India News (इंडिया न्यूज़), Israel Hamas War: युनाइटेड नेशन में भारत के स्टैंड को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर की प्रतिक्रिया आई है। दरअसल, इजरायल हमास के बीच जारी जंग को लेकर शांति और फिलिस्तीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए जार्डन द्वारा लाए गए प्रस्ताव में वोटिंग के दौरान भारत ने दूरी बनाकर रखी थी। इसके लेकर विपक्ष तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही है। वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अब इसपर अपनी बात रखी है।
हालांकि विदेश मंत्री ने अपने बयान में सीधे तौर पर इजरायल हमास यु्द्ध और यूएन पर भारत के स्टेंड का जिक्र नहीं किया है, लेकिन उनके इस बयान को इससे जोड़कर देखा जा रहा है।
जयशंकर ने क्या कहा
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अगर भारत दूसरे देशों पर असर डालने वाले आतंकवाद को गंभीर नहीं मानता तो उसकी कोई विश्वसनीयता नहीं होती। जयशंकर ने कहा,
“हम आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाते हैं क्योंकि हम आतंकवाद के बड़े पीड़ित हैं। हमारी कोई विश्वसनीयता नहीं होगी अगर हम ये कहें कि जब आतंकवाद हम पर प्रभाव डालता है तो ये गंभीर है, जब ये किसी अन्य के साथ होता है तो ये गंभीर नहीं है। हमें एक समान स्थिति बनाए रखने की जरूरत है।”
बता दें कि जयशंकर ने भोपाल में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए उन्होंने भारत के विभिन्न विदेशी मामलों के रुख के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह घर में सुशासन जरूरी है, उसी तरह विदेश में भी सही निर्णय जरूरी है।
यूक्रेन का दिया उद्धाहरण
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आगे कहा कि मैं आपको यूक्रेन का उदाहरण दूंगा। मुझे पता है कि इस बात पर बहुत ध्यान दिया गया था कि हमने रूस से तेल खरीदने के अपने अधिकार के बारे में कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि आप सोचें, अगर हम दबाव के आगे झुक गए होते तो सोचिए कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत कितनी अधिक होती। सोचिए देश में कितनी ज्यादा महंगाई बढ़ गई होगी। उन्होंने आगे कहा कि यूरोप के वही देश जिन्होंने कहा था कि वे रूस से तेल नहीं खरीदते, वे इसे खरीद रहे थे और यह सुनिश्चित कर रहे थे कि उनके लोग प्रभावित न हों।
संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्टेंड
बता दें कि यूएन में जार्डन के युद्ध शांति पर लाए गए प्रस्ताव पर 140 देशों ने समर्थन पर वोटिंग की, वही अमेरिका, इजरायल समेत 14 देशों ने इस प्रस्ताव के विरोध में वोट डाले थे। वहीं, भारत, कनाडा और ब्रिटेन 40 देशों ने यूएन में वोटिंग के दौरान दूरी बनाने का फैसला लिया था। हालांकि ये प्रस्ताव बहुमत के साथ यूएन में पारित हो गया। भारत के इस स्टेड पर संयुक्त राष्ट्र में उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा कि आतंकवाद एक घातक बीमारी है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्र या नस्ल नहीं होती। पटेल ने वोटिंग पर भारत का रुख को साफ करते हुए कहा कि दुनिया को आतंकी कृत्यों के औचित्य पर विश्वास नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम मतभेदों को दूर रखें और एकजुट से आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता का दृष्टिकोण अपनाएं।
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