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Know Everything About Gallantry Awards: कब हुई थी गैलेंट्री अवार्ड की शुरुआत, कैसे होता है इसका चयन?

Know Everything About Gallantry Awards

इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली:
Know Everything About Gallantry Awards: देश की सुरक्षा में अदम्य साहस का प्रदर्शन करने वाले सेना (Indian Army), सीआरपीएफ (CRPF), आईटीबीपी (ITBP) और पुलिस (POLICE) के जवानों और अधिकारियों को अलग-अलग वीरता पुरस्कारों (Gallantry Award) से हर साल गणतंत्र दिवस (Republic day) के मौके पर सम्मानित किया जाता है। इस गणतंत्र दिवस के मौके पर वीरता पुरस्कार पाने वाले वीरों के नामों की घोषणा हो गयी है।

Gallantry Award 2022: गणतंत्र दिवस के अवसर पर 939 वीरों को मिलेगा गैलेंट्री अवार्ड, अदम्य साहस के लिए किया जाएगा सम्मानित

गणतंत्र दिवस पर 939 पुलिस कर्मियों (police personnel) को उनके शौर्य के लिए गैलेंट्री अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जाएगा। इसमें 189 वीरों को पुलिस मेडल से सम्मानित किया जाएगा। विशिष्ट सेवा के लिए 88 वीरों को राष्ट्रपति का पुलिस मेडल (President Police Medal) और 662 को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस मेडल (Police Medal) से सम्मानित जाएगा। 189 पुलिस मेडल पाने वाले वीरों में से 134 कर्मियों को जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में उनकी वीरता के लिए सम्मानित किया जाएगा।

परमवीर चक्र सबसे सर्वोच्च सैन्य सम्मान

वीरता पुरस्कारों का ऐलान साल में दो बार​ किया जाता है, पहला गणतंत्र दिवस और दूसरी बार स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के मौके पर। इन पुरस्कारों में से कुछ पुरस्कार सिर्फ सैनिकों के लिए होते हैं, कुछ पुरस्कार पुलिस, जेलकर्मी और आम नागरिकों के लिए भी होते हैं। इनमें से सबसे अहम होता है, परमवीर चक्र, जो सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार होता है। इसके बाद आते हैं महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र, अशोक चक्र और शौर्य चक्र। चलिए जानते हैं इन पुरस्कारों के बारे में।

वीरता पुरस्कारों की शुरुआत कब हुई थी?

15 अगस्त 1947 को देश को पूर्ण स्वतंत्रता मिलने के बाद से भारत सरकार हर साल जवानों और अधिकारियों को उनके अदम्य सहस के ‘वीरता पुरस्कार’ देती आ रही है। 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू होने के बाद और भारत सरकार ने इसी तारीख को प्रथम तीन वीरता पुरस्कारों ‘परमवीर चक्र’, ‘महावीर चक्र’ और ‘वीर चक्र’ की घोषणा की थी। लेकिन इसे 15 अगस्‍त, 1947 से ही प्रभावी माना जाता था। भारत सरकार ने 4 जनवरी, 1952 को तीन और वीरता पुरस्‍कारों की शुरुआत की थी। जिसके बाद कुल 6 वीरता चक्रों से जवानों को सम्मानित किया जाता है।

कैसे होता है चयन?

देश की रक्षा में अतुलनीय योगदान देने वाले जवानों और अधिकारियों के नामों का चयन वीरता पुरस्‍कारों के लिए किया जाता है। इन वीरों के नाम पहले रक्षा मंत्रालय को भेजे जाते हैं। रक्षा मंत्रालय में इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति होती है, जिसे केंद्रीय सम्‍मान एवं पुरस्‍कार समिति के नाम से जाना जाता है। यह समिति मंत्रालय के पास आने वाले सभी वीरों के नामों पर विचार करती है।

जिसके बाद तय मानकों के आधार पर पूरी प्रक्र‍िया होने के बाद समिति एक लिस्‍ट तैयार करती है जिसमें वीरता पुरस्‍कार पाने वाले वीरों के नाम होते हैं। इसके बाद यह लिस्‍ट राष्‍ट्रपति के पास भेजी जाती है। राष्‍ट्रपति की अनुमत‍ि मिलने के बाद इन पुरस्‍कारों की घोषणा कर दी जाती है।

6 प्रकार के वीरता चक्र

परमवीर चक्र: सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार


परमवीर चक्र (Param Vir Chakra) भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य पुरस्‍कार है। इससे दुश्मन के सामने अभूतपूर्व साहस दिखाने, शौर्य दिखाने और बलिदान देने वाले शूरवीर को सम्मानित किया जाता है। भारतीय सेना के किसी भी विंग के जवान और अधिकारी को यह सम्मान दिया जा सकता है। मरणोपरांत भी यह पुरस्कार दिया जाता है। यानी अगर कोई वीर जवान दुश्मनों से भिड़ते-लड़ते हुए शहीद हो जाता है, उसके परिवार को पूरे सम्मान के साथ इस वीरता पुरस्कार से नवाजा जाता है। परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर वीर बन्ना सिंह एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कारगिल युद्ध तक जीवित थे।

महावीर चक्र: युद्ध के समय वीरता का पदक


महावीर चक्र (Mahavir Chakra) भारत का ऐसा पदक है जो युद्ध में वीरता दिखाने के लिए दिया जाता है। सेना और सैनिकों को असाधारण वीरता, शौर्यता या बलिदान के लिए इस पदक से सम्मानित किया जाता है। इस पुरस्कार को भी मरणोपरांत दिया जा सकता है। इस गणतंत्र दिवस पर सेना में कमांडिंग ऑफिसर रहे कर्नल संतोष बाबू को ‘महावीर चक्र’ से सम्मानित किया जा रहा है।

वीर चक्र: असाधारण वीरता और बलिदान का पदक


वीर चक्र (Vir Chakra) तीसरा सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। सैनिकों को उनके असाधारण वीरता या बलिदान के लिए ‘वीर चक्र’ से सम्मानित किया जाता है। पुरस्‍कार की शुरुआत भी 26 जनवरी 1950 को परमवीर चक्र और महावीर चक्र के साथ हुई थी। सैनिकों को मरणोपरांत भी वीर चक्र दिया जा सकता है।

कीर्ति चक्र: आम नागरिक भी हो सकते हैं योग्य


भारत सरकार ने 4 जनवरी 1952 को इस सम्‍मान (Kirti Chakra) की स्‍थापना की थी। सेना, वायुसेना और नौसेना के जवानों और अधिकारियों के अलावा इस पुरस्कार से टेरिटोरियल आर्मी और आम नागरिकों को भी सम्मानित किया जाता है। अभी तक 198 शूरवीरों को इस पुरस्‍कार से मरणोपरांत सम्मानित किया जा चुका है।

शौर्य चक्र: शांति के समय का वीरता पदक


‘शौर्य चक्र’ (Shaurya Chakra) का नाम शांति के समय देश के सर्वोच्‍च वीरता पदकों में आता है। 4 जनवरी 1952 को ‘कीर्ति चक्र’ के साथ ही इस चक्र की स्थापना की गयी थी। शांति काल के समय सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शौर्य प्रदर्शन के लिए या बलिदान के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है। मरणोपरांत भी यह पुरस्कार दिया जा सकता है।

अशोक चक्र: असाधारण वीरता और बलिदान का पदक


‘अशोक चक्र’ (Ashoka Chakra) का नाम भी शांति के समय दिए जाने वाले पुरस्कारों में आता है। इसकी स्थापना भी 4 जनवरी 1952 को ‘कीर्ति चक्र’ और ‘शौर्य चक्र’ के साथ ही की गयी थी। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। मरणोपरांत भी इस चक्र से सम्मानित किया जा सकता है।

इन्हें किया जाएगा सम्मानित

  • सीआरपीएफ के 30 जवानों को पुलिस मेडल
  • एसएसबी के तीन जवानों को पुलिस मेडल
  • ITBP को 3 पुलिस मेडल समेत कुल 18 शौर्य पुरस्‍कार
  • विशिष्ट सेवा के लिए 88 लोगों को राष्ट्रपति का पुलिस मेडल (पीपीएम)
  • सराहनीय सेवा के लिए 662 जवानों पुलिस मेडल (पीएम)
  • 42 जेल कर्मियों को सुधार सेवा मेडल
  • सराहनीय सेवा के लिए 37 सुधार सेवा मेडल

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