इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
कहा जाता है कि एक समय ऐसा था, जब पृथ्वी पर डायनासोर्स राज करते थे। इस प्रजाति के जीव न सिर्फ शारीरिक रूप से बड़े थे, बल्कि वह अन्य जीवों के मुकाबले काफी खतरनाक और खूंखार थे। लेकिन आज से 6.6 करोड़ साल पहले पृथ्वी से एक क्षुद्रग्रह (Asteroid) टकराया था, जिसके परिणामस्वरूप धरती से डायनासोर्स (Dinosaurs) की प्रजाति खत्म हो गई। इस महाविनाश (Mass Extinction) में पृथ्वी पर मौजूद लगभग 80 फीसदी जीवन पूरी तरह से खत्म हो गया था। ऐसे हालातों में कॉकरोच (Cockroach) एक ऐसा जीव था जिसने विपरीत परिस्थितियों में खुद को जीवित रखने की कला सीख ली थी। अब सवाल ये उठता है कि जब डायनासोर्स खत्म हो गए तो कॉकरोच कैसे बचे रह गए। तो आइए जानते हैं इस बारे में।
महाविनाश में कौन-कौन से जीव बचे थे
सबसे पहले ये जानिए कि 6.6 करोड़ साल पहले मैक्सिको में एक क्षुद्रग्रह (Asteroid) टकराया था, जिसके बाद चिक्सुलब क्रेटर (Chicxulub Impact) बना और इसी वजह से दुनिया का तीन चौथाई जीवन समाप्त हो गया था। इसी विनाश में डायनासोर (Dinosaurs) भी खत्म हो गए। बचे तो केवल वे पक्षी जिनके वंशज आज हमारे बीच हैं। इनके अलावा कुछ एक प्रजातियां बच गई थीं। इनमें एक थे कॉकरोच (Cockroaches)। आज भी लोगों के दिमाग में यह बात आती है कि आखिरकार कॉकरोच (Cockroaches) ने उस विनाश से खुद को कैसे बचाया, जिस तरह से कॉकरोच कैसे बचे रह गए उससे इंसान सबक ले सकते है।
हो गया था तीन चौथाई जीवन समाप्त
- क्षुद्रग्रह के (Asteroid Impact) टकराव से जो महाविनाश (Mass Extinction) हुआ उसमें कई स्थानों पर ज्वालामुखी फटने के कारण वायुमंडल में राख और धुंआ छा गया। ये धुआं और राख इतनी ज्यादा थी कि सूर्य की रोशनी का पृथ्वी तक पहुंच पाना ही संभव न रहा। ऐसे में धीरे धीरे पौधे मरने लगे। इसका परिणाम ये निकला कि पौधों के साथ साथ इन्हें खाने वाले जानवर भी मरने लगे। इसी तरह धीरे धीरे पृथ्वी का तीन चौथाई जीवन ही समाप्त हो गया।
- इस महाविनाश में बड़े बड़े जानवर नहीं बच सके लेकिन कॉकरोच बच गए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कॉकरोच का शरीर बहुत सपाट होता है, यह कोई संयोग नहीं है। इस वजह से ये कॉकरोच खुद को ऐसे जगह पहुंचा सकते हैं जहां बाहरी प्रभाव नहीं पहुंच पाता है। उनकी इसी क्षमता ने उन्हें चिक्सुलब टकराव (Chicxulub Impact) से बचने में मदद की।
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कैसे बचे कॉकरोच
- कहते हैं कि जब टकराव हुआ तो पृथ्वी का तापमान अचानक बढ़ गया। बहुत से जानवरों को कहीं छिपने की जगह तक नहीं मिली लेकिन कॉकरोच गर्मी से बचने के लिए मिट्टी की दरारों में छिप गए जो ऊष्मा से बचने की एक बढ़िया जगह मानी जाती है। एक तरफ जहां महाविनाश में पेड़ पौधों के मरने के बाद खाने के लिए उन पर ही आश्रित जानवर मरने लगे। वहीं कॉकरोच को ऐसी कोई दिक्कत नहीं आई। क्योंकि कॉकरोच सर्वहारी अपमार्जक (omnivorous scavengers) थे। वे पौधों और जानवरों के मरने के बाद के अवशेष भी खाकर जिंदा रह सकते थे और महाविनाश के माहौल में वे खुद को बचाने में सफल भी हो सके।
- एक और बात थी जिसने कॉकरोचों की प्रजाति को बचाए रखा और वो ये कि इनके अंडे बहुत सुरक्षित स्थिति में होते हैं। वे अपने अंडे (Eggs) एक सुरक्षित खोल में देते हैं। अंडों के ये डब्बे सूखे दानों की तरह दिखते हैं जो ओदेका (Oothecae) कहलाते हैं जिसका मतलब अंडों की डिबिया होता है। सख्त से ये अंडों के खोल नुकसान और दूसरे खतरों से अंडों को बचाने का काम करते हैं। कई कॉकरोंचों को महाविनाश के समय इन खोलों में रहने का फायदा भी मिला होगा।
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क्या कॉकरोच से फैलती हैं बीमारियां
- कॉकरोच जमीन पर कहीं भी रह सकते हैं। वे गर्म इलाकों से धरती के सबसे ठंडे कोनों में रह सकते हैं। आज दुनिया में चार हजार प्रजातियां हैं। इन कॉकरोचों में से कई प्रजातियां इंसानों के आसपास मिलती हैं। वे बीमारियां फैला सकते हैं, लेकिन इसके साथ वे एलर्जी फैलने में वाले कण पैदा करते हैं जिससे कई लोगों को अस्थमा और एलर्जी के रिएक्शन जैसी समस्याएं होती है।
- बता दें कि कॉकरोच से निपटना एक मुश्किल काम होता है, जा रहा है क्योंकि वे कीड़े मारने वाली दवाओं के प्रतिरोधक हो गए हैं। बेशक वे आमतौर पर इंसानों को पसंद नहीं आते लेकिन वैज्ञानिकों के लिए वे गहन शोध के विषय भी हैं। उन्हें दबा कर नहीं मारा जा सकता है। हां वे कुचलने पर जरूर खत्म हो जाते हैं, लेकिन वे कैसे रहते हैं। कैसे गतिमान होते हैं उनकी शरीर की बनावट कैसी है ये सब शोध का विषय हैं। वैज्ञानिक उनसे रोबोट डिजाइन के आइडिया सीख रहे हैं। मान लो अगर कभी पृथ्वी फिर किसी क्षुद्रग्रह से टकराने की नौबत आई तो कॉकरोचों से ज्यादा खतरा इंसानों को होगा।
How cockroaches survived the extinction of dinosaurs
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