिन 12 सितंबर दोपहर से 14 सितंबर तक दोपहर तक बहस हुई। 13 सितंबर, 1949 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संसद में चर्चा के दौरान तीन प्रमुख बातें कही थीं। उन्होंने कहा था कि किसी विदेशी भाषा से कोई राष्ट्र महान नहीं हो सकता। कोई भी विदेशी भाषा आम लोगों की भाषा नहीं हो सकती। भारत के हित में, भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के हित में, ऐसा राष्ट्र बनाने के हित में जो अपनी आत्मा को पहचाने, जिसे आत्मविश्वास हो, जो संसार के साथ सहयोग कर सके, हमें Hindi को अपनाना चाहिए।
MUST READ : Hindi Diwas 2021 Wishes in Hindi
278 पृष्ठों में छपी थी बहस Why We Celebrate Hindi Diwas
भारतकोश पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, संविधान सभा की भाषा विषयक बहस लगभग 278 पृष्ठों में मुद्रित हुई। इसमें डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी और गोपाल स्वामी आयंगार की अहम भूमिका रही थी। आखिरकार, अधिकतर सदस्यों ने देवनागरी लिपि को ही स्वीकार किया। भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में इस प्रकार वर्णित है संघ की राज भाषा Hindi और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतरराष्ट्रीय रूप होगा। वहीं, अंग्रेजी भाषा को आधिकारिक तौर पर 15 वर्ष बाद यानी 1965 तक प्रचलन से बाहर करने था। 26 जनवरी, 1950 को जब हमारा संविधान लागू हुआ था, तब देवनागरी लिपि में लिखी गई Hindi सहित 14 भाषाओं को आधिकारिक भाषाओं के रूप में आठवीं सूची में रखा गया था। संविधान के अनुसार 26 जनवरी 1965 को अंग्रेजी की जगह Hindi को पूरी तरह से देश की राजभाषा बनानी थी और उसके बाद विभिन्न राज्यों और केंद्र को आपस में Hindi में ही संवाद करना था। इसे आसान बनाने के लिए, संविधान ने 1955 और 1960 में राजभाषा आयोगों के गठन का भी आह्वान किया। इन आयोगों को Hindi के विकास पर रिपोर्ट देनी थी और इन रिपोर्टों के आधार पर संसद की संयुक्त समिति द्वारा राष्ट्रपति को इस संबंध में कुछ सिफारिशें करनी थीं।
MUST READ : 15 Best Hindi Diwas Slogans 2021
Hindi Divas 2021 images
शुरू हुआ बवाल और 1963 में हो गया बदलाव
दक्षिण भारत के राज्यों में रहने वाले लोगों को डर था कि हिंदी के आने से वे उत्तर भारतीयों की तुलना में विभिन्न क्षेत्रों में कमजोर स्थिति में होंगे। Hindi विरोधी आंदोलन के बीच वर्ष 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया था, जिसने 1965 के बाद अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा के रूप में प्रचलन से बाहर करने का फैसला पलट दिया था। हालांकि, Hindi का विरोध करने वाले इससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे और उन्हें लगा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू या उनके बाद इस कानून में मौजूद कुछ अस्पष्टताएं फिर से उनके खिलाफ जा सकती हैं। 26 जनवरी, 1965 को, हिंदी देश की आधिकारिक राज भाषा बन गई और इसके साथ-साथ दक्षिण भारत के राज्यों, विशेष रूप से तमिलनाडु (तब मद्रास) में आंदोलन और हिंसा का एक जबरदस्त दौर चला और कई छात्रों ने आत्मदाह तक किया। इसके बाद तत्कालीन लाल बहादुर शास्त्री की कैबिनेट में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहीं इंदिरा गांधी के प्रयासों से इस समस्या का समाधान निकला, जिसके परिणामस्वरूप 1967 में राजभाषा अधिनियम में संशोधन किया गया कि जब तक गैर-हिंदी भाषी राज्य चाहे, तब तक अंग्रेजी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में आवश्यक माना जाए। इस संशोधन के माध्यम से आज तक यह व्यवस्था जारी है।
अंग्रेजी हावी हो गई, Hindi 14 सितंबर तक सीमित
तब से तो कागजी तौर पर तो Hindi राजभाषा बनी रही, लेकिन फली-फूली और समृद्ध होती गई अंग्रेजी भाषा। धीरे-धीरे देश की सरकारी मशीनरी ने हिंदी पर अंग्रेजी को तरजीह देते हुए उसी का चोला ओढ़ लिया। इसके बाद, अंग्रेजी भाषा की सरकारी व्यवस्था आधिकारिक तौर पर पकड़ और मजबूत होती गई और पूरे सिस्टम पर हावी हो गई। जब 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया और इससे संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधान संविधान के भाग-17 में किए गए। इसी ऐतिहासिक महत्व के कारण राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को 1953 से ‘Hindi Diwas’ का आयोजन किया जाता है। इस दिन Hindi के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने के लिए आयोजन किए जाते हैं।