India News (इंडिया न्यूज़), Karnataka will buy grains from neighboring states : केंद्र सरकार के द्वारा भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India – FCI) के स्टॉक से राज्य सरकारों को गेहूं और चावल की बिक्री रोकने के फैसले के बाद कर्नाटक सरकार केंद्र सरकार पर हमलवार है। दरअसल इस फैसले से कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को झटका लगा है. उसे अपनी 5 गारंटियों में से, अन्ना भाग्य योजना (Anna Bhagya Yojana) को लागू करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस योजना के तहत कर्नाटक के सभी बीपीएल परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 किलो खाद्यान्न उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। ऐसे में अब इस योजना को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार ने पंजाब, छत्तीसगढ़ और अन्य पड़ोसी राज्यों से बात की है।
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कहा, “हमने पंजाब, छत्तीसगढ़ और अन्य पड़ोसी राज्यों से बात की है। हम उनसे अनाज खरीदने जा रहे हैं। मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि गरीबों के पेट पर राजनीति न करें, आप अपना चावल नहीं दे रहे हैं यह किसानों का चावल है। हमें किसी से मुफ्त चावल नहीं चाहिए, कर्नाटक सरकार खरीदने में सक्षम है।”
कर्नाटक CM सिद्धरमैया ने कहा, “FCI ने राज्य को खाद्यान्न आपूर्ति करने पर सहमति जताई थी। 13 जून को उपभोक्ता मंत्रालय ने FCI को खाद्यान्न की आपूर्ति रोकने के लिए पत्र लिखा और 14 जून को FCI ने हमें पत्र लिखा कि वे खाद्यान्न की आपूर्ति नहीं कर सकते, इसका मतलब क्या है? अगर स्टॉक नहीं है तो FCI हमें खाद्यान्न देने के लिए क्यों राजी हुआ, उन्होंने मुझे व्यक्तिगत रूप से कहा है कि उनके पास 7 लाख मीट्रिक टन चावल उपलब्ध है। यह नफरत की राजनीति है।”
कर्नाटक करकार के द्वारा दी जानकारी के अनुसार, सरकार ने अन्न भाग्य योजना के तहत अनाज की आपूर्ति के लिए एफसीआई से 2.28 लाख मीट्रिक टन (एमटी) की मांग की थी और 12 जून को एफसीआई ने दो पत्र भेजकर लगभग 2.22 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति करने की सहमति दी थी. इसके एक दिन बाद, 13 जून को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा एफसीआई के स्टॉक से राज्य सरकारों को गेहूं और चावल की बिक्री बंद करने का निर्देश दिया गया है।
भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India- FCI) ‘उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय’ के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अंतर्गत शामिल सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। FCI एक सांविधिक निकाय है जिसे भारतीय खाद्य निगम अधिनियम, 1964 के तहत वर्ष 1965 में स्थापित किया गया था। देश में भीषण अन्न संकट, विशेष रूप से गेहूँ के अभाव के चलते इस निकाय की स्थापना की गई थी। बता दें FCI के उद्देश्य किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करना है। प्रत्येक व्यक्ति के लिये हर समय खाद्यान्न की उपलब्धता, पहुँच और सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिये संकट प्रबंधन उन्मुख खाद्य सुरक्षा को एक स्थिर सुरक्षा प्रणाली में परिवर्तित करने में सहायता करना ताकि कोई भी, कहीं भी और कभी भी भूखा न रह जाए। खाद्यान्नों के कार्यात्मक बफर स्टॉक का संतोषजनक स्तर बनाकर राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
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