India News (इंडिया न्यूज), Most Dangerous Missile Brahmos: नरेंद्र मोदी जब से देश के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से वो हथियारों के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। वो लगातार भारत में हथियारों के निर्माण पर जोड़ दे रहे हैं। इसी का असर है कि भारत अब हथियारों के मामले में बहुत हद तक आत्मनिर्भर हो गया है। कांग्रेस के शासनकाल में भारत हथियारों के मामले में अमेरिका और रूस जैसे देशों पर निर्भर रहता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। भारत में निर्मित हथियारों को खरीदने के लिए दुनिया के कई देश कतार में खड़े हैं। भारत के पास एक ऐसा अचूक हथियार है, जिसका मुकाबला पूरी दुनिया में कोई नहीं कर सकता है। इस महाविनाशकारी हथियार का नाम सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस है। ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। इसकी स्पीड मैक 2.8 है, जो आवाज की रफ्तार से 3 गुना ज्यादा है। इसे दुनिया की सबसे तेज सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल कहा जाता है। 

कैसे काम करता है ब्रह्मोस ?

इस मिसाइल को जमीन-आसमान और समुद्र कहीं से भी दागा जा सकता है। इसकी रेंज 290 किलोमीटर है। इसके नए वर्जन को 450-500 किलोमीटर तक फायर किया जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल ‘दागो और भूल जाओ’ के सिद्धांत पर काम करती है। लॉन्च करने के बाद इसे आगे कुछ गाइड करने की जरुरत नहीं होती है। एक बार इस मिसाइल को दाग दिया गया तो ये अपने टारगेट को तबाह करके ही मानेगी। यह आसानी से किसी रडार की पकड़ में नहीं आ सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ब्रह्मोस मिसाइल के 800 किलोमीटर वेरिएंट को डेवलप कर रहा है।

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दुनिया के देशों ने ब्रह्मोस को खरीदने में दिखाई दिलचस्पी

ब्रह्मोस की अद्भुत शक्ति को देखते हुए दुनिया के कई देशों ने इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। ऐसे में भारत ने हाल ही में फिलीपींस को ब्रह्मोस का पहला बैच एक्सपोर्ट भी कर दिया है। जनवरी 2022 में एंटी शिप ब्रह्मोस मिसाइलों के लिए 375 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रेक्ट हुआ था। ब्रह्मोस मिसाइल का 75 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी है और भारत 2026 तक इसे पूरी तरह से भारत में बनाने की योजना बना रहा है। भारत ने साल 2021 में उन देशों की सूची बनाई थी, जिनको ब्रह्मोस मिसाइल बेची जा सकती है। इन देशों में फिलीपींस, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, यूएई और साऊथ अफ्रीका शामिल है। इसके अलावा इजिप्ट, सिंगापूर, वेनेजुएला, ग्रीस, अल्जीरिया, साउथ कोरिया, चिली और वियतनाम के प्रतिनिधिमंडल ने इस मिसाइल को खरीदने में गंभीर रूचि दिखाई है। 

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