-WHO ग्लोबल सेंटर स्थापित करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

Indian Traditional Medicine System विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को अपनी स्वीकृति दे दी है। इससे एक बार फिर साफ हो गया है कि दुनियाभर में हमारे देश की  पुरानी चिकित्सा पद्धति का बोलबाला है। बता दें कि विश्वभर में हमारे देश की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली पहले से ही जानी जाती है। केंद्र की मोदी सरकार और डब्ल्यूएचओ के बीच पारंपरिक चिकित्सा के लिए डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर (WHO Global Center) स्थापित करने के मकसद से एक समझौते पर करार किया गया है।

194 में से 170 सदस्य देश पहले ही स्वीकार कर चुके हैं, जामनगर में बनेगा सेंटर

डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर स्थापित करने के लिए आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच एक समझौता हुआ और जीसीटीएम की स्थापना गुजरात के जामनगर की जाएगी। गौरतलब है कि दुनिया की लगभग 80 प्रतिशत आबादी पारंपरिक चिकित्सा का इस्तेमाल करती है। अब तक डब्ल्यूएचओ के 194 सदस्यों देशो में से 170 ने पारंपरिक चिकित्सा के उपयोग की बात स्वीकार कर ली है।

मोदी सरकार की 250 मिलियन डॉलर के निवेश की तैयारी

केंद्र की मोदी सरकार पारंपरिक चिकित्सा के लिए स्थापित किए जाने वाले इस वैश्विक ज्ञान केंद्र में 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने की तैयारी में है। प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी ने डब्ल्यूएचओ के साथ ग्लोबल सेंटर स्थापित करने को लेकर समझौते पर हुए हस्ताक्षर पर खुशी जताई है। उन्होंने ट्वीट कर इसके लिए बधाई दी है।

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जानिए पीएम मोदी ने क्या कहा

पीएम मोदी ने कहा, डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फार ट्रेडिशनल मेडिसिन हमारे देश की समृद्ध पारंपरिक प्रथाओं का फायदा उठाने में बेहतर योगदान देगा। उन्होंने कहा, इससे न केवल एक स्वस्थ ग्रह बनेगा बल्कि इसके अलावा वैश्विक तौर पर लोगों की भलाई के लिए भी यह एक बड़ा कदम उभरकर सामने आएगा। पीएम ने कहा, विभिन्न पहलों के जरिये हमारी सरकार उपचारात्मक स्वास्थ्य व निवारक सेवा सभी के लिए सुगम व सस्ती बनाने के अपने हर संभव प्रयास में जुटी है और आगे भी हमारी यह कोशिश जारी रहेगी।

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