इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Indian Students From Ukraine Gave Message Through Video: यूक्रेन रूस युद्ध में फंसे मेडिकल यूनिवर्सिटी के भारतीय छात्रों ने भारतीय एम्बेसी की नाकामी को जिम्मेदार बताते हुए खुद ही 45 किलोमीटर दूर रशियन बॉर्डर की तरफ निकल पड़े। छात्रों ने निकलने से पहले वीडियो जारी कर मैसेज दिया है कि अगर रास्ते में उनकी जान को किसी भी तरह का खतरा होता है तो सरकार और एम्बेसी की जिम्मेदार होगी। वहीं भारतीय एम्बेसी अब भी छात्रों को धैर्य रखने की अपील कर रही है। उधर विदेश मंत्रालय ने भारतीय छात्रों को सतर्क और सुरक्षित रहने के लिए कहा है।

‘बर्फ पिघलाकर पानी का करना पड़ रहा इंतजाम’

  • आपको बता दें कि सोशल मीडिया में जो वीडियो जारी हुआ है वह यूक्रेन के सूमी शहर में फंसे मेडिकल यूनिवर्सिटी के भारतीय छात्रों का है। छात्रों ने बताया है कि उन्होंने युद्ध शुरू होने के बाद से ही यहां बंकरों में पनाह ले रखी थी। उन्होंने खाने-पीने का जो कुछ भी सामान एकत्र कर रखा था, वह खत्म होने को है।
  • एक समय खाकर किसी तरह गुजारा कर रहें, जब यहां के पावर प्लांट पर रूस ने बमबारी की और बिजली कट गई। इसकी वजह से पानी की भी दिक्कत होने लगी, जिसके बाद बर्फ पिघलाकर पानी का इंतजाम करना पड़ा। छात्रों का कहना है कि बिजली नहीं होने से उनके मोबाइल भी चार्ज नहीं हो पा रहे हैं और अब उनके अपने ही परिवारों से पूरी तरह कट जाने का खतरा पैदा हो गया है।

क्यों आपरेशन गंगा को फेल माना जाएगा?

वीडियो में एक छात्र ने बताया कि हम सूमी स्टेट यूनिवर्सिटी के छात्र हैं। हमें जानकारी मिली है कि रूस ने यूक्रेन के मारियुपोल और वोलनोवखा में सीजफायर का ऐलान किया है। मारियुपोल सूमी से 600 किलोमीटर दूर है। सुबह से यहां लगातार गोलीबारी, बमबारी और गलियों में लड़ाई की आवाजें आ रही हैं। हमने बहुत इंतजार किया, लेकिन अब और नहीं। हम अपनी जिंदगी रिस्क में डाल रहे हैं। हम बॉर्डर की तरफ जा रहे हैं। अगर हमें कुछ होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी भारत सरकार और यूक्रेन में भारतीय एम्बेसी की होगी। अगर हममें से किसी को भी कोई नुकसान पहुंचता है तो आॅपरेशन गंगा को पूरी तरफ से फेल माना जाएगा।

‘चार घंटे का सफर, 20 घंटे में हुआ पूरा’  (Indian Students From Ukraine Gave Message Through Video)

  • कुछ छात्रों ने बताया कि यूक्रेन की राजधानी कीव से बॉर्डर पार करके चेकोस्लोवाकिया पहुंचे। बॉर्डर तक पहुंचने में उन्हें किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली। चेकोस्लोवाकिया बॉर्डर क्रॉस करने के बाद इंडियन एम्बेसी के लोग मिले। छात्रों ने बताया कि यूक्रेन का मंजर दिल दहलाने वाला है।
  • जगह-जगह फौजियों की लाशें पड़ी हैं। मेरे सामने कई जगह धमाके हुए। जिस ट्रेन से हमें बॉर्डर तक जाना था, उसमें चढ़ना आसान नहीं था। लोग धक्का देकर हमें गिरा रहे थे। ज्यादातर यूक्रेन के लोगों को ही ट्रेन में चढ़ने दिया जा रहा था। ट्रेनें ओवरलोड होने की वजह से पटरियों को भी खतरा था। इसे ध्यान में रखते हुए ट्रेनें धीमी रफ्तार से चलाई जा रही थीं। चार घंटे का सफर 20 घंटे में पूरा हुआ।

छात्रों के परिवारों में मचा कोहराम

बताया जाता है कि वीडियो जारी करने के बाद छात्रों का ये दल एक बस में सवार होकर रूस बॉर्डर की तरफ रवाना हो गया। इनके परिवारों का कहना है कि इन बच्चों से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा। माता पिता ने सरकार से गुहार की है कि किसी तरह इन बच्चों का पता लगाया जाए। अधिकारियों को मौके पर भेजा जाए या रूस के अधिकारियों से इनके लिए बात की जाए।

Indian Students From Ukraine Gave Message Through Video

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