इंडिया न्यूज। Kargil News: लद्दाख में बर्फ की चादर के नीचे इन दिनों पारा बढ़ रहा है। यहां बहुसंख्यक हो चुके मुस्लिम अब बौद्ध मठ के निर्माण में अड़चन बने हुए हैं। बौद्ध समुदाय इसके निर्माण के लिए शांति यात्रा निकाल रहा है। बौद्ध समुदाय के लोग चाहते हैं कि वहां मठ का निर्माण हो जहां पर पहले मठ हुआ करता था। आइए आपको तफ़सील से बताते हैं कि पूरा मामला है क्या और इसका विरोध क्यों हो रहा है।
जम्मू कश्मीर सरकार ने 15 मार्च, 1961 को कारगिल के मोंज़ा में बौद्धों को दो कनाल भूमि दी थी। यह भूमि देने के पीछे मंशा ये थी कि बौद्ध यहां पर मठ और सराय बना सकें। जम्मू कश्मीर सरकार ने जो आदेश उस समय दिया था उसके तहत मठ के लिए धार्मिक भवन का निर्माण किया जा सकता था।
आलम ये है कि लद्दाख के करगिल में मुस्लिम अब अल्पसंख्यक नहीं रहे। यहां अब मुस्लिम नहीं चाहते कि किसी अन्य धर्म का स्थल का निर्माण हो। बौद्ध यहां मठ निर्माण के लिए शांति यात्रा निकाल रहे हैं और मुस्लिम समाज इसका विरोध कर रहा है।
मुस्लिम समाज का कहना है कि यहां पर मठ निर्माण होने के बाद विवाद बढ़ेंगे और तनाव हो जाएगा। अब ये तर्क गले से नहीं उतरता। भला धार्मिक भवन के निर्माण से मुस्लिम समाज को क्या परहेज हो सकता है। खैर जो भी हो, बौद्ध चाहते हैं कि मठ का निर्माण वहीं हो जहां पहले मठ हुआ करता था।
15 मार्च, 1961 को जम्मू कश्मीर सरकार ने कारगिल के मोंज़ा में बौद्धों को दो कनाल भूमि दी थी। जम्मू कश्मीर सरकार ने जो आदेश उस समय दिया था उसके तहत मठ के लिए धार्मिक भवन का निर्माण किया जा सकता था। यह जगह पहले से ही बौद्धोंं की थी। हैरानी की बात तो ये है कि सरकार ने 1969 में जिहादियों के दबाव में आकर फैसला बदल लिया था।
बौद्ध धर्मगुरु चोस्कयोंग पालगा रिनपोछे चाहते हैं कि मठ का निर्माण हो। उनके अनुसार पहले वह स्थान उनका ही था और वहीं पर वे इसका निर्माण करना चाहते हैं। बाद में सरकार ने जिहादियों के दबाव में आकर 1969 में अपना फैसला बदल लिया था। अपने हक के लिए बौद्ध धर्मगुरु अपने अनुयायियों के साथ शांतियात्रा निकाल रहे हैं।
मठ के निर्माण के लिए बौद्ध धर्मगुरु चोस्कयोंग पालगा रिनपोछे ने 31 मई को यात्रा शुरू की थी। आज यानी कि 14 जून को यह यात्रा कारगिल पहुंच रही है। इसका इस्लामिस्ट विरोध कर रहे हैं। वे नहीं चाहते हैं कि यहां पर मठ का निर्माण हो।
वहीं दूसरी ओर बौद्ध धर्मगुरु चोस्कयोंग पालगा रिनपोछे का कहना है कि वे मठ का निर्माण इसलिए करना चाहते हैं ताकि उनके पास धार्मिक आयोजन करने के लिए निश्चित स्थान हो। वे कहते हैं कि वे उसी स्थान पर मठ का निर्माण करवाएंगे जहां पहले मठ हुआ करता था।
अंकुर शर्मा जो कि इकजुट जम्मू पार्टी के अध्यक्ष हैं ने एक पत्र साझा किया है। अंकुर पेशे से अधिवक्ता हैं। उन्होंने जो पत्र साझा किया है उसके अनुसार मुस्लिम समूहों ने यह संभावना व्यक्त की है कि यह यात्रा राजनीति से प्रेरित है, जिससे शांति भंग हो सकती है। पत्र के अनुसार इस यात्रा को शांतियात्रा का नाम दिया गया है, जाे कि जायज नहीं है।
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