इंडिया न्यूज, जम्मू, (Kheer Bhavani Fair): जम्मू-कश्मीर का प्रसिद्ध खीर भवानी वार्षिक मेला कल होगा और इसमें शामिल होने के लिए कश्मीरी पंडितों व स्थानीय लोगों का एक जत्था आज 50 बसों से जम्मू से रवाना हो गया। जत्थे में करीब 250 लोग शामिल हैं।
खीर भवानी कश्मीरी पंडितों का प्रसिद्ध मंदिर है और यह मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के तुलमुला इलाके में स्थित है। जम्मू के मंडल आयुक्त रमेश कुमार ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच श्रद्धालुओं को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने बताया कि मेले की सभी तैयारियों पूरी कर ली गई हैं और यात्रा व श्रद्धालुओ की सुरक्षा के भी व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं।
एक दिन बाद जम्मू वापस आ जाएंगे श्रद्धालु, 5 मंदिरों में होते हैं मेले
रमेश कुमार ने बताया कि श्रद्धालु बिना किसी भय के माता के मेले में शामिल होने के लिए जाएं। तीर्थयात्री बुधवार को मंदिर में माता के दर्शन करेंगे और एक दिन बाद जम्मू वापस आ जाएंगे। बता दें कि इस बार दो वर्ष बाद मेले का आयोजन किया जा रहा है। कश्मीर के पांच मंदिरों में खीर भवानी मेले आयोजित किए जाते हैं। गांदरबल के तुलमुला के अलावा अनंतनाग के लोगरीपुरा, कुलगाम के मंजगाम व देवसर और कुपवाड़ा के टिक्कर स्थिति रागनी भगवती मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है।
माता का आशीर्वाद लेने देश के विभिन्न इलाकों से पहुंचते हैं पंडित
इनमें से विशाल चिनार के पेड़ों की छाया में बसे गांदरबल के तुलमुला स्थित खीर भवानी माता मंदिर में बड़ी संख्या में कश्मीर के अलावा देश के विभिन्न इलाकों में रहने वाले पंडित के माता का आशीर्वाद लेने के लिए यहां पहुंचते हैं। जम्मू से खीर भवानी के लिए रवाना हुए श्रद्धालुओं ने कहा कि दो साल बाद मेला हो रहा है और ऐसे में वह इसमें शामिल होंगे। उन्होंने कहा, हम जम्मू-कश्मीर की समृद्धि व शांति की माता से प्रार्थना करेंगे। गौरतलब है कि कश्मीरी पंडितों की इस मेले से कई यादें जुड़ी हैं। यही वजह है कि कश्मीरी पंडितों को इस मेले का बेसब्री से इंतजार रहता है।
महाराजा प्रताप सिंह ने 1912 में बनवाया है मंदिर, ये है मान्यता
महाराजा प्रताप सिंह ने वर्ष 1912 में खीर भवानी मंदिर बनवाया था। महाराजा हरी सिंह ने बाद में इसका जीर्णोद्धार कराया। 8 मान्यता है कि रावण की भक्ति से प्रसन्न होकर मां खीर भवानी या राग्याना देवी ने रावण को दर्शन दिए थे। रावण ने इसके बाद श्रीलंका की कुलदेवी के रूप में उनकी स्थापना की थी।
कुछ समय के बाद रावण के बुरे कामों और गलत व्यवहार के कारण देवी उससे नाराज हो गर्इं और माता ने श्रीलंका से चले जाने की इच्छा व्यक्त की। इसके बाद जब भगवान राम ने रावण का वध कर दिया तो उन्होंने पवन पुत्र हनुमान को यह काम दिया कि वह देवी के लिए उनका पसंदीदा स्थान चुनें और उनकी स्थापना करें। इस पर देवी ने कश्मीर के तुलमुला को चुना। माना जाता है कि वनवास के दौरान भगवान राम राग्याना माता की आराधना करते थे, इसलिए राग्याना माता को रागिनी कुंड में स्थापित किया गया।
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