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कलियुग में अचानक जागा 60 साल पुराना ‘राक्षस’, इन देशों में चुपके से फैलाईं गंदी जड़ें, चौंका देंगे HMPV के ये रहस्य

India News (इंडिया न्यूज), HMPV Virus Outbreak In China: दुनियाभर में एक नहीं बल्कि कई तरह के वायरस फैलते हैं, वायरस खासकर सर्दियों में ही फैलते हैं। वैज्ञानिक इनपर लगातार शोध करते हैं। आज से 23 साल फैले एक वायरस की स्वास्थ्य एक्सपर्ट्स को खबर तो लग गई थी लेकिन उन्होंने उस पर ध्यान नहीं दिया और अब वही वायरस दुनियाभर में तबाही मचाने को तैयार है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं चीन में फैले HMPV वायरस के बारे में। चीन में इन दिनों एचएमपीवी (ह्यूमन मेटापन्यूमोवायरस) वायरस का प्रकोप बढ़ गया है। यह एक श्वसन संबंधी वायरस है जो सर्दी और वसंत के मौसम में तेजी से फैलता है। हालांकि यह वायरस नया नहीं है, लेकिन अब इसकी गंभीरता को लेकर चेतावनियाँ दी जा रही हैं, क्योंकि इसके कारण सर्दी-खांसी जैसी आम बीमारियाँ हो रही हैं, और लाखों लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इस वायरस पर समय रहते ध्यान दिया जाता, तो आज इसकी वैक्सीनेशन संभव हो सकती थी, जैसा कोरोना के मामले में हुआ।

एचएमपीवी वायरस क्या है?

एचएमपीवी एक RNA वायरस है, जो न्युमोवायरिडे परिवार के मेटापन्यूमोवायरस क्लास से संबंधित है। यह वायरस श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे खांसी, जुकाम और बुखार जैसे लक्षण सामने आते हैं। यह वायरस विशेष रूप से खांसने और छींकने के दौरान निकलने वाली बूंदों से फैलता है, जिससे संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में आने वाले लोग प्रभावित हो सकते हैं। इस वायरस का असर आमतौर पर सर्दी और वसंत के मौसम में ज्यादा देखा जाता है, जैसे रेस्पिरेटरी सिंकिटियल वायरस और फ्लू के मामले होते हैं। यह वायरस हर साल कई देशों में फैलता है, लेकिन इस बार चीन में इसके फैलने की गति ज्यादा तेज़ हो गई है।

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23 साल पहले खोजा गया था, लेकिन फिर भी वैक्सीन नहीं बन पाई

एचएमपीवी वायरस कोई नया खतरा नहीं है। अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, इस वायरस को पहली बार 2001 में खोजा गया था, लेकिन इसके अस्तित्व के संकेत 1958 से ही मिल रहे थे। इसके बावजूद, वैज्ञानिकों ने इस वायरस को कभी गंभीरता से नहीं लिया, जिससे इसकी वैक्सीनेशन पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया। अगर इस पर पहले ध्यान दिया जाता तो शायद अब तक इसकी वैक्सीन बन चुकी होती।

इस वायरस का संक्रमण तीन से पांच दिनों तक सक्रिय रहता है, और यह किसी भी मौसम में पाया जा सकता है, हालांकि सर्दी और वसंत में इसके फैलने की संभावना ज्यादा होती है। यह मुख्य रूप से खांसने, छींकने और संक्रमित व्यक्ति के साथ निकट संपर्क से फैलता है।

चीन में मची तबाही

चीन में इस वायरस के कारण स्थिति बहुत गंभीर हो गई है। अस्पतालों में भीड़ बढ़ रही है और मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। चीन में लाखों लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं और इसके संक्रमण के कारण आम श्वसन रोग जैसे खांसी, बुखार और गले में खराश की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इसकी वजह से मास्क पहनने का चलन भी वापस लौट आया है, और लोग एक बार फिर सावधानी बरतने लगे हैं।

यह वायरस अब न सिर्फ चीन, बल्कि अन्य देशों में भी फैलने का खतरा बढ़ा रहा है। भारत सरकार भी इस वायरस को लेकर सतर्क हो गई है और लोगों को सलाह दी है कि वे किसी भी संक्रमित व्यक्ति से संपर्क करने से बचें और मास्क पहनने की आदत को अपनाएं।

एचएमपीवी वायरस और कोरोना वायरस में फर्क

एचएमपीवी और कोरोना वायरस दोनों श्वसन संक्रमण पैदा करने वाले वायरस हैं, लेकिन इनकी प्रकृति में फर्क है। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में महामारी का रूप लिया, जबकि एचएमपीवी का प्रकोप आमतौर पर मौसम के साथ जुड़ा हुआ रहता है। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वायरस कोरोना की तरह तेजी से फैल सकता है, अगर इसे न रोका गया तो।

भारत में भी अलर्ट

भारत में अब तक इस वायरस से पीड़ित लोगों के 7 केस सामने आ चुके हैं। भारत में भी इस वायरस का प्रभाव देखने को मिल सकता है, और सरकार ने इस बारे में सावधान रहने की अपील की है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की तरह अगर एचएमपीवी वायरस फैलता है, तो इसके लिए वैक्सीन की आवश्यकता होगी, क्योंकि फिलहाल इस वायरस की कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। चीन में एचएमपीवी वायरस ने जिस तरह से तबाही मचाई है, उसी तरह अगर यह पूरी दुनिया में फैला, तो यह महामारी का रूप ले सकता है। समय रहते अगर वैज्ञानिक इस वायरस पर काम करते, तो शायद इस पर काबू पाया जा सकता था।

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Yogita Tyagi

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