Hindi News / Indianews / In America Experiments Conducted On Seven Dead Bodies Have Provided Astonishing Evidence Of Soul Leaving The Body After Death

पूरी सात लाशो पर किया गया प्रयोग…'मृत्यु के बाद आत्मा के शरीर छोड़ने' को लेकर मिले कुछ ऐसे प्रमाण, जिसे देख भोचक्का रह गए वैज्ञानिक भी!

Consciousness after Death: सात शवों पर किए गए प्रयोग से मृत्यु के बाद आत्मा के शरीर छोड़ने के मिले चौका देने वाले प्रमाण

BY: Prachi Jain • UPDATED :
Advertisement · Scroll to continue
Advertisement · Scroll to continue

India News (इंडिया न्यूज), New Research on Brain Activity: मृत्यु के बाद मस्तिष्क की गतिविधि पर किए गए नए शोध से चेतना और आत्मा की प्रकृति पर नए सवाल उठ रहे हैं। एरिज़ोना विश्वविद्यालय के एक अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. स्टुअर्ट हैमरॉफ़ द्वारा किए गए अध्ययन ने मृत्यु के बाद मस्तिष्क की गतिविधि को लेकर कुछ अप्रत्याशित निष्कर्ष सामने रखे हैं, जो चेतना और आत्मा के बारे में हमारे विचारों को चुनौती देते हैं।

मृत्यु के बाद मस्तिष्क में असामान्य ऊर्जा वृद्धि


डॉ. स्टुअर्ट हैमरॉफ़, जो एनेस्थिसियोलॉजिस्ट और प्रोफेसर हैं, ने गंभीर रूप से बीमार सात रोगियों पर अध्ययन किया, जिनके दिल की धड़कन रुक गई और रक्तचाप शून्य हो गया। लेकिन उनके अध्ययन में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई। उन्होंने रोगियों के सिर पर छोटे सेंसर लगाकर मस्तिष्क की गतिविधि की निगरानी की और पाया कि जब शरीर ने काम करना बंद कर दिया, तब भी मस्तिष्क में कुछ गतिविधि जारी रही। इस घटना को उन्होंने “अंतिम गतिविधि” के रूप में वर्णित किया। यह शोध चेतना के अस्तित्व पर नए सवाल खड़ा करता है, खासकर तब जब शरीर का कार्य बंद हो चुका हो।

‘पहले पाकिस्तानी दूतावास, फिर 10 दिनों के लिए पाकिस्तान और अब कश्मीर…’,1 साल पहले ही ज्योति को लेकर किया गया था अगाह, कैसे हुई इतनी बड़ी चूक?

Consciousness after Death: सात शवों पर किए गए प्रयोग से मृत्यु के बाद आत्मा के शरीर छोड़ने के मिले चौका देने वाले प्रमाण

होने वाली दुर्घटना, आने वाला संकट मोड़ देता है ये एक मंत्र…अकाल मृत्यु से मिलती है मुक्ति

चेतना और गामा समकालिकता (Gamma Synchrony)


हेमरॉफ़ ने अपने अध्ययन में यह पाया कि जब रोगियों को चिकित्सकीय रूप से मृत घोषित किया गया, तब मस्तिष्क में गामा सिंक्रोनी (Gamma Synchrony) नामक एक गतिविधि का उभार देखा गया। गामा सिंक्रोनी आमतौर पर तब होती है जब कोई व्यक्ति जागते हुए सक्रिय रूप से सोचता है। इस शोध में, मस्तिष्क की यह गतिविधि 90 सेकंड तक जारी रही, जबकि शरीर का रक्तचाप शून्य हो गया और हृदय की धड़कन रुक गई। इस निष्कर्ष से यह इशारा मिलता है कि शायद चेतना एक कम ऊर्जा वाली प्रक्रिया हो सकती है, जो मस्तिष्क के अंदर न्यूरॉन्स के बीच उप-परमाणु (Quantum) गतिविधि से उत्पन्न होती है।

क्वांटम मस्तिष्क परिकल्पना


हेमरॉफ़ का मानना है कि चेतना मस्तिष्क की कोशिकाओं में संचालित होने वाली एक क्वांटम प्रक्रिया हो सकती है। इसे “क्वांटम मस्तिष्क परिकल्पना” के नाम से जाना जाता है। इस सिद्धांत के अनुसार, चेतना मस्तिष्क की न्यूरॉन गतिविधि से नहीं, बल्कि उसके अंदर होने वाली सूक्ष्म क्वांटम घटनाओं से उत्पन्न होती है। इसका मतलब यह है कि मस्तिष्क की जागरूकता में गहरे स्तर पर कुछ और हो सकता है, जो शरीर के शारीरिक कार्यों के खत्म होने के बाद भी जारी रहता है।

क्यों हिंदू शास्त्र में इस फल को कहा गया है ‘शापित फल’? आज भी कई घरों में इसे खाना तो क्या देखना भी नहीं माना जाता शुभ!

साइकेडेलिक अध्ययन से समर्थन


हेमरॉफ़ ने एक अन्य अध्ययन का भी उल्लेख किया, जो डॉ. रॉबिन कारहार्ट-हैरिस द्वारा किया गया था। इस अध्ययन में, व्यक्तियों को साइलोसाइबिन नामक पदार्थ दिया गया, जो मतिभ्रम उत्पन्न करता है। इस दौरान, प्रतिभागियों ने गहरी मानसिक और अनुभवजनक अवस्थाएँ महसूस कीं, लेकिन उनके एमआरआई स्कैन में मस्तिष्क की गतिविधि बहुत कम पाई गई। इससे यह संकेत मिलता है कि चेतना की प्रक्रिया अत्यधिक ऊर्जा पर निर्भर नहीं हो सकती, बल्कि यह एक सूक्ष्म और कम ऊर्जा वाली प्रक्रिया हो सकती है।

नया दृष्टिकोण और पुराने सवाल


हालांकि यह शोध आत्मा के अस्तित्व की पुष्टि नहीं करता, लेकिन यह संकेत देता है कि मृत्यु के बाद भी मस्तिष्क में कुछ शेष हो सकता है। डॉ. हेमरॉफ़ का यह काम उन सदियों पुराने सवालों को एक नए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखता है, जो हमेशा से मानवता को परेशान करता रहा है – “मृत्यु के बाद क्या होता है?” इस शोध ने इस विषय पर नए रास्ते खोले हैं, जो भविष्य में चेतना, आत्मा और मृत्यु के रहस्यों को समझने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

इस नए शोध ने वैज्ञानिक दुनिया में मृत्यु और चेतना के बीच संबंध पर नए सवाल खड़े किए हैं। हालांकि यह पूरी तरह से आत्मा के अस्तित्व की पुष्टि नहीं करता, फिर भी यह इस रहस्य को और गहरे स्तर पर समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। शायद यही कारण है कि यह अध्ययन उन लोगों के लिए सांत्वना का कारण बन सकता है, जो अपने प्रियजनों के नुकसान से जूझ रहे हैं और मृत्यु के बाद जीवन के बारे में अधिक जानने की इच्छा रखते हैं।

बुरी शक्तियों का साया भी भाप लेते है इन तीन मूलांकों पर जन्मे लोग, छू भी नहीं सकती नेगेटिव एनर्जीज़

Tags:

AmericaConsciousness after DeathDr. Stuart Hameroff
Advertisement · Scroll to continue

लेटेस्ट खबरें

Advertisement · Scroll to continue