India News (इंडिया न्यूज),Atal Bihari Vajpayee: आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती है। इस दिन को अटल बिहारी वाजपेयी की याद में सुशासन दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित ग्वालियर में शिंदे की छावनी में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में ही हुई। उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक किया और कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में एमए किया था। बता दें अटल ने कभी शादी नहीं कि थी लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे की वाजपेयी किसी से बेहद प्यार करते थे। मशहूर पत्रकार कुलदीप नैयर ने इसे एक महान ‘प्रेम कहानी’ बताया था।
कॉलेज में एक नौजवान लड़के को एक खूबसूरत आंखों वाली लड़की से प्यार हो गया। धीरे-धीरे लड़की भी लड़के से प्यार करने लगी। जब यह खबर घरवालों तक पहुंची तो उन्होंने इस रिश्ते पर ऐतराज जताया। एक अमीर घराने की बेटी का एक साधारण लड़के से प्यार करना सबको पसंद नहीं आया। फिर लड़की की शादी कहीं और कर दी गई। पढ़ने पर यह 80 या 90 के दशक की किसी फिल्म का प्लॉट लगता है, लेकिन यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रेम कहानी है, जो देश के लिए हमेशा से रहस्य बनी रही।
ग्वालियर के एक कॉलेज में पढ़ने वाला वह नौजवान अब देश का मशहूर वक्ता बन चुका था। वह 1957 में जनसंघ के टिकट पर बलरामपुर से सांसद बना, उसका नाम था अटल बिहारी वाजपेयी. वाजपेयी भले ही सांसद बन गए, लेकिन वह उस लड़की को नहीं भूल पाए जो कॉलेज में उनकी दोस्त हुआ करती थी। राजकुमारी हक्सर अब राजकुमारी कौल बन चुकी थीं। अटल एक युवा सांसद के तौर पर दिल्ली पहुंचे। उन्हें रामजस कॉलेज में भाषण देने के लिए बुलाया गया, जहां उनकी मुलाकात प्रोफेसर बृजनारायण कौल और उनकी पत्नी राजकुमारी कौल से हुई। राजकुमारी से यह मुलाकात 16 साल बाद हुई थी। फिर तो जैसे यह सिलसिला ही शुरू हो गया। अक्सर प्रोफेसर कौल के घर के बाहर अटल की काली एंबेसडर कार नजर आती थी।
एक समय ऐसा भी आया जब कौल दंपत्ति वाजपेयी के घर में रहने लगे। पीएम हाउस में दूसरी महिला को देखकर आने वाले नेताओं को शुरू में तो अजीब लगा, लेकिन बाद में वे सहज हो गए। राजकुमारी कौल और वाजपेयी के रिश्ते पर आरएसएस को आपत्ति थी। कई नेताओं ने वाजपेयी को सलाह दी कि वे राजकुमारी को छोड़ दें या उनसे शादी कर लें। वाजपेयी ने दोनों की बातें नहीं मानीं।
एक कार्यक्रम के दौरान वाजपेयी ने कहा था कि मैं अविवाहित हूं, लेकिन कुंआरा नहीं हूं। इसके बाद राजनीतिक गलियारों में कानाफूसी का दौर शुरू हो गया, लेकिन किसी ने सीधे तौर पर वाजपेयी से कोई सवाल नहीं पूछा। राजकुमारी कौल का वाजपेयी पर अधिकार होने की बात भी राजनीतिक गलियारों में फैलने लगी। पत्रकार करण थापर अपनी किताब डेविल्स एडवोकेट में लिखते हैं कि मैंने वाजपेयी का इंटरव्यू लेने की कई कोशिशें की थीं, लेकिन सफल नहीं हो पाया। एक दिन मैंने रायसीना रोड पर फोन किया। सामने से एक महिला की आवाज आई। राजकुमारी कौल थीं। मैंने उनसे अपनी पीड़ा बताई। राजकुमारी ने कहा कि मुझे उनसे बात करने दीजिए। अगले दिन मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। उन्होंने मुझसे कहा कि आपने हाईकमान से बात कर ली है। अब मैं आपको कैसे मना कर सकती हूं।
विनय सीतापति ने अपनी किताब ‘जुगलबंदी’ में लिखा है कि वाजपेयी को बदलने में राजकुमारी कौल का बहुत बड़ा हाथ है। उन्होंने वाजपेयी को उदार और महानगरीय बनाया। कपड़े धोने के साबुन से नहाते और घी में तली हुई पूड़ियां खाते हुए अस्त-व्यस्त जीवन जीने वाले व्यक्ति के जीवन में श्रीमती कौल की मौजूदगी, कड़ाके की सर्दी में सुखद धूप की मौजूदगी की तरह है। राजकुमारी कौल का निधन 2014 में हो गया, लेकिन अटल उनकी अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सके, क्योंकि वे 2009 से गंभीर रूप से बीमार थे। राजकुमारी कौल के जाने के साथ ही भारतीय राजनीति की एक ‘गुमनाम प्रेम कहानी’ का अंत हो गया।
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