दिल्ली : न्यूज ब्रॉडकास्टर फेडरेशन (News Broadcaster Federation) एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें नेताओं, नियामकों और राजनेताओं को फेक न्यूज, संघवाद और स्वतंत्र प्रेस जैसे विषयों पर चर्चा के लिए बुलाया जाता है। ऐसे में हाल ही में हुए इस कार्यक्रम में एनबीएफ कॉन्क्लेव के ‘फ्यूचर ऑफ न्यूज’ पर चर्चा के दौरान केरल के राज्यपाल (Kerala governor) आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) ने मीडिया को लेकर कुछ खास बात चीत की उनका कहना था कि मीडिया न केवल लोगों को नए समाचारों के बारे में सूचित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है बल्कि ‘उन्हें निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाता है।’

मीडिया के महत्व पर बोले आरिफ मोहम्मद खान

एनबीएफ कॉन्क्लेव में अपने संबोधन के दौरान केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि मीडिया न केवल भारत में बल्कि हर लोकतंत्र में एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा, “संवैधानिक रूप से बोलने की स्वतंत्रता भारत के लोकतंत्र की आधारशिला के रूप में स्थापित है। लोकतंत्र में हर संगठन का यह कर्तव्य है कि वह लोगों को सशक्त करे, उन्हें निर्णय लेने में सक्षम बनाए। लोगों में यह शक्ति निश्चित रूप से मीडिया के माध्यम से आती है।”

मीडिया को पूरी तरह स्वतंत्र रखने का करता हूं समर्थन

केरल के राज्यपाल से जब यह पूछा गया कि क्या मीडिया अपनी भूमिका निभा रहा है। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं किसी भी पूर्वाग्रह के बिना मीडिया को पूरी तरह स्वतंत्र रखने का समर्थन करता हूं। इसके बाद आरिफ मोहम्मद खान ने बताया कि जब उन्होंने सीएए के साथ खड़े होने का फैसला किया तो उन्हें कैसे पेश किया गया।

केरल में ऐसी स्थिती का करना पड़ रहा है सामना

उन्होंने कहा कि “केरल में मैं ऐसी स्थिति का सामना कर रहा हूं जहां एक निश्चित आचार संहिता है। मैं उस राज्य का राज्यपाल हूं जहां सरकार और विपक्ष दोनों सीएए का विरोध कर रहे थे। मैं राष्ट्रपति का प्रतिनिधि हूं इसलिए मैने सोचा कि एक कानून जो संसद से पारित किया गया है, जिस पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए है, इसका बचाव करना मेरा कर्तव्य है।”

केरल के राज्यपाल निभा रहे थे अपना कर्तव्य

केरल के राज्यपाल ने कहा कि सीएए के समर्थन के बाद उन्हें कुछ मीडिया ने एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया गया था जो अपना काम करने वाले के बजाय भाजपा के एजेंडे का समर्थन कर रहा था। आरिफ मोहम्मद खान ने यह कहते हुए अपनी बात समाप्त की कि एक बार संसद से एक अधिनियम पारित हो जाने के बाद वह उसका समर्थन करके केवल अपना कर्तव्य निभा रहे थे।

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