India News (इंडिया न्यूज), Indore-3 Assembly Constituency: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर अब कुछ ही दिन ही रह गये हैं। जिसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपनी तैयारियां काफी जज्बा और जुनून के साथ शुरू कर दी है। वहीं इसी बीच हम बात करें इंदौर के इंदौर-3 विधानसभा सीट की तो यहां की सीट दोनों ही पार्टियों के लिए काफी अहम मानी जाती है। दोनों पार्टी यहां पर अपना दबदबा चाहती है। जिसके लिए पार्टी कई तरह-तरह के दाव पेंच लगा रही है। इस सीट पर अभी तो बीजेपी लगातार दुसरी बार अपना कब्जा कायम की हुई है साथ ही उसकी कोशिश है कि यहां से जीत की हैट्रिक लगाये लेकिन कांग्रेस भी इस सीट को पाने के लिए रणनीति तैयार कर रही है।
दरअसल इस सीट मतदाताओं ने दोनों ही पार्टियों को समान रूप से जीताया है। लेकिन पिछले कुछ विधानसभाओं की बात करें तो यहां पर बीजेपी ने अपने अलग-अलग प्रत्याशियों को खड़ा करके इस सीट को अपने नाम किया है। वहीं कांग्रेस ने पिछले कुछ सालों से इस सीट पर एक ही चेहरे को उतार रही है। जिससे वह लगातार हार झेल रही है। वहीं 2018 के चुनाव में बीजेपी के कैलाश विजयवर्गीय ने इस कांटेदार मुकाबले में 5,751 मतों के अंतर से कांग्रेस के अश्विन जोशी को मात दिया था।
इंदौर-3 सीट पर कितने वोटरों की आबादी
इंदौर-3 के आबादी की बात करें तो 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल 2,07,976 वोटर्स शामिल हुए थे जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,06,540 रही जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1,01,404 थी। जिनमें से 1,30,178 मतदाताओं ने वोट दिये थे और 1,447 लोगों ने नोटा को वोट दिया था। इस सीट पर मैदान में 10 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला हुआ था। लेकिन मुख्य रुप से यह मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच रहा।
इंदौर-3 विधानसभा सीट पर बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय विधायक निर्वाचित हुए हैं तो वहीं इस विधानसभा पर पहले बीजेपी की ही उषा ठाकुर विधायक रही। बता दें कि इस विधानसभा पर सन 1977 में जनता पार्टी के राजेंद्र धरकर ने चुनाव जीता था, उसके बाद वह कांग्रेस के महेश जोशी से हार खानी पड़ी। जिसके बाद 1980 से 1985 तक महेश जोशी इस सीट पर कायम रहे। लेकिन 1990 में महेश जोशी को बीजेपी के गोपी कृष्णा नेमा ने हरा दिया।
क्या है इस सीट का राजनीतिक इतिहास
फिर 1990 से 93 तक गोपी कृष्णा नेमा ही इस सीट पर अपना दबदबा बनाये रखा और बीजेपी के खाते में यह सीट रही। लेकिन 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अश्विन जोशी जो गोपी कृष्णा नेमां को हराकर कांग्रेस की झोली में इस सीट को डाल दी और 2003 में अश्विन जोशी ही यह सीट पर विधायक बने रहे और 2008 के विधानसभा चुनाव में भी अश्विन जोशी कांग्रेस उम्मीदवार रहे और एक बार फिर इस सीट को जीत ली, लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अश्विन जोशी को बीजेपी की ओर से उम्मीदवार उषा ठाकुर ने हरा दिया और फिर इस सीट को बीजेपी अपना दबदबा कायम कर ली। इसके बाद फिर उषा ठाकूर इस विधानसभा को छोड़कर महू चली गई और इस विधानसभा पर फिर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को बीजेपी ने टिकट दे दिया और आकाश ने इस सीट को बीजेपी नाम कर दिया।
ब्राह्मण-मुस्लिम वोटर्स का इस सीट पर दबदबा
इंदौर-3 नंबर इंदौर विधानसभा सीट इंदौर की सबसे पुरानी विधानसभा सीटों में से एक मानी जाती है और पुराना इंदौर इसी विधानसभा में आता है। इस विधानसभा का अधिकतर हिस्सा व्यापारिक क्षेत्र में आता है, जहां पर जेल रोड जैसा मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा मोबाइल मार्केट भी मौजूद है तो वहीं व्यापारिक दृष्टि से कोठारी मार्केट और सियागंज जैसा किराना मार्केट भी मौजूद है तो वहीं छावनी में इलेक्ट्रॉनिक सामान को साथ ही अन्य सामानों का मार्केट मौजूद है। यह दोनों ही मार्केट से पूरे मध्य प्रदेश को सप्लाई करता है।
इस विधानसभा सीट पर ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाता ही इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। दोनों ही समाजों ने जिस प्रत्याशियों को अपना बहुमत दिया है, उस प्रत्याशी की विजय इस सीट से हो जाती है। इंदौर का हृदय कहा जाने वाला राजवाड़ा भी इसी विधानसभा में आता है।
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