India News (इंडिया न्यूज), Delhi AQI: दिल्ली में सर्दी ने फिर से दस्तक दे दी है और हवा में जहर घुल रही है। लोग बीमार पर रहे हैं। बुधवार की सुबह दिल्लीवालों के लिए कोहरे भरी रही। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, यह लगातार 14वां दिन था, जब दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का स्तर ‘बेहद खराब’ श्रेणी में रहा। बुधवार को दिल्ली के कई इलाकों में AQI का स्तर 400 को पार कर गया। AQI के 400 से ऊपर होने पर इसे ‘गंभीर’ माना जाता है। दिल्ली ही नहीं, एनसीआर के कई जिलों में भी लगभग यही स्थिति है। दिल्ली-एनसीआर की हवा बेहद खराब हो रही है। बुधवार सुबह प्रदूषण के कारण कोहरे की वजह से कई फ्लाइट्स को डायवर्ट करना पड़ा।
जानकारी के अनुसार, भारत के कई जिलों में AQI का स्तर ‘खराब’ से ‘बेहद खराब’ की श्रेणी में है। वायु प्रदूषण बढ़ने का सबसे बड़ा कारण PM 2.5 है। बता दें कि, यह एक तरह का प्रदूषक है, जो इंसान के बाल से भी 100 गुना पतला होता है। यह इतना छोटा कण होता है कि सांस के साथ शरीर में प्रवेश कर जाता है और कई गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। भारत की राजधानी दिल्ली के अलावा हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी ऐसे ही हालात हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि अगर हवा में PM2.5 की मात्रा 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, तो इसका अर्थ है कि, आप स्वच्छ हवा में सांस ले रहे हैं। लेकिन ऐसे बहुत कम शहर होंगे जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस मानक को पूरा करते हों। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में PM2.5 की मात्रा WHO के तय मानक से कई गुना ज्यादा है। पाकिस्तान के लाहौर में कुछ समय पहले AQI का स्तर 1900 को पार कर गया था। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में बुधवार को मुल्तान की हवा सबसे खराब रही। IQAir के मुताबिक, बुधवार को मुल्तान में AQI का स्तर 250 से ज्यादा रहा। राजधानी इस्लामाबाद में भी AQI का स्तर 200 के आसपास रहा। ठीक इसी तरह बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भी AQI का स्तर 100 से ज्यादा रहा।
अगर हम दिल्ली-एनसीआर की तुलना में मुल्तान, इस्लामाबाद और ढाका की हवा की बात करें तो वो अभी भी साफ है, लेकिन फिर भी यहां की हवा खराब है। स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण का काफी बुरा असर पड़ता है। साइंस जर्नल लैंसेट के एक अध्ययन से पता चलता है कि 2019 में भारत में वायु प्रदूषण के कारण 16.7 लाख लोगों की मौत हुई। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में हर साल खराब हवा के कारण 70 लाख लोग असमय मरते हैं।
एक तरह से खराब हवा एचआईवी-एड्स जैसी बीमारी से भी ज्यादा खतरनाक है है। यूएनएड्स की रिपोर्ट के मुताबिक एचआईवी-एड्स के कारण हर साल 6.3 लाख लोगों की मौत होती है। इसके अलावा स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 की रिपोर्ट बताती है कि 2019 में भारत में वायु प्रदूषण के कारण 1.16 लाख नवजात शिशुओं की मौत हुई। यानी ये बच्चे एक महीने भी जीवित नहीं रह सके। यह आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा था। भारत के बाद नाइजीरिया था, जहां करीब 68 हजार नवजात शिशुओं की मौत हुई।
जानकारी के अनुसार, प्रदूषित हवा में सांस लेने से न सिर्फ स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि इससे लोगों की उम्र भी कम हो रही है। इतना ही नहीं शिकागो यूनिवर्सिटी की एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स रिपोर्ट बताती है कि अगर दुनिया भर में PM2.5 की मात्रा 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर हो जाए तो लोगों की उम्र 1.9 साल बढ़ जाएगी। यह रिपोर्ट बताती है कि ज्यादातर भारतीय ऐसे इलाकों में रहते हैं, जहां वायु प्रदूषण का स्तर WHO के मानकों से कहीं ज्यादा है।
शिकागो यूनिवर्सिटी की इस हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण की वजह से हर भारतीय की औसत उम्र 3.6 साल कम हो सकती है। जबकि पाकिस्तान में यह 3.3 साल और बांग्लादेश में 1.7 साल है। इसका मतलब है कि भारतीय पाकिस्तानियों और बांग्लादेशियों से ज्यादा प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। अगर आप दिल्ली में हैं तो खराब हवा की वजह से आपकी उम्र 7 साल 8 महीने कम हो सकती है। जबकि उत्तर प्रदेश में 5.9 साल, बिहार में 5.5 साल, हरियाणा में 5.2 साल और पंजाब में 4.6 साल कम होने की संभावना है।
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