India News (इंडिया न्यूज़), Delhi:  हिंदी दिवस पर देश ही नहीं दुनियाभर में रहने वाले भारतीयों ने कार्यक्रमों का आयोजन किया। हिंदी हमारी मातृभाषा है। लेकिन अक्सर ये कहा-सुना जाता रहा है कि 14 सितंबर को हिंदी दिवस के दिन ही सभी हिंदी-हिंदी करते हैं फिर सालभर कोई याद नहीं रखता है। हालांकि पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकार ने हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कई कदम उठाए हैं।

हिंदी को प्रोत्साहित करते हुए केंद्र सरकार मेडिकल की पढ़ाई भी हिंदी में कराने की शुरुआत कर चुकी है। दक्षिण भारत में हिंदी को लेकर विरोध के स्वर उठते रहे हैं। वहीं हिंदी को लेकर लोग क्या सोचते हैं, हिंदी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है? ऐसे कुछ अहम सवालों को लेकर आज हम आपके सामने आकड़े पेश करने जा रहें है।

जनता से चार सवाल पूछे

इससे पहले इंडिया न्यूज़ (India News) आपका इस बाद में ध्यान केंद्रित करना चहाता है कि इन आकड़ों को हमने आम जनता का बीच सर्वे के माध्यम से निकाला है। हमने इन अकड़ों को निकालने के लिए  जनता से चार सवाल पूछे, उन सवालों और उनके जवाबों को आप यहां तस्वीरों में देख सकते हैं।

  • पहला सवाल- क्या हर हिंदुस्तानी के लिए हिंदी सीखना अनिवार्य कर देना चाहिए? 

जवाब- 

बता दें कि आंकड़े हमारे, फैसला आपके के लिए आम जनता के बीच सर्वे कराया। आंकड़े हमारे, फैसला आपका में हम ज्वलंत मुद्दों पर आंकड़ों के जरिए पूरे तथ्य को आपके सामने रखते हैं। सर्वे के जरिए लोगों की राय जानना भी हमारे शो का अहम हिस्सा है।

  • दूसरा सवाल- हिंदी के सम्मान के लिए सबसे ज्यादा किस प्रधानमंत्री ने काम किया?

जवाब-

आंकड़े हमारे, फैसला आपका के लिए हम दो तरह से सर्वे करते हैं। पहला, ग्राउंड पर जाकर और दूसरा टेलिफोनिक। ग्राउंड सर्वे को हम 80 प्रतिशत वेटेज देते हैं और टेलिफोनिक सवालों को 20 प्रतिशत।

  • तीसरा सवाल- क्या हिंदी के मुद्दे पर क्षेत्रीय दल वोट बैंक की राजनीति में उलझ जाते हैं?

जवाब-

हमारे लिए आपकी राय काफी अहमियत रखती है। आंकड़े हमारे, फैसला आपके में हम आपसे जुड़े हर मुद्दे को आंकड़ों के जरिए रखने की कोशिश करते हैं।

  • हिंदी का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए कौन से कदम उठाने चाहिए?

जवाब-

आप भी कोई राय देना चाहते हैं तो रोजाना रात 9 बजे इंडिया न्यूज़ पर आंकड़े हमारे, फैसला आपका देखिए और अपनी राय हमें इस rakeshshanu@gmail.com ई-मेल पर भेजिए। (राकेश रंजन, वरिष्ठ पत्रकार)

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