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क्या भारत में मौत की सजा संवैधानिक है? AI वकील का जवाब सुन दंग रह गए CJI चंद्रचूड़, दुनिया भर में हो रही है चर्चा

India News (इंडिया न्यूज),CJI DY Chandrachud:कोर्ट रूम के बाहर कोर्ट के सवाल-जवाब कितने जीवंत होते हैं, इसकी एक झलक गुरुवार को तब देखने को मिली जब देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) वकील से बातचीत की। सीजेआई ने एआई वकील से सवाल पूछा और एआई वकील ने पूरे हाव-भाव से उसका जवाब दिया। सीजेआई ने एआई वकील से पूछा कि क्या भारत में मौत की सजा संवैधानिक है? एआई वकील का जवाब था- हां। वकील की ड्रेस में कोट पहने सीधे खड़े नजर आए एआई वकील ने पहले दोनों हाथों को बाजुओं पर रखा, अंगुलियों को ऐसे हिलाया जैसे सोच कर जवाब देंगे और फिर दोनों हाथ खोलकर वकील की तरह बहस करने वाले अंदाज में जवाब दिया- हां, भारत में मौत की सजा संवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक यह दुर्लभ मामलों में दी जाती है। यह सजा बेहद जघन्य और घिनौने अपराधों में दी जाती है।

एआई वकील से इतना सटीक जवाब सुनकर सीजेआई ने वहां मौजूद साथी जजों की तरफ देखा और मुस्कुराए। वहां मौजूद अन्य जजों ने भी सुप्रीम कोर्ट के राष्ट्रीय न्यायिक संग्रहालय और अभिलेखागार में इस जीवंत एहसास को महसूस किया और अपनी सराहना व्यक्त की। एआई वकील के साथ सीजेआई की यह बातचीत गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय न्यायिक संग्रहालय और अभिलेखागार के उद्घाटन के दौरान हुई। सुप्रीम कोर्ट परिसर में स्थित पुरानी जज लाइब्रेरी को नए संग्रहालय में बदल दिया गया है।

संग्रहालय का उद्घाटन

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने गुरुवार को इस संग्रहालय का उद्घाटन किया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की कार्यकारी समिति ने समारोह का बहिष्कार किया। एससीबीए ने पहले एक प्रस्ताव पारित कर पुरानी जज लाइब्रेरी को संग्रहालय में बदलने का विरोध किया था और उस स्थान पर एक नया कैफेटेरिया बनाने का प्रस्ताव रखा था।

एससीबीए ने कहा कि मौजूदा कैफेटेरिया वकीलों की जरूरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। राष्ट्रीय न्यायिक संग्रहालय एवं अभिलेखागार का उद्घाटन करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस नए संग्रहालय में मौजूद चीजें सुप्रीम कोर्ट के चरित्र और लोकाचार को प्रदर्शित करती हैं। वे सुप्रीम कोर्ट के महत्व को दर्शाती हैं।

संग्रहालय युवा पीढ़ी के लिए एक संवादात्मक स्थान बने-सीजेआई चंद्रचूड़

उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि यह संग्रहालय युवा पीढ़ी के लिए एक संवादात्मक स्थान बने। स्कूलों और कॉलेजों के बच्चे, नागरिक जो जरूरी नहीं कि वकील हों, वे यहां आएं और उस हवा में सांस लें जो हम (जज) हर दिन यहां कोर्ट में लेते हैं ताकि उन्हें कानून के शासन और जजों और वकीलों के काम का लाइव अनुभव हो और इसका महत्व पता चले।

मुख्य न्यायाधीश ने सभी से संग्रहालय देखने आने का अनुरोध किया और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनके उत्तराधिकारी अगले सप्ताह युवा पीढ़ी के लिए भी इस स्थान को खोल देंगे। संग्रहालय में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा शुरू से लेकर आज तक इस्तेमाल की जाने वाली कुर्सियां ​​भी हैं। यहां कोर्ट और कानून से जुड़ी कई चीजें प्रदर्शित की गई हैं।

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Divyanshi Singh

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