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karnataka Hijab Protest: कर्नाटक हिजाब विवाद क्या है, क्यों स्टूडेंटों का फूटा गुस्सा?

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
karnataka Hijab Protest: कहते हैं कि आज का युवा कल का भविष्य है लेकिन कर्नाटक के कॉलेज में जब युवाओं को (Karnataka Hijab) हिजाब पहनी लड़कियों का विरोध करते देखा तो आने वाले भविष्य पर सवाल खड़ा होने लगा है। इससे ये पता चलता है कि आज का युवा भी दकियानूसी सोच का शिकार हो चुके हैं।

कर्नाटक राज्य के शिवमोग्गा के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में जनवरी 2022 से शुरू हुआ हिजाब विवाद (karnataka hijab ban) अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह लड़ाई अब धर्म पर आकर टिक गई। अब लड़ाई हिजाब/ सैफरन शॉल (केशरिया) के बीच है। भारत में इस तरह का विवाद होना खुद उसकी धर्मनिरपेक्षता पर सवाल खड़ा करता है। कर्नाटक राज्य के अन्य हिस्सों में भी इस विवाद की गूंज सुनाई दे रही है।

बता दें इस विवाद में जिस ड्रेस कोड की बात हो रही है, कॉलेजों में तो वह जरूरी ही नहीं है। चलिए जानते हैं हिजाब को लेकर क्यों शुरू हुआ विवाद, ( karnataka hijab controversy) और भारत के किन पड़ोसी देशों में प्रतिबंध है बुर्का पहनना।

कैसे उडुपी के कॉलेज से शुरू हुआ विवाद?  (karnataka Hijab Protest)

  • PU College in Udupi: 31 दिसंबर 2021 को उडुपी के गवर्नमेंट पीयू कॉलेज में कुछ छात्राओं ने प्रदर्शन किया था। उनका कहना था कि कॉलेज हिजाब पहनने के कारण छह छात्राओं को पिछले 15 दिनों से क्लास में शामिल नहीं होने दे रहा है।
  • इसके बाद उडुपी के भाजपा विधायक और कॉलेज की डेवलपमेंट कमेटी के प्रमुख रघुपति भट ने पेरेंट्स और बाकी स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठक की। बैठक में विधायक ने सभी छात्र और छात्राओं से कॉलेज के ड्रेस कोड का पालन करने को कहा।
  • इसके बाद प्रदर्शन कर रही छह छात्राओं ने विरोध स्वरूप क्लास से दूर रहने का फैसला किया। इन छात्राओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट में इसके विरोध में याचिका दायर की। साथ ही नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन से भी संपर्क किया।

क्या कॉलेज में ड्रेस कोड अनिवार्य है?

  • कर्नाटक सरकार का कहना है कि छात्रों को कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी की ओर से जारी ड्रेस कोड का पालन करना होगा। वहीं जब तक हाईकोर्ट का फैसला नहीं आ जाता तब तक स्टूडेंट्स को यूनिफार्म के नियमों का पालन करना चाहिए।
  • शिक्षामंत्री का कहना है कि कर्नाटक एजुकेशनल एक्ट 2013 के तहत शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करने का अधिकार है। हालांकि कॉलेजों में डेÑस कोड अनिवार्य नहीं है, लेकिन कॉलेज डेवलपमेंट कमेटियां कई बार ड्रेस कोड तय कर देती हैं।

इस विवाद में दूसरे एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन क्यों हुए शामिल?

  • उडुपी में विवाद के बाद कुंडापुरा के गवर्नमेंट प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में लड़कों का एक समूह हिजाब पहनकर क्लास में आने वाली कुछ लड़कियों के विरोध में भगवा शॉल पहनकर आ गया। इस मामले पर कुंडापुरा के विधायक ने बैठक कर कहा कि जब तक सरकार इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेती, तब तक छात्रों को कॉलेज के ड्रेस कोड का पालन करना होगा।
  • विधायक ने कहा कि पिछले करीब पांच दिन से कॉलेज की कुछ छात्राएं हिजाब पहनकर क्लास में आ रही हैं। दूसरी ओर छात्राओं ने कहा कि हिजाब पर रोक लगाने के लिए ड्रेस कोड में अचानक बदलाव के बाद उन्हें क्लास से बाहर रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
  • इस तरह के विवाद के बाद तटीय कर्नाटक के उडुपी जिले के कई कॉलेजों में ऐसे मामले सामने आए हैं। चिकमगलूर में उस समय विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया, जब आईडीएसजी गवर्नमेंट फर्स्ट ग्रेड कॉलेज के छात्र नीली शॉल पहनकर पहुंचे। उन्होंने जय भीम के नारे लगाए और मुस्लिम छात्राओं के समर्थन में आवाज उठाई। छात्रों के इस समूह ने कहा कि वे धार्मिक प्रथा के तहत कॉलेजों में हिजाब पहनने के समर्थन में हैं।

कर्नाटक सरकार ने आदेश में क्या कहा?

  • कर्नाटक सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए कहा है कि छात्रों को कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी की ओर से जारी ड्रेस कोड का पालन करना होगा। प्राइमरी एंड सेकेंडरी एजुकेशन मिनिस्टर बीसी नागेश ने कहा कि कर्नाटक एजुकेशनल एक्ट 2013 और 2018 के तहत बनाए गए नियमों ने शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करने का अधिकार दिया है।
  • शिक्षा विभाग ने इन नियमों के आधार पर एक सर्कुलर जारी किया है और छात्रों से अपील की है कि जब तक इस मामले में हाईकोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, तब तक वे कॉलेजों की ओर से निर्धारित यूनिफॉर्म नियमों का पालन करें। हालांकि कॉलेजों में डेस कोड अनिवार्य नहीं है, लेकिन कॉलेज डेवलपमेंट कमेटियां अक्सर स्थानीय विधायकों की अध्यक्षता में उडुपी और अन्य जिलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने सहित एक ड्रेस कोड लागू करने पर जोर देती रही हैं।

छात्रों ने हाईकोर्ट को याचिका में किया दिया था तर्क? (karnataka Hijab Protest)

  • karnataka hijab high court: पहली याचिका में छात्रों का कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 25 (1) के तहत लिबास का चुनाव एक मौलिक अधिकार है। जिस ड्रेस कोड में हिजाब पर बैन लगाया है, वह कानून व्यवस्था या समाज की नैतिकता के लिए नहीं है।
  • दूसरी याचिका में कहा था कि 2021-22 की एकेडमिक गाइडलाइंस में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों के लिए कोई यूनिफॉर्म तय नहीं की गई है। उनका कहना है कि गाइडलाइंस में यहां तक कहा गया है कि अगर कोई कॉलेज यूनिफॉर्म तय करता है तो उसके खिलाफ विभाग सख्त कार्रवाई करेगा।

कौन से देशों में बुर्का पहनने पर लगी है रोक?

  • सन् 2019 में श्रीलंका में बुर्का पहनने पर रोक लग गई थी।
  • सन् 2018 में डेनमार्क पर बैन लगा।
  • सन् 2017 में जर्मनी में बुर्का पहनने को लेकर रोक लगाई गई थी।
  • सन् 2016 में इटली में बैन लगा था।
  • सन् 2015 में कांगो, नीदरलैंड और कैमरून में बुर्का पहनने पर रोक लगाई गई थी।
  • सन् 2014 में चीन में रोक लगाई गई थी।
  • सन् 2013 में स्विटजरलैंड में बैन लगा था।
  • सन् 2011 में बेल्जियम में बुर्का पहनने पर रोक लगी थी।
  • सन् 2010 में स्पेन और फ्रांस में बुर्का पहनने को लेकर बैन लगाया गया था।

karnataka Hijab Protest

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Suman Tiwari

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