India News (इंडिया न्यूज), Know What Is Madrasas: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सिफारिश की है कि मदरसों और मदरसा बोर्डों को दी जाने वाली सभी सरकारी फंडिंग बंद कर देना चाहिए। इसके साथ ही मदरसा बोर्डों को बंद करने का भी सुझाव दिया गया है। आयोग ने इस संबंध में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है। आयोग ने कहा कि मुस्लिम बच्चों को मदरसे मुख्यधारा से जोड़ने में विफल है, इसलिए यह सिफारिश की जा रही है। आइए जानते हैं क्या होता है मदरसा और क्या पढ़ाया जाता है यहां…
क्या पढ़ाया जाता है?
ऐसा माना जाता है कि इस्लाम को जानने का रास्ता मदरसों से होकर जाता है। मदरसों में धार्मिक शिक्षा दी जाती है, ताकि लोग इस्लाम के बारे में जान सकें। मदरसे एक तरह के इस्लामिक स्कूल कहा जाता हैं। यहां के पढ़ाई का तरीका और पाठ्यक्रम सबकुछ अलग-अलग होते हैं, जो उनके संबद्ध बोर्ड, प्रबंधन और शिक्षण पद्धति पर निर्भर करते हैं। धार्मिक शिक्षा में कुरान, हदीस, तफ़सीर, फ़िक़्ह और इस्लामी इतिहास जैसे धार्मिक विषय पढ़ाए जाते हैं। इसके अलावा अरबी भाषा बोलने, लिखने और समझने की ट्रेनिंग दी जाती है। एक अच्छा नागरिक बनने और समाज में योगदान देने के लिए मूल्यों का विकास और नैतिक शिक्षा भी दी जाती है।
पाठ्यक्रम के प्रकार क्या हैं
- दीनिया- यह पाठ्यक्रम धार्मिक शिक्षा पर केंद्रित है और इसमें कुरान, हदीस, तफ़सीर, फ़िक़्ह और इस्लामी इतिहास जैसे विषय शामिल हैं।
- आधुनिक- इस पाठ्यक्रम में विज्ञान, गणित, अंग्रेज़ी, हिंदी और सामाजिक विज्ञान जैसे सामान्य शिक्षा विषय शामिल हैं। संयुक्त- यह पाठ्यक्रम दीनिया और आधुनिक शिक्षा दोनों को जोड़ता है।
प्रमुख मदरसा बोर्ड और उनके पाठ्यक्रम
- दारी उलूम देवबंद: यह बोर्ड दीनिया शिक्षा पर केंद्रित है और इसमें कुरान, हदीस, तफसीर, फ़िक़्ह और इस्लामी इतिहास जैसे विषय शामिल हैं।
- नदवतुल उलमा: यह बोर्ड दीनिया और आधुनिक शिक्षा दोनों को जोड़ता है। इसमें कुरान, हदीस, तफ़सीर, फ़िक़्ह और इस्लामी इतिहास के साथ-साथ विज्ञान, गणित, अंग्रेज़ी, हिंदी और सामाजिक विज्ञान शामिल हैं।
- मदरसा बोर्ड ऑफ इंडिया:
- भारत सरकार द्वारा इस बोर्ड की स्थापना की गई है और यह आधुनिक शिक्षा पर केंद्रित होता है। जिसमें अंग्रेज़ी, हिंदी, विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान जैसे विषय शामिल किया गया हैं।
मदरसों में शिक्षा का महत्व
- धार्मिक शिक्षा: मदरसे छात्रों को धार्मिक शिक्षा प्रदान करते हैं जो उन्हें अपने धर्म को बेहतर ढंग से समझने और उसकी शिक्षाओं का पालन करने में मदद करती है।
- नैतिक शिक्षा: मदरसे छात्रों को अच्छे नागरिक बनने और समाज में योगदान देने के लिए आवश्यक मूल्यों को विकसित करने में मदद करते हैं।
- रोजगार के अवसर: मदरसों में पढ़े छात्रों को शिक्षण, धार्मिक नेतृत्व और अन्य क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर मिलते हैं।
मदरसों में पैसा कहां से आता है?
मदरसों को चलाने के लिए फंड कई स्रोतों से आता है, जिनमें से मुख्य सरकारी सहायता है। केंद्र सरकार मदरसा आधुनिकीकरण योजना (एमएमएस) के तहत बुनियादी ढांचे, शिक्षक प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। कुछ राज्य सरकारें भी मदरसों को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। कुछ स्थानीय निकाय भी मदरसों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
एनजीओ फंड प्रदान करते हैं
गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) भी मदरसों को चलाने के लिए फंड प्रदान करते हैं। कई भारतीय और विदेशी एनजीओ मदरसों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। इसके अलावा, कई लोग व्यक्तिगत रूप से मदरसों को दान देते हैं। कुछ धार्मिक संगठन मदरसों को दान देते हैं। कुछ मदरसे छात्रों से फीस लेते हैं। कुछ मदरसे व्यावसायिक गतिविधियों से आय अर्जित करते हैं। कुछ मदरसे अपनी संपत्ति को किराए पर देकर आय अर्जित करते हैं।
धन का स्रोत एक विवादास्पद मुद्दा
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी मदरसों को सरकारी सहायता नहीं मिलती है। कुछ मदरसे पूरी तरह से दान और फीस पर निर्भर हैं। मदरसों के लिए धन का स्रोत एक विवादास्पद मुद्दा है। कुछ लोगों का मानना है कि मदरसों को सरकारी सहायता नहीं मिलनी चाहिए, जबकि अन्य का मानना है कि मदरसों को अन्य शैक्षणिक संस्थानों की तरह सरकारी सहायता मिलनी चाहिए।
कब खुला था पहला मदरसा
भारत में पहला मदरसा 1191-92 ई. में अजमेर में खोला गया था। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार उस समय वहां पर मोहम्मद गौरी का शासन था। हालांकि, इस पर यूनेस्को ने कही कि भारत में मदरसों की शुरुआत 13वीं शताब्दी में हुई थी। मुगल बादशाहों ने मदरसों को बढ़ावा दिया, खासकर अकबर ने, जिसने विभिन्न विषयों को कवर करने वाले मदरसों का एक व्यापक नेटवर्क स्थापित किया। अंग्रेजों के भारत आने के बाद उन्होंने मदरसों पर नियंत्रण कर लिया और उन्हें ‘ओरिएंटल कॉलेज’ में बदल दिया, जहाँ फ़ारसी और अरबी भाषाओं के साथ-साथ कानून और राजनीति भी पढ़ाई जाती थी। भारत की आज़ादी के बाद भारत में मदरसों का आधुनिकीकरण किया गया और कई मदरसों ने अपने पाठ्यक्रम में आधुनिक शिक्षा को शामिल किया।