Hindi News / Indianews / How Powerful Is The 155mm Barrel Gun Which Created Havoc In Pakistan Created New History By Destroying Enemy Bases

कितना ताकतवर है 155MM बैरल गन ? जिसने पाकिस्तान में मचाया कोहराम, दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर रचा नया इतिहास 

अमेरिका के बीएई सिस्टम्स की इस तोप का वजन महज 4200 किलोग्राम है, जिसे चिनूक हेलीकॉप्टर से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसकी रेंज 24-40 किलोमीटर है और एक्सकैलिबर जैसे सटीक गोले दागने पर यह और भी घातक हो जाती है। जम्मू-कश्मीर की ऊंची पहाड़ियों में यह तोप भारतीय सेना का मुख्य हथियार बन गई है।

BY: Divyanshi Singh • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज),Operation Sindoor : पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लांच किया। जिसमें पाकिस्तान में कई आतंकी ठिकानों को बर्बाद कर दिया। कायर पाक ने इसके जवाब  ेमंभारत के रिहायशी इलाकों पर 50 से ज्यादा ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर दिया। जिसके बाद हर कोई एस-400 ट्रायम्फ की तो खूब चर्चा कर रहा है। लेकिन इस बीच उस हथियार का जिक्र नहीं हुआ, जिसने न सिर्फ पाकिस्तान में कोहराम मचा रखा है, बल्कि भारत के पुंछ-राजौरी इलाके का रक्षा कवच भी बन गया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं उस 155 एमएम बैरल गन की, जिसकी गोलाबारी से पिछले दो दिनों से पाकिस्तान में कोहराम मचा हुआ है। पिछले दो दिनों में भारत की 155 एमएम बैरल आर्टिलरी गन ने न सिर्फ पाकिस्तान की उकसावे वाली हरकतों का मुंहतोड़ जवाब दिया है, बल्कि दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर नया इतिहास भी रच दिया है। जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी जैसे संवेदनशील इलाकों में तैनात एटीएजीएस, के9 वज्र, धनुष और एम777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर, आर्टिलरी गन ने अपनी गोलियों की बौछार से पूरे इलाके में अभेद्य सुरक्षा कवच बना दिया है। इन तोपों की मदद से भारतीय सेना ने न केवल पाकिस्तानी तोपखाने को खामोश कर दिया, बल्कि सीमा पार कई ठिकानों को भी नष्ट कर दिया।आपको बता दें कि भारत ने अपनी तोपों को आधुनिक बनाने के लिए 1990 के दशक में फील्ड आर्टिलरी रेशनलाइजेशन प्रोग्राम (FARP) की शुरुआत की थी। इसका लक्ष्य सभी तोपों को 155mm कैलिबर में बदलना था, ताकि उनकी मारक क्षमता को सटीक बनाया जा सके। आज भारत के पास कई ऐसी तोपें हैं, जो न सिर्फ लंबी दूरी तक मार कर सकती हैं, बल्कि दुश्मन की जवाबी कार्रवाई से बचने के लिए तेजी से अपनी स्थिति भी बदल सकती हैं। आइए जानते हैं कुछ खास तोपों के बारे में…

एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS)

पूरी तरह से भारत में निर्मित यह आर्टिलरी गन DRDO, भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स की कड़ी मेहनत का नतीजा है। 155mm/52 कैलिबर की इस गन की रेंज 35-45 किलोमीटर है और खास रैमजेट शेल्स के साथ यह 78 किलोमीटर तक मार कर सकती है। इसकी सटीकता इतनी है कि यह 10 मीटर के दायरे में लक्ष्य को भेद सकती है। मार्च 2025 में भारत सरकार ने 307 ATAGS आर्टिलरी गन खरीदने को मंजूरी दी थी, जिसकी कीमत करीब 7000 करोड़ रुपये है। इस गन ने पुंछ-राजौरी में पाकिस्तानी ठिकानों पर सटीक हमले किए और दुश्मन की तोपों को खामोश कर दिया।

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कितना ताकतवर है 155MM बैरल गन ?

K9 वज्र-टी

आर्टिलरी गन K9 वज्र-T दक्षिण कोरिया की K9 थंडर का भारतीय संस्करण है। K9 वज्र का निर्माण लार्सन एंड टूब्रो (L&T) द्वारा किया जाता है। यह स्वचालित तोप 40 किलोमीटर तक मार कर सकती है और हर मिनट 6-8 गोले दाग सकती है। यह तोप 67 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ‘शूट-एंड-स्कूट’ रणनीति पर काम करती है। यानी गोली चलाने के तुरंत बाद यह अपनी लोकेशन बदल सकती है। 2024 में 100 और K9 वज्र की खरीद के लिए 7,628 करोड़ रुपये का सौदा हुआ। इसने पुंछ की पहाड़ियों से निशाना साधकर पाकिस्तानी तोपों की कमर तोड़ दी है।

धनुष होवित्जर

ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) द्वारा निर्मित धनुष को ‘देसी बोफोर्स’ भी कहा जाता है। 155mm/45 कैलिबर की इस तोप की रेंज 38 किलोमीटर है। यह पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से काम कर सकती है। धनुष ने पुंछ-राजौरी और जम्मू-कश्मीर के दूसरे इलाकों में कई बार पाकिस्तानी गोलीबारी का जवाब दिया है और कई पाकिस्तानी ठिकानों को तबाह किया है। 114 धनुष तोपों का ऑर्डर पहले ही दिया जा चुका है और अब इनके एडवांस वर्जन पर काम चल रहा है।

एम777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर

अमेरिका के बीएई सिस्टम्स की इस तोप का वजन महज 4200 किलोग्राम है, जिसे चिनूक हेलीकॉप्टर से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसकी रेंज 24-40 किलोमीटर है और एक्सकैलिबर जैसे सटीक गोले दागने पर यह और भी घातक हो जाती है। जम्मू-कश्मीर की ऊंची पहाड़ियों में यह तोप भारतीय सेना का मुख्य हथियार बन गई है।

आर्टिलरी गन का कमाल

हाल ही में पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर पुंछ और राजौरी में भारी गोलीबारी शुरू कर दी। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना ने आतंकियों की घुसपैठ कराने के लिए तोपों और मोर्टार का इस्तेमाल किया। लेकिन भारतीय सेना ने अपनी 155 एमएम तोपों से इसका जवाब दिया। एटीएजीएस और के9 वज्र ने न सिर्फ पाकिस्तानी तोपों को निशाना बनाया, बल्कि सीमा पार कई ठिकानों को भी तबाह कर दिया।

इसमें स्वाति वेपन लोकेटिंग रडार (डब्ल्यूएलआर) ने अहम भूमिका निभाई, जो दुश्मन की तोपों की सटीक लोकेशन बताता है। इस रडार की मदद से भारतीय सेना ने 40-50 किलोमीटर दूर तक पाकिस्तानी ठिकानों पर हमला किया। K9 वज्र की तेज गति और M777 के हल्के वजन के डिजाइन ने पहाड़ी इलाकों में गतिशीलता प्रदान की। धनुष और ATAGS ने अपनी लंबी दूरी और सटीकता से पाकिस्तानी तोपखाने को बेअसर कर दिया। सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि इन तोपों ने न केवल पाकिस्तान की रणनीति को नाकाम किया, बल्कि भारतीय सेना का मनोबल भी बढ़ाया।

स्वदेशी तकनीक की ताकत भारत की ये तोपें ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का जीता जागता सबूत हैं। ATAGS और धनुष पूरी तरह से स्वदेशी हैं, जबकि K9 वज्र और M777 में भी भारतीय कंपनियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। DRDO द्वारा विकसित 155 मिमी के स्मार्ट गोले, जो NavIC और GPS से लैस हैं, सिर्फ 10 मीटर के दायरे में निशाना साध सकते हैं। इसके अलावा 78 किलोमीटर तक मार करने वाले रैमजेट गोले जल्द ही सेना में शामिल किए जाएंगे। इन गोलों का परीक्षण 2024 में बालासोर में सफल रहा।

स्वाति रडार भी DRDO की देन है, जो 30-50 किलोमीटर की दूरी से दुश्मन की तोपों को ट्रैक कर सकता है। ड्रोन और ISR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस) तकनीक ने भी सेना की ताकत बढ़ा दी है। अब दुश्मन की हरकत का जवाब देने में 8-9 मिनट की जगह सिर्फ 1-2 मिनट लगते हैं।

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