India News (इंडिया न्यूज़), Chhota Rajan News: गैंगस्टर और कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन की बिगड़ गई है। उसे दिल्ली के AIIMS में भर्ती के करवाया गया है। बता दें की वो कई संगीन अपराधों में दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काट रहा है।
उस पर करीब 70 गंभीर मामलों में आरोप हैं। उसे गिरफ्तार करने के लिए भारतीय पुलिस ने जो प्रयास किए हैं, उससे साफ पता चलता है कि अपराध की दुनिया में उसका क्या कद रहा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बॉम्बे की गलियों में छोटी-मोटी वारदातों को अंजाम देने वाला राजेंद्र कैसे छोटा राजन बन गया? आइये जानते हैं।
बात सत्तर के दशक की है। बॉम्बे में डी-कंपनी तेजी से फल-फूल रही थी। पूरे बॉम्बे पर दाऊद इब्राहिम का राज था। लोग डी कंपनी के नाम से ही डरते थे। इस बीच राजेंद्र अपराध की गलियों में कदम रख चुका था।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक छोटा राजन का असली नाम राजेंद्र निखलजे है। वह बॉम्बे के चेंबूर इलाके में सिनेमा टिकटों की कालाबाजारी करता था। एक बार जब पुलिस ने उसे ऐसा करते पकड़ा तो उसने पुलिसवालों से लाठी छीन ली और बिना किसी डर के उनकी पिटाई कर दी।
धीरे-धीरे वह पूरी तरह अपराध की दुनिया में उतर गया और आखिरकार 1980 में बड़ा राजन गैंग का सदस्य बन गया। हालांकि, बड़ा राजन की हत्या हो चुकी थी। ऐसे में राजेंद्र निखलजे ने बदला लेने का ऐलान किया। बदला लेने की कोशिशें नाकाम रहीं लेकिन वह डी कंपनी के बॉस दाऊद इब्राहिम की नजरों में आ गया।
इसका नतीजा यह हुआ कि वह दाऊद की कोर टीम में शामिल हो गया और धीरे-धीरे अंडरवर्ल्ड डॉन का दाहिना हाथ बन गया। उसके आदेश के बिना गिरोह के सदस्यों के लिए बॉम्बे में किसी भी तरह की घटना को अंजाम देना नामुमकिन हो गया।
ऐसे में गिरोह के पुराने सदस्य ईर्ष्या के कारण दाऊद को उसके खिलाफ भड़काने लगे। वे कहने लगे कि अगर उस पर काबू नहीं पाया गया तो वह बागी हो जाएगा। इसका असर दाऊद पर पड़ा और उसने राजेंद्र को महत्वपूर्ण मामलों से दूर रखना शुरू कर दिया। वहीं, 1992 के बम धमाके के बाद दोनों के बीच दूरियां और बढ़ गईं। वजह यह थी कि उसे इस घटना की प्लानिंग से पूरी तरह दूर रखा गया था।
1993-94 में दूरियां काफी बढ़ गईं। हालांकि, रिश्ते का अंत और बदले की कहानी तब शुरू हुई जब उसे पता चला कि दुबई में आयोजित दाऊद की पार्टी में उसे मारने की पूरी योजना बना ली गई है, जिसमें वह शामिल होने वाला था। इससे वह सदमे में आ गया। खैर, वह भारतीय दूतावास की मदद से दुबई से भागने में सफल रहा। लेकिन दाऊद के साम्राज्य का अंत उसका लक्ष्य बन गया।
छोटा राजन ने इंडोनेशिया में रहने का फैसला किया। जबकि दाऊद दुबई में बैठा था। दोनों तरफ से बराबर दुश्मनी थी। ऐसे में दाऊद छोटा राजन को मारने की कोशिश करने लगा और छोटा राजन दाऊद को मारने की कोशिश करने लगा। हालांकि, दोनों में से कोई भी इस काम में सफल नहीं हो पाया।
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पुलिस ने कई बार छोटा राजन को गिरफ्तार करने की कोशिश की. लेकिन वह पुलिस को चकमा देकर भागने में सफल रहा। इस बार भारतीय एजेंसियों को सूचना मिली कि छोटा राजन अपनी पहचान छिपाकर बैंकॉक के एक अस्पताल में इलाज करा रहा है।
उन्होंने राजन के प्रत्यर्पण की कोशिश शुरू कर दी. सीबीआई की एक टीम थाईलैंड जाने की तैयारी करने लगी. इसी बीच अपने वफादार विक्की की मदद से वह अस्पताल की खिड़की से भागने में सफल हो गया. विक्की को छोटा राजन का दाहिना हाथ माना जाता है.
हालांकि, इंटरपोल ने छोटा राजन के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था. ऐसे में साल 2015 में उसे इंडोनेशिया की पुलिस ने बाली में पकड़ लिया. फिर भारतीय पुलिस उसे प्रत्यर्पित करके दिल्ली ले आई. तब से वह तिहाड़ जेल में बंद है, जबकि दाऊद अब भी एक अनसुलझा मामला बना हुआ है।
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