Jairam Ramesh On Cheetah Project: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने जन्मदिन के मौके पर कुनो नेशनल पार्क में चीतों को बाड़ों में छोड़ा है। पीएम ने इस दौरान अपने संबोधन में कहा कि “जब समय का चक्र हमें अतीत को सुधारकर नए भविष्य के निर्माण का मौका देता है। आज सौभाग्य से हमारे सामने एक ऐसा ही क्षण है। दशकों पहले जैव विविधता की जो कड़ी टूट गई थी, आज उसे जोड़ने का हमें मौका मिला है। आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं।” जिसके बाद कांग्रेस हमलावर हो गई है।
राष्ट्रीय मुद्दों को दबाने का प्रयास
आपको बता दें कि कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा है कि “पीएम शासन में निरंतरता को शायद ही कभी स्वीकार करते हैं। चीता प्रोजेक्ट के लिए 25/04/2010 को केपटाउन की मेरी यात्रा का ज़िक्र तक न होना इसका ताज़ा उदाहरण है। आज पीएम ने बेवजह का तमाशा खड़ा किया। ये राष्ट्रीय मुद्दों को दबाने और #BharatJodoYatra से ध्यान भटकाने का प्रयास है।”
चीता प्रोजेक्ट के लिए दी शुभकामनाएं
अपने अगले ट्वीट में जयराम रमेश ने कहा कि “2009-11 के दौरान जब बाघों को पहली बार पन्ना और सरिस्का में स्थानांतरित किया गया तब कई लोग आशंकाएं व्यक्त कर रहे थे। वे गलत साबित हुए। चीता प्रोजेक्ट पर भी ठीक उसी तरह की भविष्यवाणीयां की जा रही हैं। इसमें शामिल प्रोफेशनल्स बहुत अच्छे हैं। मैं इस प्रोजेक्ट के लिए शुभकामनाएं देता हूं!”
नामीबिया से भारत लाए गए इन चीतों को पीएम मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में बॉक्स को खोलकर तीन चीतों को क्वारंटीन बाड़े में छोड़ा है। जिसके बाद प्रधानमंत्री ने इनकी तस्वीरें खींची। प्रधानमंत्री मोदी ने चीतों को छोड़ने के बाद देश को संबोधित किया।
पुर्नवास के लिए नहीं किया गया कोई प्रयास
पीएम ने कहा कि “हमने पिछली सदी में वो समय भी देखा है जब प्रकृति के दोहन को शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक मान लिया गया था। साल 1947 में जब देश में सिर्फ आखिरी तीन चीते बचे थे तो उनका भी शिकार कर लिया गया। यह दुर्भाग्य रहा है कि हमने साल 1952 में चीतों को विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुर्नवास के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया। आज आजादी के अमृतकाल में देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास में जुट गया है। अमृत में वह ताकत होती है जो मृत को भी पुनर्जीवित कर सकता है।”