होम / सोने से किस्मत लिखाकर लाए हैं झारखंड के ये चाचा-भतीजा, जिस सीट को छूते हैं वहीं मिल जाती है, नहीं सुनी होगी सौभाग्य की ऐसी कहानी

सोने से किस्मत लिखाकर लाए हैं झारखंड के ये चाचा-भतीजा, जिस सीट को छूते हैं वहीं मिल जाती है, नहीं सुनी होगी सौभाग्य की ऐसी कहानी

Ankita Pandey • LAST UPDATED : October 24, 2024, 1:13 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), Jharkhand Assembly Election: झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलने वाला है। जेएमएम और बीजेपी के बीच मुकाबले ने इसे और दिलचस्प बना दिया है। कुछ ऐसा ही हाल हजारीबाग जिले के बरकट्ठा विधानसभा का भी है। दरअसल, पिछले 15 सालों से इस सीट पर एक ही गांव के चाचा-भतीजे का दबदबा रहा है। पार्टी कोई भी हो, वे चुनाव लड़ते हैं और हर बार उनमें से कोई विधायक या करीबी प्रतिद्वंद्वी होता है।

इस बार समीकरण बदला हुआ है

इस बार समीकरण बदले हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल, 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें चाचा कहने वाले जानकी प्रसाद यादव बीजेपी से उम्मीदवार थे, लेकिन तब भतीजे कहे जाने वाले अमित कुमार यादव ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उन्हें हरा दिया था। फिलहाल अमित यहां से मौजूदा विधायक हैं। 2024 के चुनाव में समीकरण बदल गए हैं। अब चाचा जेएमएम में शामिल हो गए हैं और भतीजे को बीजेपी ने टिकट दे दिया है। ऐसे में पूरी विधानसभा इस बात का गणित लगा रही है कि वोटर किस करवट बैठेंगे।

इसलिए कहलाते हैं चाचा-भतीजा

आपको बता दें कि 2005 से अमित का परिवार या जानकी प्रसाद यादव बरकट्ठा विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। इस दौरान अमित के पिता चितरंजन यादव एक बार भाजपा से विधायक चुने गए। फिर बेटा अमित यादव एक बार भाजपा और एक बार निर्दलीय विधायक रहा। वहीं, जानकी प्रसाद यादव एक बार झाविमो प्रत्याशी के तौर पर विधायक चुने गए। जानकी यादव राजद और भाजपा से भी चुनाव लड़ चुके हैं। बता दें कि अमित कुमार यादव और जानकी प्रसाद यादव चलकुसा प्रखंड के चटकारी गांव के रहने वाले हैं। एक ही गांव के होने के कारण लोग इलाके की बोलचाल की भाषा में इन्हें चाचा-भतीजा कहते हैं।

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पिछले कुछ चुनाव नतीजों के आंकड़े

2019 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अमित यादव ने भाजपा के जानकी यादव को 24,812 वोटों से हराया था। इस चुनाव में अमित को 72,572 और जानकी को 47,760 वोट मिले थे। 2014 के चुनाव में जानकी यादव को 63,336 वोट मिले थे और अमित 8,207 वोटों से चुनाव हार गए थे। अमित को कुल 55,129 वोट मिले थे। 2009 के चुनाव के दौरान अमित के पिता और तत्कालीन विधायक चित्तरंजन यादव भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। लेकिन, चुनाव प्रचार के दौरान अचानक उनकी मौत हो गई। इसके बाद भाजपा ने आनन-फानन में अमित को चुनाव में उतारा और उन्होंने जेवीएम (पी) के जानकी यादव को 9,368 वोटों के अंतर से हरा दिया। इससे पहले 2005 के चुनाव में चित्तरंजन यादव भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। निर्दलीय उम्मीदवार दिगंबर मेहता दूसरे और राजद उम्मीदवार जानकी यादव तीसरे स्थान पर रहे थे। जानकी ने पहला चुनाव वर्ष 2000 में राजद के टिकट पर लड़ा था। इस चुनाव में सीपीआई उम्मीदवार भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने जीत दर्ज की थी।

ये दो उम्मीदवार बदल सकते हैं

समीकरण जानकारों का कहना है कि अमित और जानकी के अलावा दो और उम्मीदवारों के कारण 2024 का चुनाव रोमांचक होता जा रहा है। भाजपा से टिकट की दौड़ में शामिल बरकट्ठा जिला परिषद (भाग-8) सदस्य कुमकुम देवी ने टिकट कटने के बाद लोकहित अधिकार पार्टी में दावेदारी ठोक दी है। उन्होंने बुधवार को नामांकन दाखिल कर चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है। झारखंड में सबसे अधिक मतों के अंतर से जिला परिषद चुनाव जीतने का रिकॉर्ड कुमकुम देवी के नाम है। वहीं, 2019 के चुनाव में झाविमो से 33,500 से अधिक मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे बटेश्वर प्रसाद मेहता ने भी नामांकन के लिए पर्चा खरीद लिया है। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का एलान किया है। बाबूलाल मरांडी के करीबी होने के कारण उन्हें भाजपा टिकट का भी दावेदार माना जा रहा था। इचाक क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। बता दें कि इस सीट पर पहले चरण में 13 नवंबर को मतदान होगा।

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