In what fascination Is Rahul Gandhi Making Kanhaiya Kumar A Congressman?
इंडिया न्यूज़ ,नई दिल्ली
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार कांग्रेस के साथ नई पारी खेलने के लिए तैयार हैं. वो 28 सितंबर को पार्टी में शामिल होंगे। इसी महीने उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी। तभी से कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर अटकलें तेज हो गई थी, लेकिन राजनीति के पुराने पन्नों को पलटे तो कांग्रेस के साथ कन्हैया के रिश्ते उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं।
कन्हैया ने मार्च 2016 में राजद्रोह के एक मामले में जमानत पर रिहा होने के तुरंत बाद राहुल गांधी से सम्पर्क किया था। उन्होंने समर्थन के लिए राहुल का आभार व्यक्त किया। उस वक्त दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई की थी। फरवरी 2016 में कन्हैया को छात्रों की रैली में कथित तौर पर राष्ट्र-विरोधी नारे लगाने के लिए देशद्रोह के आरोप में हिरासत में लिया गया था। इसके अगले दिन राहुल गांधी ने छात्रों के साथ समर्थन जताने के लिए जेएनयू कैंपस का दौरा किया था। राहुल ने छात्रों के खिलाफ की गई कार्रवाई के लिए केंद्र की खिंचाई की थी।
Rahul Gandhi और कांग्रेस की चुप्पी
जब दिल्ली पुलिस ने 2019 में कन्हैया पर देशद्रोह का आरोप लगाते हुए चार्जशीट दाखिल की, तो उस वक्त राहुल और उनकी पार्टी ने चुप्पी साध ली थी। तब राजनीतिक पंडितों ने कहा थी कि राहुल की चुप्पी के पीछे बीजेपी का डर था। दरअसल अगर राहुल गांधी कन्हैया के समर्थन में कुछ कहते तो बीजेपी चुनाव से पहले ये कहती कि कांग्रेस देशद्रोही का समर्थन करती है।
Kanhaiya Kumar को नहीं मिला था समर्थन
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कन्हैया कुमार बिहार के बेगुसराय से खड़े हुए थे। उस वक्त कांग्रेस और आरजेडी ने उन्हें समर्थन नहीं दिया था। लिहाजा उन्हें बीजेपी के गिरिराज सिंह के हाथों 4.2 लाख वोटों से करारी हार का सामना करना पड़ा था।
कितना फायदा होगा कांग्रेस को
अब साल 2021 में कन्हैया कुमार नई पारी खेलने के लिए तैयार हैं। कहा जाता है कि राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कन्हैया को पार्टी में शामिल होने में मदद की। वो अपने राज्य बिहार में काम करना चाहते हैं, जहां से वो पहले राजनीतिक तौर पर सक्रिय रहे हैं। पार्टी के नेताओं का मानना है कि ये कहना जल्दबाजी होगी कि कांग्रेस पर उनका किस तरह का प्रभाव पड़ेगा, लेकिन वे उनकी भाषण देने की क्षमता, दर्शकों को इकट्ठा करने की उनकी क्षमता और जिस स्पष्टता के साथ उन्होंने मोदी शासन पर हमला किया है वो उनकी तारीफ कर रहे हैं।