India News (इंडिया न्यूज़), Hathni Kund barrage, दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इन दिनों बाढ़ जैसे हालात हैं। इसकी वजह है हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी। लाखों क्यूसेक पानी पिछले दो दिनों से बैराज से छोड़ा गया है। हर साल बरसात के मौसम में यमुना अपने प्रचंड रूप में होती है। नदीं के आस-पास रहने वालों का जीवन अस्त-वयस्त हो जाता है। हथिनीकुंड बैराज (Hathni Kund barrage) से दिल्ली की दूरी 200 किलोमीटर है। फिर भी दिल्ली के लोग इस बैराज का नाम सुनते ही समझ जाते है की कुछ अशुभ होने वाला है। आइए इस बैराज के बारें में जानते है।

  • 1999 में शुरू हुआ
  • पहड़ों का पानी इकट्टा करता है
  • कुल 18 गेट का है बैराज

हथिनीकुंड बैराज मुख्य रूप से हरियाणा के यमुनानगर जिले में है। इस निर्माण 1996 से 1999 के बीच किया गया। साल 1999 में तब के हरियाण के सीएम बंसीलाल ने इसका उद्घाटन किया था। बैराज ने अपनी पूरी क्षमता से काम करना साल 2002 में शुरू किया। वैसे तो यह बैराज युमनानगर में लेकिन इसकी सीमाएं हिमाचल प्रेदश, यूपी और उत्तराखंड से लगती है। इस बैराज का काम है पहाड़ों से आने वाली पानी को इकट्ठा करना।

बैराज में कुल 18 गेट

हथिनीकुंड बैराज से युमना के पानी का बंटवारा होता था। यमुना की मुख्य धारा के अलावा यहां से दो नहरें निकलती है। पश्चिमी युमना नहर औऱ पूर्वी यमुना नहर। बैराज में एक छोटा तालाब भी बना है। बैराज की कुल लंबाई 360 मीटर है। यहां पक्षियों की 31 प्रजातियां पाई जाती है। बैराज में कुल 18 गेट है।

दिल्ली को 60 प्रतिशत पानी देता

दिल्ली का 60 प्रतिशत पानी हरियाणा के इसी बैराज से आता है। यहां से पानी छोड़ने के बाद यह 72 घंटे में दिल्ली पहुंच जाता है। युमनानगर, करनाल, पानीपत और सोनीपत बैराज के एक तरफ है तो दूसरी तरफ यूपी का सहारनपुर, शामली, बागपत और मेरठ। बारिश के मौसम में पानी की अधिक मात्रा को देखते हुए यह पानी छोड़ा जाता है ताकी बैराज सही-सलामत रहे। जहां बैराज बना है उस जगह का नाम ही हथिनीकुंड था। यह जगह पहाड़ों से घिरी थी और कुंड के आकार की है। इसलिए बैराज का नाम हथिनीकुंड बैराज पड़ा।

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