India News (इंडिया न्यूज़), Predator Drone: चीन-पाकिस्तान के चालबाजी को देखते हुए भारत रक्षा क्षेत्र में कड़े कदम उठा रहा है. साथ ही अमेरिका के साथ रक्षा सहयोग को और मजबूत कर रहा है. बाइडेन सरकार की तरफ से 31 एमक्यू9बी प्रीडेटर ड्रोन के अधिग्रहण के लिए रक्षा मंत्रालय को एलओए भेजा है. जिसके आने के बाद भारत की सैन्य शक्ति और मजबूत हो जाएगा. प्रीडेटर ड्रोन के मदद से भारत को सीमाओं पर ही नहीं समुंद्री क्षेत्रों में भी निगरानी रखने में मदद मिलेगी. बता दें कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय के द्वारा ड्रोन सौदे का नोटिफिकेशन 1 फरवरी को जारी किया गया था. भारत के साथ इस समझौते से किसी सांसद को दिक्कत नहीं होने की वजह से आखिरी एलओए भेजा गया है.
जानिए कैसे होगी इस सौदे की स्टडी
बता दें कि, अमेरिकी सरकार की तरफ से मंजूरी मिलने के बाद अब भारतीय नौसेना के द्वारा इस सौदे की स्टडी की जाएगी. फिर उसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के माध्यम से संतोषजनक कीमत पाए जाने पर सीसीएस को भेज दिया जाएगा. दरअसल, सशस्त्र बलों के बीच समझौते के मुताबिक, भारतीय नेवी को 16 एमक्यू 9बी ड्रोन और भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना को आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे. दरअसल, हिंदुस्तान ने अमेरिका से 171 हेल-फायर एजीएम 114 आर मिसाइलों, लेजर गाइडेड बम, मिसाइल लॉन्चर, ग्राउंड स्टेशन, पनडुब्बी रोधी सोनोबॉय और फुल एन्क्रिप्शन के साथ-साथ अत्याधुनिक प्लेटफॉर्म के लिए 31 ड्रोन खरीदने का फैसला किया है.
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पाक-चीन को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब
बता दें कि भारत की तरफ से 31 प्रीडेटर ड्रोन का अधिग्रहण ऐसे वक्त में हो रहा है जब भारतीय नेवी के दो स्काई गार्जियन ड्रोन की लीज जनवरी में खत्म होने की कगार पर थी. जिसके बाद पहले मार्च और उसके बाद 220-230 मिलियन डॉलर की लागत से चार साल के लिए और विस्तार के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं. रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो भारत-अमेरिका एमक्यू9बी सौदा इंडो-पैसिफिक में एक गेम चेंजर साबित होगा. भारत का ये नया ड्रोन चीन के विंग लूंग II सशस्त्र ड्रोन के लिए एक प्रभावी काउंटर के रूप में काम करेगा. जिसे चीन के द्वारा पाकिस्तानी आर्मी को बेचा गया है.