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प्रधानमंत्री बनने से पहले ही इंदिरा ने ले लिया था ऐसा फैसला, पंडित नेहरू की लोकतांत्रिक छवि हुई थी धूमिल, पति फिरोज ने बता दिया फासीवादी

India News (इंडिया न्यूज़), Indira Gandhi Birth Anniversary: आज भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 107वीं जयंती है। ऐसे में आज हम उनके जीवन से जुड़ी कुछ अनसुनी किस्सों के बार में बात करेंगे। उनके पिता और पति के साथ संबंध कैसे थे और आखिर क्यों वो अपने पिता के घर रहने आ गई थीं। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, अपनी शादीशुदा जिंदगी से बेहद नाखुश थीं। उनके पति फिरोज गांधी से उनके रिश्ते इस हद तक बिगड़ गए कि वह अपने पिता के घर चली गईं। लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू न सिर्फ उनके पिता थे, बल्कि देश के प्रधानमंत्री भी थे। उनका घर तीन मूर्ति भवन प्रधानमंत्री का आधिकारिक निवास था।

इंदिरा अपने पिता के फैसलों को कर रही थीं प्रभावित

हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जीवनकाल में ही इंदिरा गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बन गई थीं। वह अपने पिता के फैसलों को भी प्रभावित कर रही थीं। आजाद भारत में किसी निर्वाचित सरकार को बर्खास्त करने का पहला फैसला पंडित नेहरू के प्रधानमंत्री काल में ही लिया गया था। दिलचस्प बात यह है कि कट्टर लोकतंत्रवादी नेहरू को यह अपमान अपनी बेटी इंदिरा की वजह से मिला। विरोधियों ने ही नहीं, बल्कि उनके पति फिरोज गांधी ने भी इंदिरा को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया और उन्हें फासीवादी कहा। 

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इस वजह से पंडित नेहरू की छवि को लगा गहरा धक्का

केरल सरकार को बर्खास्त करने के फैसले ने पंडित नेहरू की लोकतांत्रिक छवि को गहरा धक्का पहुंचाया था। नेहरू के जीवनी लेखक एस गोपाल के अनुसार, यह ऐसा फैसला था, जिसने नेहरू की प्रतिष्ठा को धूमिल किया और उन्हें कमजोर किया। हालांकि, इंदिरा इसे अपना फैसला मानने से इनकार करती रहीं। उन्होंने कहा, “मार्क्सवादियों ने हमेशा मुझे सरकार गिराने के लिए दोषी ठहराया है। लेकिन केंद्र की सहमति के बिना ऐसा नहीं हो सकता था। मेरे पिता और फिरोज इससे खुश नहीं थे। 

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तब के गृह मंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने कही थी ये बात

केरल सरकार को बर्खास्त करने के फैसले को सही ठहराते हुए उस समय के गृह मंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने कहा कि ऐसा ही होना चाहिए था।” इंदिरा ने बाद में भले ही बर्खास्तगी के इस फैसले से अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की हो, लेकिन फिरोज गांधी ने इसके लिए उन्हें पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया। स्वीडिश लेखक और पत्रकार बर्टिल फॉक ने अपनी किताब “फिरोज: द फॉरगॉटन गांधी” में जनार्दन ठाकुर के हवाले से लिखा है कि जैसे ही फिरोज को इंदिरा की जिद के बारे में पता चला, वे भी बहुत नाराज हुए। लंच के दौरान कई बार झगड़े हुए और फिरोज ने इंदिरा को फासीवादी तक कह दिया।

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Sohail Rahman

पत्रकारिता में 5 साल का अनुभव है। करियर की शुरुआत इंशॉट्स से की थी, जहां करीब 5 साल काम किया।अब इंडिया न्यूज में कंटेंट राइटर के तौर पर कार्य कर रहा हूं। यहां राजनीति, खेल, मनोरंजन, धर्म, हेल्थ और विदेश की खबरों को लिखता हूं।

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