India News (इंडिया न्यूज)Jaya Bachchan in Rajyasabha: राज्यसभा में समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन एक बार फिर उस वक्त नाराज हो गईं, जब उन्हें ‘जया अमिताभ बच्चन’ कहकर संबोधित किया गया। बुधवार को राज्यसभा में चर्चा के दौरान पीठासीन सभापति बीरेंद्र प्रसाद वैश्य ने उन्हें ‘आव्रजन और विदेशी विधेयक 2025’ पर बोलने के लिए आमंत्रित किया। सभापति ने कहा, अगले वक्ता ‘श्रीमती जया अमिताभ बच्चन’। यह सुनते ही जया बच्चन कार्यवाही के दौरान नाराज हो गईं। अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए सपा सांसद ने कहा कि आप मेरी बहुत पुरानी दोस्त हैं। इतने सालों से आप मुझे जया जी कहकर बुलाया करते थे।
सपा सांसद ने राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत की और पीठासीन सभापति से अपनी शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि आप मेरी बहुत पुरानी दोस्त रही हैं। अब मैं आपको क्या बताऊं? कोई दिक्कत नहीं है। कभी आप हमारे (विपक्षी दल) साथ थे। आज आप उनके (सत्ता पक्ष) साथ हैं। इसलिए मुझे जया अमिताभ बच्चन कहा जा रहा है। इतने सालों से आप मुझे जया जी कहकर बुलाते थे। कोई बात नहीं।
यह पहली बार नहीं है जब जया बच्चन ने अपने पति के नाम के साथ नाम जोड़े जाने पर आपत्ति जताई हो। इससे पहले 29 जुलाई 2024 को उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने भी उन्हें ‘श्रीमती जया अमिताभ बच्चन’ कहा था। उस समय जया बच्चन दिल्ली में हुए एक कोचिंग सेंटर हादसे पर अपने विचार रखने वाली थीं। इस संबोधन पर नाराजगी जताते हुए जया ने कहा था कि सर, सिर्फ जया बच्चन कहना ही काफी है। महिलाओं के नाम के साथ उनके पति का नाम जोड़ने की यह नई परंपरा ठीक नहीं है।
सपा सांसद ने कहा था कि इस तरह का संबोधन महिलाओं के स्वतंत्र अस्तित्व को नकारने जैसा है। उनकी इस भावुक प्रतिक्रिया ने सदन में मौजूद सदस्यों को हैरान कर दिया था। राज्यसभा में जया बच्चन के नाम को लेकर उठे विवाद पर उपसभापति हरिवंश ने सफाई दी थी कि सरकारी अभिलेखों में जया बच्चन का पूरा नाम जया अमिताभ बच्चन दर्ज है।
हरिवंश ने कहा था कि इसी वजह से नाम पुकारते समय यही पढ़ा गया। अगले दिन 30 जुलाई को स्पीकर जगदीप धनखड़ ने भी इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि नाम पुकारने में कोई गलती नहीं हुई, क्योंकि सदन में रिकॉर्ड के आधार पर ही नाम पुकारे जाते हैं।
आव्रजन एवं विदेशी विधेयक 2025 पर चर्चा में भाग लेते हुए सपा सांसद ने शरणार्थी की परिभाषा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सदन का मतलब सिर्फ हम नहीं, बल्कि हम सभी से है। इस विधेयक में इसकी कमी है। इसलिए इस विधेयक को स्थायी समिति को दिया जाना चाहिए। हमें घुसपैठिए और शरणार्थी की सही परिभाषा तय करनी है। पहले हम कहते थे कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले लोग शरणार्थी हैं। अब आपकी सरकार ने परिभाषा बदल दी है। उन्होंने विधेयक की भाषा पर भी सवाल उठाया।