रमेश सरोए, करनाल
करनाल। बसताड़ा टोल प्लाजा घरौंड़ा पर पुलिस द्वारा किसानों (Karnal Kisan Mahapanchayat) पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में चल रहा किसान आंदोलन शनिवार को खत्म हो सकता है। किसान प्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच चली साढ़े 4 घंटे की बातचीत में सभी मांगों पर लगभग सहमति बन चुकी हैं। जिसका ऐलान शनिवार सुबह 9 बजे होने वाली संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधियों के साथ होने वाली बातचीत के बाद कर दिया जाए। भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में 14 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल की एसीएस देवेंद्र कुमार, डीसी निशांत यादव, एसपी के साथ सभी तीनों मांगों को लेकर सकारात्मक माहौल में बातचीत हुई। बातचीत से किसान नेता सहमत नजर दिखाई दिए हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि शनिवार को करनाल में चल रहा किसान आंदोलन खत्म हो जाए। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि शनिवार को किसान प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा, सभी मुद्दों पर सकारात्मक माहौल में बातचीत हुई हैं।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि शनिवार को सुबह 9 बजे प्रशासन के साथ एक बार फिर बातचीत होगी। जिसमें अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा। प्रशासनिक अधिकारियों व किसान नेताओं की माने तो आपसी समझौते पर सहमति बन चुकी हैं। किसानों की जो मांगे थी, वे लगभग मान ली गई हैं। शनिवार को जिला सचिवालय के समक्ष चल रहा धरना प्रदर्शन खत्म हो जाएगा।
किसानों के जिला सचिवालय के घेराव को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टिगत पूरी तैयारी कर ली थी। दूसरी ओर गतिरोध दूर करने के लिए प्रशासन ने किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया। 7 सितम्बर को 3 दौर की बातचीत हुई, करीब 3 घंटे चली बातचीत के बाद भी गतिरोध दूर नहीं हुआ। 3 दौर की वार्ता विफल होने किसानों ने जिला सचिवालय का घेराव का ऐलान कर दिया ओर शाम के समय हजारों की संख्या में किसान बैरीकैटस तोडकर जिला सचिवालय के पास पहुंचे, जहां पर पुलिस ने हल्की पानी की बौछार की, बावजूद किसानों ने जिला सचिवालय का घेराव कर लिया।
सात सितंबर के घटनाक्रम से सबक लेते हुए प्रशासन ने एक बाद फिर गतिरोध दूर करने का प्रयास किया। संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, गुरनाम सिंह चढूनी सहित 15 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल को प्रशासन ने एक बार फिर बातचीत की टेबल पर बुलाया। 2 दौर की बातचीत चली, लेकिन विफल रही। बातचीत विफल होने पर भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) ने साफ ऐलान कर दिया कि प्रशासन उन्हें तभी ही बातचीत के लिए बुलाएं, जब करनाल के पूर्व एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ केस दर्ज हो ओर उन्हें सस्पेंड किया जाए।
प्रदेश सरकार के निराशाजनक रवैए से आक्रोशित किसानों ने जिला सचिवालय के समक्ष पक्का मोचार्बंदी शुरू कर दी। लोहे के शैडनुमा वाटरफ्रूफ घर बनाने शुरू कर दिए, लंगर व्यवस्था तेजी से शुरू हो गई, जो देर रात तक चलती हैं। मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में शुरू हुई मजबूत मोचार्बंदी के राजनीतिक हालात से नफा नुकसान देखते हुए किसानों को एक बाद फिर बातचीत के लिए आमंत्रित किया।
किसान नेताओं ने 11 सितम्बर को बैठक का ऐलान किया हुआ हैं, बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा के सभी नेतागण सहित हरियाणा के किसान संगठनों के किसान प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना हैं। इसी बैठक में आंदोलन की आगामी रूपरेखा तय की जाएगी। सरकार को अंदेशा है कि मुख्यमंत्री के गृहक्षेत्र में किसानों की मोचार्बंदी के क्या मायने हो सकते हैं। इसी के चलते प्रदेश सरकार, प्रशासनिक अधिकारियों को आगे कर बातचीत कर गतिरोध दूर करने के लिए पूरा जोर लगाएं हुए हैं।
आंदोरत किसानों ने प्रशासन से परोक्ष रूप से शिकायत की थी कि आंदोलन में शामिल किसानों को फ्रैश होने के लिए जाट भवन व निर्मल कुटिया के टॉयलेट का प्रयोग करना पड़ रहा हैं, अगर प्रशासन आंदोलन के एरिया के आसपास टॉयलेट की व्यवस्था कर देगा तो काफी हद तक मुसीबतें कम हो जाएगी। किसानों की मांग जैसे ही प्रशासन तक पहुंची तो डीसी के निर्देश पर करीब 30 मोबाइल टॉयलेट की व्यवस्था आंदोलन स्थल के आसपास कर दी गई।
मुख्यमंत्री के गृहक्षेत्र में किसानों की मजबूत मोचार्बंदी को देखते हुए सरकार ने अप्रिय घटना से निपटने के लिए 40 पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियां सहित भारी पुलिस बल तैनात कर दिया। जिला सचिवालय के चारों तरफ ओर आंदोलनरत किसानों के आसपास क्षेत्रों में पुलिस बल चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए हैं। अराजक तत्वों पर नजर रखी जा रही हैं, ड्रोन से हर स्थिति पर नजर रखी जा रही हैं।
28 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी की एक निजी होटल में सांगठनिक स्तर की बैठक थी, बैठक में प्रदेश के 6 सांसदों सहित कई विधायक शिरकत कर रहे थे। कार्यक्रम की भनक जैसे ही किसानों को लगी तो उन्होंने काले झंडे दिखाकर विरोध का ऐलान कर दिया। किसानों के विरोध को देखते हुए पुलिस व जिला प्रशासन ने शहर के चारों तरफ भारी वाहन अड़ाकर मजबूत किलेबंदी कर दी।
शहर की नाकाबंदी देखते हुए किसान शहर की ओर बढ?े का प्रयास करने लगे तो पुलिस ने उन्हें आगे नहीं बढ?े दिया, विरोध स्वरूप किसान बसताड़ा टोल प्लाजा से गुजरने वाले बीजेपी नेताओं के वाहनों को कथित तौर पर रोकने के प्रयास करने लगे ओर हाइवे पर बैठ गए। जिसके बाद पुलिस द्वारा किसानों पर लाठीचार्ज किया। लाठीचार्ज में कई किसानों सहित पुलिसकर्मी घायल हो गए।
लाठीचार्ज की घटना के बाद करनाल के एसडीएम रहे आईएएस आयुष सिन्हा का एक कथित वीडियो वायरल हो गया, जिसमें एसडीएम पुलिस कर्मचारियों की टूकड़ी को आदेश दे रहे है कि अगर कोई बैरीकैटस के इस पार आया नहीं आना चाहिए, अगर आएगा तो सिर फूड़ा हुआ होना चाहिए। वीडियो वायरल होने के बाद किसानों आक्रोशित हो गए।
किसानों ने रख दी.. ऐसे आदेश देने वाले अधिकारी पर केस दर्ज करने की मांग
लाठीचार्ज व वीडियो वायरल में ऐसे आदेश देने वाले अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज ओर सस्पेंड करने की मांग किसानों ने सरकार से मांग की ओर लाठीचार्ज के दौरान घायल किसानों को 2-2 लाख रुपए देने की मांग की। मृतक किसान सुशील काजल के परिजनों को 25 लाख रुपए व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी की मांग की। सरकार द्वारा मांग न मानने पर 7 सितम्बर को जिला सचिवालय के घेराव का ऐलान कर दिया था। नतीजन किसान जिला सचिवालय पर घेराव करके बैठे हुए हैं।
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