इंडिया न्यूज़, Sikkim News : सिक्किम 16 मई 1975 को भारत का 22वां राज्य बना था। आज सिक्किम को भारत का 22वां राज्य बने हुए 47 साल हो चुके हैं। सिक्किम ऐसे ही भारत के साथ नहीं आ गया। इसे साथ लाने के किया गया संघर्ष बहुत लंबा है। सिक्किम भारत और चीन की सीमा के बीच स्थित है। जिस कारण इसे लेकर दोनों देशों में तनाव बना रहता है। आखिर सिक्किम कैसे अस्तित्व में आया और क्या है इसका इतिहास। आइए जानते हैं इस लेख में।
सिक्किम की बात करें तो 1642 में यह वजूद में आया। सिक्किम के पहले राजा का नाम फुत्सोंग नाम्ग्याल था। नाम्ग्याल को तीन बौद्ध राजाओं ने सिक्किम का राजा बनाया था। जिसके बाद से सिक्किम में राजतंत्र की शुरूआत हुई। उसके बाद से 333 वर्षों तक नाम्ग्याल राजवंश ने सिक्किम पर राज किया। भारत ने 15 अगस्त 1947 को आजादी हासिल की। जिसके बाद भारत के लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में पूरे देश की अलग-अलग रियासतों को भारत में मिलाने का काम आरंभ किया गया।
आजादी के 28 साल बाद तक सिक्किम को भारत में मिलाने के लिए संघर्ष जारी रहा। जब बात नहीं बनी तो 6 अप्रैल 1975 को 5000 भारतीय सैनिकों ने सिक्किम के राजमहल को चारों तरफ से घेर लिया और गोलियां बरसानी आरंभ कर दी। जिसके बाद भारतीय सेना ने महल में मौजूद 243 गार्ड्स पर काबू पा लिया और उस समय के राजा चोग्याल को बंधक बना लिया। जिसके बाद से सिक्किम को भारत में मिलाने की कार्रवाई को अंजाम दिया गया।
राजमहल पर भारतीय सैनिकों के कब्जा करने के बाद भारतीय सरकार ने सिक्किम में जनमत संग्रह करवाया। 97.5 प्रतिशत जनता ने जनमत संग्रह में भारत के साथ जाने के पक्ष में हां की। 23 अप्रैल 1975 को लोकसभा में सिक्किम को भारत का 22वां राज्य बनाने के लिए प्रस्ताव व संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया। लोकसभा में उस विधेयक को 299-11 के मत से पास कर दिया गया।
राज्य सभा में बिल 26 अप्रैल को पास हो गया। 15 मई 1975 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही सिक्किम में राजवंश का खात्मा हुआ और लोकतंत्र का आगाज। उस समय देश के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद थे।
भारत में सिक्किम के विलय का चीन ने खूब विरोध किया। चीन ने सिक्किम विलय की तुलना 1968 में रूस के चेकोस्लोवाकिया पर किए गए आक्रमण से की। उस समय देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री ने चीन के आरोपों का कड़ा जवाब दिया और चीन को तिब्बत पर किए आक्रमण की याद दिलाई। उस समय नेपाल ने भी सिक्किम के भारत में विलय का विरोध किया। हां भूटान इस विलय से काफी खुश दिखा, क्योंकि ऐसा होने से उसे सिक्किम से जोड़कर देखने की संभावनाओं पर विराम लग गया था।
भारत और चीन के बीच सिक्किम को लेकर तनाव चलता रहता है। दोनों देशों के बीच 3500 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है। इस सीमा विवाद के चलते 1962 को दोनों देशों में युद्ध भी हुआ था। जिसका कोई नतीजा नहीं निकला। आज भी चीन सिक्किम पर हक जताता है। जिसके चलते दोनों देशों के बीच हमेशा तनाव बना रहता है। सीमा विवाद का मुख्य कारण भारत-चीन और भूटान की सीमा के मिलान बिंदु पर है।
सिक्किम में भारतीय सीमा से सटी डोकलाम पठार है। इस जगह को चीन अपना इलाका मानता है और यहां पर सड़क निर्माण करना चाहता है। जिसे लेकर काफी विरोध चलता रहता है। पिछले दिनों ीाी भारतीय सेना ने चीन की इस कोशिश का विरोध किया था। डोकलाम पठार का कुछ हिस्सा भूटान के हिस्से में भी आता है। जिस कारण भूटान ने भी चीन की हरकत का विरोध किया था।
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