अगले चार दशक तक ईसाई सबसे बड़ा धार्मिक समूह बने रहेंगे, लेकिन इस्लाम की आबादी सबसे तेजी से बढ़ेगी। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वर्ष 2050 तक मुसलमानों की संख्या ईसाइयों के बराबर हो जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2050 तक भारत में हिंदू बहुसंख्यक होंगे लेकिन आने वाले समय में सबसे ज्यादा मुसलमान भारत में रहेंगे।
बता दें इंडोनेशिया सबसे बड़ा इस्लामिक देश है, जहां भारत और बाकी सभी देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा मुसलमान रहते हैं। लेकिन आने वाले समय में ये आंकड़ा बदलने वाला है। प्यू रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2010 से 2050 के बीच मुसलमानों की संख्या में सबसे तेज़ी से वृद्धि होगी। वर्ष 2050 में मुसलमानों की संख्या वर्ष 2010 के मुक़ाबले 73 प्रतिशत बढ़ सकती है।
वहीं, हिंदुओं की संख्या में सिर्फ़ 34 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। ईसाइयों की संख्या हिंदुओं के मुक़ाबले 35 प्रतिशत ज़्यादा बढ़ सकती है।
दरअसल, 2010 में दुनिया की आबादी 6.9 अरब होने का अनुमान लगाया गया था, जो वर्ष 2050 तक 9.3 अरब तक पहुंच सकती है। यानी 2010 के मुकाबले 2050 में दुनिया की कुल आबादी में 35% की वृद्धि होगी। वहीं, वर्ष 2010 में दुनिया में मुसलमानों की आबादी करीब 1.6 अरब थी, जो वर्ष 2050 में बढ़कर 2.76 अरब से भी अधिक हो सकती है। इस तरह अगले कुछ सालों में मुसलमानों की आबादी बढ़कर 1.16 अरब से भी अधिक हो जाएगी।
दुनिया भर में हिंदुओं की आबादी की बात करें तो साल 2010 में यह करीब 1.3 अरब थी, जो साल 2050 तक बढ़कर करीब 1.38 अरब हो जाएगी। ऐसे में आने वाले समय में हिंदुओं की आबादी में करीब 35 करोड़ का इजाफा होने वाला है।
अगर दुनिया की आबादी में हिस्सेदारी के लिहाज से बात करें तो 2010 में 23.2 फीसदी आबादी मुसलमानों की थी, जो 2050 में बढ़कर 29.7 फीसदी हो सकती है। 2010 में दुनिया में 15 फीसदी हिंदू थे, जिनकी आबादी में 0.1 फीसदी की कमी आने वाली है। ऐसे में साल 2050 तक हिंदुओं की आबादी घटकर 14.9 फीसदी रह जाएगी।
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