इंडिया न्यूज:
पहले के समय में बहुत कम लोग फोन के बारे में जानते थे। वो भी मोबाइल फोन तो इक्का दुक्का के पास होता था। कुछ घरों में सिर्फ लैंडलाइन फोन होते थे। आज के समय में मोबाइल फोन बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की जरूरत बन गया है। अब तो यही स्मार्टफोन हो गया है।
4जी हो गया है। जल्द ही 5जी आने वाला है। लेकिन क्या कभी सोचा है कि दुनिया में पहला मोबाइल फोन का अविष्कार किसने और कब किया। किस कंपनी ने लांच किया, और इसकी कीमत कितनी थी। पहले मोबाइल फोन का बैटरी बैकअप कितना होता था। भारत में मोबाइल फोन कब आया। तो चलिए जानते हैं इन सारे सवालों के जवाब।
बताया जाता है कि 70 के दशक में लोग एक-दूसरे से बात करने के लिए टेलीफोन का इस्तेमाल करते थे। लेकिन टेलीफोन पोर्टेबल नहीं होते, यानी इसे एक जगह से दूसरी जगह पर नहीं ले जाया जा सकता। इसी दिक्कत के समाधान के लिए मोबाइल फोन बनाए गए। हालांकि आज इसका इस्तेमाल सिर्फ कॉल करने के लिए ही नहीं बल्कि आॅनलाइन पेमेंट, इंटरनेट ब्राउसिंग, मैप पर रास्ता ढूंढने जैसे हजारों काम के लिए किया जाता है।
अमेरिकन इंजीनियर मार्टिन कूपर
मार्टिन कूपर की ओर से बनाये गए पहले मोबाइल फोन का वजन लगभग 2 पाउंड से ज्यादा था। एक बड़ी सी बैटरी को कंधे पर लटका कर चलना पड़ता था। एक बार चार्ज होने के बाद उस मोबाइल से 30 मिनट तक बातें कि जा सकती थी लेकिन उसे दोबारा चार्ज करने में 10 घंटे का समय लगता था। 1973 में मोबाइल फोन की कीमत लगभग 2700 अमेरिकी डॉलर (2 लाख रूपए) थी।
1973 में लांच हुए पहले मोबाइल फोन को जीरो जेनरेशन (ओजी) मोबाइल फोन कहा जाता था। आविष्कार के 10 साल बाद सन् 1983 में मोटोरोला ने दुनिया में आम जनता के लिए मोबाइल फोन (जिसका नाम-मोटोरोला डायनाटैक 8000) बाजार में लांच किया। ये फोन एक बार चार्ज होने के बाद इससे 30 मिनट तक बातें हो सकती थीं। इसमें 30 मोबाइल नंबर भी सेव किया जा सकता था और उस समय इसका मूल्य 3995 अमेरिकी डॉलर (रु. 2,95,669) रखा गया था।
भारत में मोबाइल सेवा की शुरुआत वर्ष 1994 के मध्य से ही भारत के उद्यमी भूपेन्द्र कुमार मोदी की ओर से जाने लगा था। उन्हीं की कंपनी मोदी टेलीस्ट्रा ने देश में पहली बार मोबाइल सेवा प्रारंभ की। पहला मोबाइल कॉल इसी कंपनी के नेटवर्क (जिसे मोबाइल नेट कहा जाता था) पर कोलकता से दिल्ली किया गया था। इसी कंपनी को आगे चलकर स्पाइस मोबाइल्स के नाम से जाना गया।
भारत में मोबाइल फोन की शुरुआत दुनिया के पहले मोबाइल (मोटोरोला डायनाटैक 8000) बनने के 12 साल बाद 31 जुलाई सन् 1995 को हुई। दूरसंचार सेवाओं के विस्तार के लिए भारत में 20 फरवरी 1997 में ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी आॅफ इंडिया) की स्थापना की गयी।
किसी जमाने में मोबाइल की दुनिया में 2 सबसे बड़ी कंपनियां रहीं नोकिया और मोटोरोला नई तकनीक आने के साथ मार्केट से गायब होने लगीं। इसके पीछे कई वजहें रहीं।
एपल की सफलता के साथ ही 2008 में दुनिया का पहला एंड्रॉयड फोन एचटीसी ड्रीम भी लॉन्च हुआ। इसके बाद दुनियाभर में स्मार्टफोन का दौर शुरू हो गया। मोटोरोला और नोकिया जैसी कंपनियां फोन की बदलती तकनीक के हिसाब से खुद को ढाल नहीं पाईं। आईफोन लॉन्च होने के दो साल यानी 2009 में ही एपल कंपनी की मोबाइल फोन के बाजार में 17.4फीसदी हिस्सेदारी हो गई। वहीं, मोटोरोला का हिस्सा घटकर 4.9 फीसदी रह गया।
2007 में सैन फ्रांसिस्को में मैकवर्ल्ड एक्स्पो के दौरान एपल कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने आईफोन को तीन अलग-अलग डिवाइस की फीचर्स वाले एक फोन के तौर पर लॉन्च किया। इसमें कॉलिंग और इंटरनेट दोनों की सुविधा थी। साथ ही इसमें पहली बार आईपौड की तर्ज पर टचस्क्रीन की सुविधा दी गई। 2008 में एपल ने अपना ऐप स्टोर लॉन्च किया। इसकी मदद से लोग अपनी पसंद के ऐप्स और गेम्स फोन में डाउनलोड करने लगे।
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