India News (इंडिया न्यूज), Muslim Population: कांग्रेस नेता राहुल गांधी जाति जनगणना को बड़ा मुद्दा बना रहे हैं। लेकिन कर्नाटक में उनकी ही सरकार की जाति जनगणना को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों और मुस्लिम आबादी को लेकर जनगणना के आंकड़ों में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। इसमें मुस्लिमों की आबादी को अलग-अलग बताया गया है। अब विपक्ष का कहना है कि सिद्धारमैया सरकार मुस्लिम आबादी को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है। CNN-News18 की जानकारी के मुताबिक मुस्लिम समुदाय की आबादी को लेकर अलग-अलग दस्तावेजों में किस तरह अलग-अलग आंकड़े पेश किए गए हैं।
जाति जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक मुस्लिम समुदाय को II B कैटेगरी में रखा गया है। लेकिन इसमें आंकड़े अलग-अलग हैं। इन अलग-अलग आंकड़ों ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या यह गलती अनजाने में हुई या जानबूझकर मुस्लिम आबादी को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की कोशिश की गई। विपक्षी दलों बीजेपी और जेडीएस ने इसे सिद्धारमैया सरकार की तुष्टिकरण नीति का हिस्सा बताया है।
Muslim Population
उपजाति के आधार पर मुस्लिम आबादी 76,99,425 बताई गई है, जो राज्य की कुल आबादी का 12.87% है। दूसरे आंकड़े में सभी श्रेणियों के आधार पर मुस्लिम आबादी 59,51,038 बताई गई है, जो कुल आबादी का 9.95% है।
इसी तरह तीसरा आंकड़ा पेश किया गया है, जिसमें अधिक आरक्षण की सिफारिश में मुस्लिम आबादी 75,25,880 दिखाई गई है, जो 12.58% है। लेकिन इसे ‘गलती’ से 18.08% दिखाया गया है। यह गलती इसलिए हुई क्योंकि कॉलम में ‘कुल जनसंख्या का प्रतिशत’ के बजाय ‘कुल ओबीसी जनसंख्या का प्रतिशत’ लिखा होना चाहिए था।
ओबीसी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं। सबसे पहले पिछड़े वर्गों के लिए मौजूदा 32% आरक्षण सीमा को बढ़ाकर 51% करने की सलाह दी गई है। आयोग का तर्क है कि राज्य में पिछड़े वर्ग की आबादी 70% है, इसलिए आरक्षण भी उसी हिसाब से होना चाहिए। दूसरा, शैक्षणिक संस्थानों में भी पिछड़े वर्गों के लिए 51% आरक्षण की सिफारिश की गई है। लेकिन सबसे बड़ा विवाद मुस्लिम समुदाय के लिए मौजूदा 4% आरक्षण को बढ़ाकर 8% करने को लेकर है।
विपक्ष ने इस रिपोर्ट को बकवास बताते हुए खारिज कर दिया है। कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक ने कहा, यह ऐसी जनगणना है जो हर घर तक नहीं पहुंची है। इसका उद्देश्य जातियों को बांटना है। मुसलमानों की आबादी 18.08% दिखाना जानबूझकर की गई गलती है, ताकि उन्हें ज़्यादा आरक्षण दिया जा सके। लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों ने भी इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। अखिल भारतीय वीरशैव लिंगायत महासभा के अध्यक्ष शंकर बिदारी ने दावा किया कि लिंगायत की आबादी 66 लाख दिखाई गई है, जबकि असलियत में यह 3 करोड़ के करीब है। उन्होंने नई जनगणना की मांग की है।