India News (इंडिया न्यूज)India-Pakistan War Tension: भारतीय सेना ने 6-7 मई की मध्य रात्रि को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमला किया था। इस हमले में 9 आतंकी लॉन्च पैड को निशाना बनाया गया था, जिसमें भारत सरकार ने 100 आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि की थी। इस सिलसिले में मारे गए कई आतंकियों के नाम भी जारी किए गए थे। इस लिस्ट में लश्कर का टॉप कमांडर अबू जिंदाल, मसूद अजहर का साला मोहम्मद जमील और कई अन्य आतंकी शामिल हैं। ऑपरेशन सिंदूर में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से जुड़े कई टॉप आतंकी मारे गए थे। ये आतंकी भारत में कई हमलों में शामिल रहे थे। भारतीय सेना के हवाई हमले में मौलाना मसूद अजहर के परिवार के 14 लोग मारे गए थे। इस पर मसूद अजहर ने कहा था कि काश भगवान उसे भी बुला लेते।
अबू जिंदाल मुरीदके स्थित मरकज तैयबा का प्रमुख और लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष आतंकवादी कमांडर था। पाकिस्तान की सरकार और सेना ने उसके अंतिम संस्कार में विशेष सम्मान दिया। पाक सेना प्रमुख और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने पुष्पांजलि अर्पित की और अंतिम संस्कार सरकारी स्कूल परिसर में किया गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान सरकार और लश्कर के बीच गहरे संबंध हैं।
वह मौलाना मसूद अजहर का सबसे बड़ा साला था और बहावलपुर स्थित मरकज ‘सुभान अल्लाह’ का प्रमुख था। वह जैश में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और आतंकवादी संगठन के लिए धन जुटाने का काम करता था।
यूसुफ अजहर मसूद अजहर का दूसरा साला था, जो आतंकी संगठन जैश के हथियार प्रशिक्षण शिविर को संभालता था। वह जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं में शामिल था और वर्ष 1999 में आईसी-814 विमान अपहरण मामले में भी वांछित था।
इस आतंकी का जम्मू-कश्मीर में कई हमलों में हाथ शामिल था और यह अफगानिस्तान से हथियारों की तस्करी का बड़ा नेटवर्क संचालित करता था। खालिद को फैसलाबाद में दफन किया गया, जिसमें पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी और डिप्टी कमिश्नर तक शामिल हुए थे
वह मुफ्ती असगर खान कश्मीरी का बेटा था, जो पीओके में जैश का ऑपरेशनल कमांडर था। हसन ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों के समन्वय में अहम भूमिका निभाई थी।
जिस तरह से इन आतंकवादियों को राजकीय सम्मान और सैन्य मौजूदगी के साथ अंतिम विदाई दी गई, उससे यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान की सेना और सरकार न केवल आतंकवादियों की रक्षा करती है, बल्कि उन्हें आंतरिक समर्थन भी देती है। यह न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे वैश्विक समुदाय के लिए चिंता का विषय है।