मनोज जोशी:

जिस Khelo India University Games पर तकरीबन 55 करोड़ रुपये से ज़्यादा खर्च किए गए, क्या वहां यह जानने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए थी कि इन खेलों में खिलाड़ियों की कितनी रुचि है। इस आयोजन में जितने खिलाड़ियों के भाग लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, उतने खिलाड़ी इसमें नहीं आए।

खिलाड़ियों की इसी बेरुखी का नतीजा था कि काफी खेलों में वॉकओवर देखे गये। तय यह किया गया था कि संबंधित खेल की यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप में टॉप आठ खिलाड़ियों को इसमें जगह दी जाएगी। मगर ज़्यादातर इवेंंट्स में पूरे आठ प्रतियोगी भी भाग नहीं ले पाए। परिणास्वरूप इसके आयोजकों ने वैयक्तिक स्पर्धाओं में उनके लिए नॉर्डिक राउंड से मुक़ाबले आयोजित कर दिए।

ऐसे मुक़ाबलों में दो के बजाये एक ही कांस्य पदक दिया गया। इसका नुकसान यह हुआ कि मुक़ाबलों की संख्या बढ़ गई। जिन स्पर्धाओं में तीन या चार मुक़ाबले जीतकर गोल्ड मेडल मिल जाता है, वहां खिलाड़ी को सात प्रतियोगियों वाली इवेंट में छह मुक़ाबलों में शिरकत करनी पड़ी। एक पहलवान अगर एक दिन में छह मुक़ाबले लड़ता है तो उसका थककर चूर होना लाज़िमी है।

कईं खिलाड़ी हुए चोटिल

Meet the Indian rugby captain who is a physio at Khelo India University  GamesMeet the Indian rugby captain who is a physio at Khelo India University  Games

ऐसा भी देखा गया कि कई खिलाड़ी इवेंट के दौरान इंजर्ड होकर मुक़ाबले में उतरे ही नहीं और कई खेलों में एक के बाद एक वॉकओवर का सिलसिला शुरू हो गया। दूसरे वेटलिफ्टिंग और जूडो की स्पर्धा में तो किसी-किसी वजन में पांच ही प्रतियोगी थे। खेलो इंडिया में क्वॉलीफाई करने के बावजूद भाग न लेने की वजह इन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी को बताया।

नाडा के टेस्ट से बचने के लिए दो महिला खिलाड़ियों के भाग खड़े होने के मामले को भी यहां खूब दबाया गया। ऐसे खिलाड़ियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की ज़रूरत है। इस बार तकनीकी स्टाफ देने का ज़िम्मा संबंधित खेल की फेडरेशन को सौंपा गया था, जहां स्थानीय रेफरियों को प्रमोट करने की कोशिश की गई। इस कदम से इन खेलों का तकनीकी पक्ष कमज़ोर हो गया।

बॉक्सिंग में लिए गए चौकाने वाले फैसले

Khelo India University Games 2021: Boxer Muskan humbles AIBA Youth World  Championships gold medalist Vinka, Jain University rule medal tallyKhelo India University Games 2021: Boxer Muskan humbles AIBA Youth World  Championships gold medalist Vinka, Jain University rule medal tally

बॉक्सिंग में तो काफी निर्णय चौंकाने वाले देखने को मिले। कई निर्णयों में 3-2 या 4-1 का स्कोर यही ज़ाहिर करता है कि तकनीकी अधिकारियों में आपसी तालमेल की कमी थी। कुश्ती में तो रेफरियों की मुक़ाबले के दौरान मूवमेंट में भी खासी कमी देखी गई। यह बात सर्वविदित है कि दो पहलवान अगर उंगलिया फंसाकर उसे विपरीत दिशा में मोडेंगे तो अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में ऐसे मौकों पर कॉशन अंक दे दिया जाता है

लेकिन यहां ऐसे संवेदनशील मामले की अनदेखी हुई। वॉलिटियर्स का ज़्यादा संख्या में इस्तेमाल स्वागतयोग्य है लेकिन ऐसा भी देखा गया कि उन्हें सही तरीके से ब्रीफिंग नहीं की गई जिससे कई वैन्यू पर वॉलिंटियर्स का काफी संख्या में होने के बावजूद सही इस्तेमाल नहीं किया गया।

कोविड प्रोटोकॉल्स का नहीं हुआ पालन

कोविड प्रोटोकॉल्स का तो तकरीबन 95 फीसदी मामलों में पालन ही नहीं हो पाया और न ही इस दिशा में कोई सख्ती देखी गई। इन खेलों का प्राइवेट ब्रॉडकास्टर के चंगुल से निकलकर नैशनल ब्रॉडकास्टर डीडी के पास आना स्वागतयोग्य कदम है और उसकी पूरी टीम ने कर्मठता के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।

डीडी की टीम ने साबित कर दिया कि वह अपने पेशेवर अंदाज़ में किसी से भी कम नहीं है। अंत में बस इतना ही कि सरकार को इन खेलों में भाग लेने वाले 150 से ज़्यादा विश्वविद्यालयों में ढांचागत सुविधाओं का भी आकलन करना चाहिए क्योंकि देखने में आया है कि कई विश्वविद्यालयों के पास इन तमाम खेलों की मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं।

Khelo India University Games

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