इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :

INDIA-AUSTRALIA TWO-PLUS-TALKS : हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य दबाव के बीच भारत और ऑस्ट्रेलिया ने इस समस्या से निपटने के उपाय शुरू कर दिए हैं। इसी को लेकर भारत और ऑस्ट्रेलिया ने उच्च स्तरीय संवाद की शनिवार को शुरुआत की। रक्षा एवं विदेश मंत्रालय स्तर के इस संवाद का मकसद दोनों देशों के बीच संपूर्ण रक्षा एवं सामरिक सहयोग को और बढ़ाना है। विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्षों क्रमश: मारिस पायने और पीटर डटन के साथ यहां पर शनिवार को शुरुआती ‘टू-प्लस-टू’ वार्ता की। राजनाथ ने डटन के साथ शुक्रवार को विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा की थी। इसी तरह जयशंकर ने पायने से ‘टू-प्लस-टू’ वार्ता से ठीक पहले मुलाकात की। अफगानिस्तान में नाजुक सुरक्षा हालात पर दोनों मंत्रियों के बीच चर्चा हुई। उन्होंने तालिबान शासित अफगानिस्तान से आतंकवाद फैलने की आशंका से संबंधित ‘साझा चिंताओं के बारे में भी चर्चा की। विदेश और रक्षा मंत्री स्तरीय वार्ता ऐसे समय हो रही है जब क्वाड समूह के सदस्य देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के नए सिरे से प्रयास कर रहे हैं। इस समूह में भारत और ऑस्ट्रेलिया के अलावा अमेरिका और जापान भी हैं। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पायने ने शुक्रवार को कहा कि क्वाड तेजी से और बहुत प्रभावी रूप से उभरा है और ऑस्ट्रेलिया इस क्षेत्र में एक मजबूत नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए भारत की सराहना करता है।

बड़े और छोटे देशों के अधिकारों का सम्मान जरूरी : पायने

मारिस पायने ने हिंद-प्रशांत के समक्ष ‘महत्वपूर्ण चुनौतियों’ के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया एक ऐसा क्षेत्र चाहता है जहां बड़े और छोटे देशों के अधिकारों का सम्मान किया जाए तथा कोई भी एकल प्रभावशाली शक्ति दूसरों के लिए परिणाम तय नहीं करे। पिछले कुछ वर्ष में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा और सैन्य सहयोग बढ़ा है। पिछले साल जून में, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपने संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के बीच एक ऑनलाइन शिखर सम्मेलन के दौरान साजो- समान की सैन्य ठिकानों तक पारस्परिक पहुंच के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।