India News (इंडिया न्यूज),Lok Sabha Election Results: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली पहुंचे और एनडीए की बैठक में शामिल हुए। इस बैठक में नीतीश कुमार पिछले दस सालों से किंगमेकर की मुद्रा में नजर आए। बैठक से ठीक पहले नीतीश और उनके परिवार ने साफ संदेश दिया कि सरकार बन रही है लेकिन नीतीश ने केंद्र सरकार को समर्थन देने की शर्त पर कई मांगें रख दी हैं, जिन्हें मानना बीजेपी की मजबूरी बन गई है। इसलिए जेडीयू अब पीएम मोदी को समर्थन पत्र देकर सरकार चलाने की हरी झंडी देती नजर आ रही है। क्या बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है?
बिहार में मिले नतीजों से नीतीश कुमार उत्साहित हैं। इसलिए नीतीश कुमार के करीबी मंत्री पटना में साफ तौर पर ऐलान कर रहे हैं कि यह तय है कि अगला विधानसभा चुनाव भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। जाहिर है कि लोकसभा चुनाव नतीजों से पहले जिन बातों की चर्चा हो रही थी, अब जेडीयू के पक्ष में नतीजे आने के बाद वह बातें फीकी पड़ रही हैं। लेकिन नीतीश यहीं नहीं रुकने वाले हैं।
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सूत्रों के मुताबिक, अपने ऊपर एंटी इनकंबेंसी को दूर करने के लिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग नीतीश की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है। जाहिर है कि नीतीश आगामी विधानसभा चुनाव में बिहार जैसे गरीब राज्य के लोगों को विशेष दर्जा दिलाकर एक खास तोहफा देना चाहते हैं। इतना ही नहीं, नीतीश गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 94 लाख लोगों को दो लाख रुपये देने का वादा भी पूरा करना चाहते हैं। इसलिए विशेष प्रावधान के तहत विशेष दर्जा की मांग नीतीश कुमार की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है।
बिहार को विशेष दर्जा देने के अलावा, चाहे बिहार में केंद्रीय विश्वविद्यालयों का मुद्दा हो या देश में जाति जनगणना का, माना जा रहा है कि विपक्ष के मुद्दे की धार को कुंद करने के लिए नीतीश इन मांगों पर भी जोर दे सकते हैं। जाहिर है कि नीतीश अगले विधानसभा चुनाव में साल 2010 का प्रदर्शन दोहराना चाहते हैं। इसलिए बिहार को विशेष दर्जा दिलाने की मांग को मनवाकर नीतीश विपक्ष को इस नए हथियार से मात देना चाहते हैं। नीतीश चाहते हैं कि जल्द से जल्द बिहार विधानसभा का चुनाव हो और नीतीश और ताकतवर होकर एक बार फिर बिहार विधानसभा में सरकार बनाएं। इसलिए नीतीश ने चुनाव के लिए बीजेपी के तैयार रहने की बात सामने रखी है।
नीतीश कुमार इस बार अपनी शर्तों पर सरकार में शामिल होने के लिए तैयार हो गए हैं। इसलिए नीतीश का जोर सांकेतिक हिस्सेदारी के बजाय आनुपातिक हिस्सेदारी पर ज्यादा है। नीतीश पिछली दो सरकारों में हुए कड़वे अनुभवों से वाकिफ हैं। इसलिए नीतीश किसी भी कीमत पर केंद्र सरकार में दो केंद्रीय मंत्री और एक राज्य मंत्री का पद चाहते हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि नीतीश ने चार मंत्री पद की मांग की है। लेकिन तीन से कम पर बात बनने की गुंजाइश नहीं है। नीतीश कुमार की नजर कृषि, ग्रामीण विकास और रेल विभाग मंत्रालय पर है। इनमें से दो मंत्रालय नीतीश किसी भी कीमत पर चाहते हैं। साथ ही नीतीश अपने हिस्से में एक राज्य मंत्री का पद भी किसी भी कीमत पर चाहते हैं।
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जेडीयू के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक चार मंत्रियों में संजय झा, ललन सिंह, रामनाथ ठाकुर और सुनील कुशवाहा का नाम सबसे ऊपर है। इन चार में से दो वरिष्ठ नेता हैं जबकि रामनाथ ठाकुर अति पिछड़ा समाज से हैं और सुनील कुशवाहा कोइरी समाज से आते हैं। जाहिर है संजय झा बीजेपी के साथ सरकार में मंत्री बनकर जेडीयू और बीजेपी के बीच सेतु का काम करेंगे। नीतीश कुमार रेल मंत्रालय संभाल चुके हैं। इसलिए यह नीतीश के पसंदीदा मंत्रालयों में से एक है। लेकिन अश्विनी वैष्णव ने अगले दस सालों में देश में बिछाई जाने वाली रेल नेटवर्क का खाका तैयार कर लिया है, जिसे पीएम मोदी देश में पूरा करना चाहते हैं। इसलिए माना जा रहा है कि बीजेपी रेल मंत्रालय अपने पास रखे और बदले में उन्हें कृषि, ग्रामीण विकास और दूसरे मंत्रालय देकर मना सकती है।
यह कई बार साबित हो चुका है कि नीतीश कुमार हार्ड बार्गेनर हैं। पिछली बार लोकसभा चुनाव में उन्हें कम सीटें दी जा रही थीं। लेकिन नीतीश बीजेपी के बराबर सीटें पाने में सफल रहे थे। इस बार लोकसभा चुनाव में नीतीश की पार्टी ने एक सीट कम पर चुनाव जरूर लड़ा है। लेकिन माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में नीतीश का प्रभाव ज्यादा रहेगा। पटना में आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में विजय चौधरी ने इसका संकेत भी दिया है।
जाहिर है कि पिछले फॉर्मूले के मुताबिक जेडीयू ज्यादा सीटों पर और बीजेपी कम सीटों पर चुनाव लड़े, जेडीयू में इस बात को लेकर चर्चा भी काफी तेजी से चल रही है। सवाल केंद्र में सरकार चलाने का है और केंद्र में सरकार चलाना बीजेपी की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसलिए माना जा रहा है कि नीतीश कुमार को अपने साथ बनाए रखने के लिए भाजपा को जेडीयू के सामने झुकना पड़ सकता है।
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