(दिल्ली) : भारतीय नौसेना में जल्द ही पांचवीं कलवारी सबमरीन ‘आईएनएस वागीर‘ को शामिल किया जाएगा। इसके कॉक्सवेन दलजिंदर सिंह ने शनिवार को कहा कि अगर भारत और चीन के बीच युद्ध छिड़ता है तो सबमरीन किसी भी खतरे का सामना करने के लिए तैयार है। बता दें, कलवारी कैटगरी के सबमरीन को 23 जनवरी को आधिकारिक रूप से नौसेना में शामिल किया जाएगा। जानें एडवांस्ड सबमरीन आईएनएस वागीर की बड़ी ताकत।
नौसेना चीफ करेंगे कमीशन
मालूम हो, आईएनएस वगीर को मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया है। स्वदेशी सबमरीन के कमिश्निंग समारोह में नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार मुख्य अतिथि होंगे। इसे बनाने में फ्रांस के नेवल ग्रुप ने सहयोग किया है। बता दें, कलवारी कैटगरी के चार सबमरीन को पहले ही नौसेना में शामिल किया जा चुका है।
बता दें, सबसे पहले 1973 में 1 नवंबर को पहले वागीर सबमरीन को नौसैन्य बेड़े में शामिल किया गया था, जिसने कई बड़े ऑपरेशनल मिशन को अंजाम दिए। बाद में 2001 में 7 जनवरी को इस सबमरीन को डी-कमिशन कर दिया गया था। नवंबर 2020 में इसे नए अवतार के साथ फिर लॉन्च किया गया। इसके पूरा होने के बाद फरवरी 2022 में इसे ट्रायल के लिए समुद्र में उतारा गया था। वहीं दिसंबर 2022 में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने नौसेना को सौंपा था।
द सैंड शार्क
वागीर को ‘द सैंड शार्क’ भी कहा जाता है, जो भारत के समुद्री हितों को बढ़ाने में नौसेना को बढ़ावा देगा। सबसे खास बात तो ये है कि इस सबनरीन के एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, इंटेलिजेंस गेदरिंग, माइन लेइंग और सर्विलांस मिशनों के लिए खासतौर पर डिजाइन किया गया है।
दुश्मन को नेस्तनाबूद करने में सक्षम
एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में कॉक्सवेन दलजिंदर सिंह ने कहा, “यह पनडुब्बी भारतीय नौसेना की नवीनतम तकनीक है। यह एक साइलेंट सबमरीन है। यह बेहतरी किस्म के एंटी-सबमरीन वेपंस से लैस है। इसमें खास किस्म के रडार सिस्टम लगे हैं, जो दूर से ही दुश्मन को पहचान उसे नेस्तनाबूद करने में सक्षम है।
वहीँ, कमांडिंग ऑफिसर सीडीआर दिवाकर एस ने बताया, “आईएनएस वागीर को तट के साथ-साथ मध्य महासागर दोनों के करीब तैनात किया जा सकता है। यह नौसेना और देश की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार होगा। वागीर भारत के लिए काफी अहम सबमरीन साबित होगा।