आपने लड़ाई की खबरें तो बहुत सुनी होंगी। दो महिलाओं के बीच में लड़ाई के कई किस्से भी सुने होंगे। आपस में बयानबाजी भी सुनी ही होगी लेकिन क्या आपने कभी दो ब्यूरोक्रेट्स की लड़ाई सुनी है अगर नहीं तो ये खबर आप ही के लिए है। दरअसल हाल ही में सोशल मीडिया पर दो महिला अधिकारियों की लड़ाई काफी ट्रेंड कर रही है। कई लोग इसे कैटफाइट का भी नाम दे रहे हैं तो कुछ तरह-तरह के मीम्स भी सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे है।
मामला कर्नाटक का है जहां आईपीएस अधिकारी डी रूपा मौदगिल और आईएएस अधिकारी रोहिणी सिंधुरी के बीच चल रहे टकराव की चर्चा हर तरफ हो रही है। यही नहीं इस टकराव के बाद आईएएस रोहिणी सिंधुरी की कुछ नीजि तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं। दरअसल कर्नाटक में महिला IPS डी रूपा और IAS रोहिणी के बीच चल रहा विवाद अब लोगों तक पहुंच चुका है।
विवाद इस हद तक पहुंच गया है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से लेकर निजी तस्वीरें तक बाहर आ रही हैं। वहीं IPS डी रूपा ने कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं। उन्होंने शौचालय निर्माण के कुछ जरूरी आंकड़ों में हेर फेर से लेकर पुरस्कार तक जीतने के संजीदा आरोप लगाए हैं। वहीं इस पर पलटवार करते हुए IAS रोहिणी ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है। अब इस पूरे मामले के बाद दोनों ही अधिकारी विवादों में घिर चुकी हैं।
IAS अधिकारी ने कहा कि उन्होंने (IPS D Roopa) आरोप लगाया है कि मैंने कुछ अधिकारियों को ये तस्वीरें भेजीं। अब मैं उनसे निवेदन करती हूं कि कृपया वो उन अधिकारियों के नामों का खुलासा करें जिनको मैंने ये तस्वीरें भेजी हों।
IPS रूपा ने अपने फेसबुक पेज पर IAS सिंधुरी की सात तस्वीरें शेयर करते हुए आरोप लगाया कि सिंधुरी ने कथित तौर पर 2021 और 2022 में आईएएस अधिकारियों के साथ इन मेरी तस्वीरों को साझा किया। एक, दो नहीं बल्कि तीन पुरुष आईएएस अधिकारियों के साथ? एक दिन पहले उन्होंने कहा था कि ऑल इंडिया सर्विस कंडक्ट रूल्स के मुताबिक ऐसी तस्वीरें शेयर करना और इस तरह की बातचीत करना अपराध है।
गौरतलब है कि रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए IPS रूपा ने अधिकारियों से निवेदन किया कि वो सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच करें। रूपा द्वारा उठाए गए मुद्दों में सिंधुरी के खिलाफ मैसूरु डीसी आवास भवन, जिले में उनके कार्यकाल के दौरान एक स्विमिंग पूल के निर्माण पर विभागीय जांच शुरू करने में देरी थी। उन्होंने कहा कि IAS अधिकारी डॉ रविशंकर को उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच में मानदंडों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया था, लेकिन अभी तक कोई विभागीय जांच नहीं हुई और न ही आगे कोई कार्रवाई की गई। कौन उसका समर्थन कर रहा है?
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