India News (इंडिया न्यूज), Trending News: 22 वर्षीय मोहम्मद खलील घोरी का जीवन संघर्ष, पहचान और पुनर्निर्माण की अनूठी कहानी है। पिछले 10 सालों में खलील तीन अलग-अलग पहचानों के साथ जी रहा है। उसने खलील, अल्ताफ और अभिनव सिंह जैसे नाम अपनाए। ये तीनों नाम उसे उसकी परिस्थितियों के हिसाब से दिए गए थे। यह सफर उसके बचपन से शुरू हुआ, जब 2014 में 12 साल की उम्र में वह अचानक गायब हो गया था। खलील के लापता होने की शुरुआत एक सामान्य दिन से हुई। उसकी मां सारा ने बताया, “समग्र कुटुंब सर्वेक्षण से एक दिन पहले हमने खलील को दस्तावेजों की फोटोकॉपी लेने के लिए भेजा था। उसने दस्तावेज वापस भेज दिए और कहा कि वह थोड़ी देर में वापस आ जाएगा। लेकिन वह कभी वापस नहीं आया।” अगले 10 सालों तक सारा अपने बेटे की तलाश में दिन-रात जुटी रही।
इस बारे में खलील बताता है कि, उस दिन की यादें धुंधली हो गई हैं, लेकिन उसे दिल्ली जाते हुए एक व्यक्ति का चेहरा याद है, जिसने उसका नाम अल्ताफ रखा था। उन्होंने कहा, “मुझे बताया गया कि मेरा कोई परिवार नहीं है। मैंने इसे सच मानकर जीना शुरू कर दिया।” उन्होंने अल्ताफ नाम से गाजियाबाद के एक आश्रय गृह में तीन साल बिताए। बाद में उन्हें कानपुर के एक हिंदू परिवार ने गोद ले लिया, जिन्होंने उनका नाम अभिनव सिंह रखा। नए घर में अभिनव के रूप में खलील ने पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया और अपनी दत्तक बहन का सहारा बन गया। उन्होंने कहा, “जब वह तनाव में होती थी, तो मैं उसे हंसाने के लिए शरारतें करता था। मुझे अपनी बहन की बहुत याद आएगी।”
खलील की असली पहचान तब सामने आई जब उसके दत्तक माता-पिता ने उसका आधार कार्ड बनवाने की कोशिश की। उसकी बायोमेट्रिक जानकारी से हैदराबाद पुलिस को उसका असली परिवार खोजने में मदद मिली। यहीं से उसके घर लौटने की यात्रा शुरू हुई। 1 दिसंबर को खलील 10 साल बाद अपनी मां और भाई से मिला। उसने कहा, “मुझे दो लोगों से मिलवाया गया और बताया गया कि वे मेरी असली मां और भाई हैं। मैं उन्हें पहचान नहीं पाया, लेकिन उनके पास सारे सबूत थे। मेरी बचपन की तस्वीरें, स्कूल के रिकॉर्ड और मेरा असली आधार कार्ड।”
अब खलील अपनी पहचान और दस्तावेजों के बीच संघर्ष कर रहा है। उसके शैक्षणिक रिकॉर्ड में उसका नाम अभिनव सिंह दर्ज है, जबकि उसकी असली पहचान मोहम्मद खलील के रूप में दर्ज है। उसके भाई अकील ने कहा, “हमें नहीं पता कि अब क्या करना है। उसे फिर से कक्षा 10 में दाखिला लेना पड़ सकता है।” साथ ही, कानपुर के रिकॉर्ड में उसकी उम्र 16 साल दर्ज है, जबकि उसकी असली उम्र 22 साल है। खलील के लिए आगे की राह आसान नहीं है। उसे अपनी खोई हुई पहचान, शिक्षा और परिवार के साथ सामंजस्य बिठाना है। लेकिन सारा ने अपने बेटे की वापसी पर कहा, “मुझे खुशी है कि वह आखिरकार वापस आ गया है।
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