J&k Higcourt on Paper Leak: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने एक बीएसएफ अधिकारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। यह अधिकारी कथित रूप से जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड पुलिस सब-इंस्पेक्टर भर्ती घोटाला मामले में मुख्य आरोपी है, कोर्ट ने कहा कि आर्थिक अपराधों में जमानत देना एक बड़े मामले को प्रभावित करता है।
- सब-इंस्पेक्टर भर्ती घोटाला की सुनवाई हो रही थी
- सीबीआई मामले की जांच रही है
- पेपर लीक पूरे समाज पर प्रभाव डालता है
न्यायमूर्ति संजय धर की पीठ ने आरोपी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कमांडेंट (मेडिकल) की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा, “एक व्यक्ति, जो प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित प्रश्नपत्रों की बिक्री और लीकेज को सुविधाजनक बनाने में शामिल है, हजारों युवा उम्मीदवारों के करियर और भविष्य के साथ खिलवाड़ करता है। इस तरह का कृत्य हत्या के अपराध से भी अधिक जघन्य है क्योंकि एक व्यक्ति की हत्या करके केवल एक परिवार प्रभावित होता है लेकिन हजारों उम्मीदवारों के करियर को बर्बाद करने से पूरे समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।”
पेशे से एक डॉक्टर
जमानत के लिए अपनी याचिका में आवेदक ने प्रस्तुत किया था कि उसे सीबीआई द्वारा उपरोक्त आपराधिक मामले में गलत और झूठे तरीके से फंसाया गया है, कि वह पेशे से एक डॉक्टर है जो सीमा सुरक्षा बल में सीएमओ/कमांडेंट मेडिकल का पद संभाल रहा है, बेदाग सेवा कर रहा है। याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि मामले में जांच पूरी हो गई है क्योंकि चार्जशीट जम्मू के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पहले ही दायर की जा चुकी है और इस आधार पर उन्होंने आग्रह किया कि याचिकाकर्ता को जमानत दी जानी चाहिए।
तर्क स्वीकार नहीं किया
चार्जशीट की जांच के बाद जस्टिस धर ने कहा कि यह सच है कि चार्जशीट पहले ही मजिस्ट्रेट के सामने रखी जा चुकी है, लेकिन चार्जशीट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि बड़ी साजिश का पता लगाने के लिए आगे की जांच, अपराध की कार्यवाही का पता लगाने, भूमिका स्थापित करने के लिए अन्य अभियुक्तों की जांच और प्राथमिकी में लगाए गए अन्य आरोपों की जांच चल रही है और इसलिए याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील का यह तर्क कि मामले में जांच पूरी हो चुकी है, स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
क्या है घोटाला?
जम्मू कश्मीर में पुलिस में उप-निरीक्षकों के 1200 पदों के लिए लिखित परीक्षा जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड ने रखी थी। 27 मार्च को लिखित परीक्षा हुई और नतीजे 4 जून को घोषित हुए थे। इसके बाद जब गड़बड़ी की बात सामने आई तो सरकार ने 33 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद एक कमेटी बनाकर उसे जांच का जिम्मा दिया गया था। बाद में मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।
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