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अब दंगाई बख्शे नहीं जाएंगे! UP की राज्यपाल ने दिया ऐसा आदेश, उड़ गए संभल हिंसा के आरोपियों के होश?

India News (इंडिया न्यूज), Judicial Commission for Sambhal Violence: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने संभल हिंसा में पथराव की घटना की जांच करने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार अरोड़ा (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है। यह आयोग जांच में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करेगा। आदेश के अनुसार, आयोग के अन्य दो सदस्य सेवानिवृत्त आईएएस अमित मोहन प्रसाद और सेवानिवृत्त आईपीएस अरविंद कुमार जैन हैं। बता दें कि, पथराव की घटना 24 नवंबर को मुगलकालीन मस्जिद की एएसआई द्वारा जांच के दौरान हुई थी। जिसके परिणामस्वरूप चार व्यक्तियों की मौत हो गई थी और अधिकारियों और स्थानीय लोगों सहित कई अन्य घायल हो गए थे।

आदेश में क्या कहा गया?

बता दें कि, आदेश में कहा गया है कि राज्यपाल का मानना ​​है कि न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुपालन के दौरान 24 नवंबर को शहर संभल, थाना-कोतवाली संभल, जिला-संभल में विवादित जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर स्थल के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसक घटना के संबंध में जनहित में जांच कराना आवश्यक है। जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए, चार लोगों की जान चली गई और विभिन्न संपत्तियों को नुकसान पहुंचा। आदेश में आगे कहा गया है कि अब, अत विषय-वस्तु की व्यापकता को देखते हुए तथा जांच की पारदर्शिता एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, जांच आयोग अधिनियम, 1952 (अधिनियम संख्या 60, 1952) की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए। राज्यपाल द्वारा न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार अरोड़ा (सेवानिवृत्त), उच्च न्यायालय, इलाहाबाद की अध्यक्षता में निम्नलिखित तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन करते हैं।

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आयोग करेगा निष्पक्ष जांच?

बता दें कि, आयोग 24 नवम्बर को घटित उक्त घटना की जांच करेगा तथा इस बात पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा कि घटना अचानक हुई थी या सुनियोजित थी तथा यह किसी आपराधिक षडयंत्र का परिणाम थी। इस घटना के दौरान कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन एवं पुलिस द्वारा की गई व्यवस्था तथा संबंधित अन्य पहलुओं की जांच करेगा। आदेश में कहा गया है कि उन कारणों और परिस्थितियों का पता लगाना, जिनके कारण उक्त घटना घटित हुई। भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इस संबंध में सुझाव देना।

जबकि राज्यपाल का भी यह मत है कि विचाराधीन जांच की प्रकृति और मामले से संबंधित अन्य परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा करना आवश्यक है। इसलिए वह उक्त अधिनियम की धारा 5 की उपधारा (1) के तहत आगे निर्देश देती हैं कि उक्त धारा 5 की उपधारा (2), (3), (4) और (5) के प्रावधान इस आयोग पर लागू होंगे। आयोग इस अधिसूचना के जारी होने की तिथि से दो महीने की अवधि के भीतर जांच पूरी करेगा। इसके कार्यकाल में कोई भी परिवर्तन सरकार के आदेश पर होगा।

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Raunak Pandey

रौनक पांडे बिहार की माटी से निकलकर दिल्ली में पत्रकारिता को सीख और समझ रहे हैं. पिछले 1.5 साल से डिजिटल मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर सक्रिय हैं। अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय राजनीति पर लिखना पसंद है.

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