जानिए किन लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है मंकीपॉक्स

इंडिया न्यूज:
पिछले तीन साल से कोरोना महामारी का खौफ अभी लोगों के दिलों से निकला भी नहीं था कि मंकीपॉक्स वायरस ने फिर से लोगों में डर पैदा कर दिया है। शुरुआत में मंकीपॉक्स के केस ब्रिटेन में सामने आये थे, जिसके बाद अब तक कनाडा और स्पेन सहित 12 से अधिक देशों में इस वायरस की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि अब तक भारत में मंकीपॉक्स का एक भी केस नहीं मिला है। इसके बावजूद मुंबई एयरपोर्ट पर अलर्ट जारी कर दिया गया है। तो आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में क्या कहना है विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का।

क्या है मंकीपॉक्स?

मंकीपॉक्स एक ऑर्थोडॉक्स वायरस है, जिसमें चेचक (स्मॉल पॉक्स) जैसे लक्षण होते हैं। हालांकि यह चेचक से कम गंभीर है। यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। इंसानों में पहली बार यह मामला 1970 में आया था।

कैसे फैलता है वायरस?

जेन मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल मुम्बई के फिजिशियन और इंफेक्शन स्पेशलिस्ट अनुसार मंकीपॉक्स एक जूनोसिस डिसीज है। यानी यह जानवर से इंसानों में फैलता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, गिलहरियों जैसे जानवरों से भी फैलता है। इसके साथ यह वायरस संक्रमित व्यक्ति की आंख, नाक और मुंह के जरिए फैल सकता है। यह मरीज के कपड़े, बर्तन और बिस्तर को छूने से भी फैलता है।

इस बीमारी से गर्भवती महिलाएं कैसे बचें?

गुरुग्राम की गाइनकोलॉजिस्ट मुताबिक एक से दूसरे व्यक्ति में वायरस को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका यह है कि संक्रमित लोगों से दूरी रखनी चाहिए। हालांकि यह एक प्रैक्टिकल उपाय नहीं है लेकिन इसे करना जरूरी है। भारत में अब तक कोई मामला नहीं आया है। इसके बावजूद प्रेग्नेंट महिलाओं को सावधानी रखनी जरूरी है।

किन लोगों के लिए ज्यादा है खतरनाक?

मंकीपॉक्स वायरस वैसे तो अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन यह कुछ लोगों में गंभीर साबित हो सकता है। ऐसे लोगों में छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बेहद कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग शामिल हैं। पांच साल से छोटे बच्चे इसकी चपेट में जल्दी आते हैं।

ये सावधानियां अपनाएं?

अपना खाना-पानी, बिस्तर, तौलिया किसी के भी साथ शेयर न करें। ऐसे व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें, जिसे सर्दी-खांसी और छींक की परेशानी है। इम्यूनिटी अच्छी रखने के लिए फल, सलाद खाएं और दूध, जूस पिएं।

कितनी खतरनाक है ये बीमारी?

मंकीपॉक्स के लक्षण दो से चार हफ्तों में नजर आते हैं। यह बीमारी कमजोर इम्यूनिटी वालों के लिए ज्यादा खतरनाक है। खासकर गर्भवती, बुजुर्ग, बच्चों और कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को प्रभावित करती है।

5 साल से कम उम्र के बच्चे मंकीपॉक्स से कैसे बच सकते हैं?

यदि आपके बच्चे का इम्यून सिस्टम कमजोर है तो उसका खानपान ठीक करें। फिजिकल एक्टिविटी करवाएं। इससे उसकी इम्यूनिटी मजबूत होगी। दिनभर कम्प्यूटर या मोबाइल पर गेम न खेलने दें। इम्यूनिटी अच्छी होगी तो वायरल इंफेक्शन से बच्चे को खतरा कम होगा और अगर वो बीमार पड़ता भी है तो जल्दी रिकवर होगा। इसके अलावा अगर बच्चे के शरीर पर दाने दिख रहे हैं और उसे बुखार है तो घरेलू उपाय न करें, डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चे को अनजान और बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने से रोकें।

क्या इसके लिए कोई वैक्सीन और इलाज मौजूद है?

  • मंकीपॉक्स वायरस चेचक का कारण बनने वाले वायरस से मिलता-जुलता है। इसलिए चेचक की वैक्सीन इस बीमारी के लिए प्रभावी माना गया है। यानी चेचक के इलाज के लिए विकसित वैक्सीन मंकीपॉक्स के इलाज में भी कारगर है।
  • बाजार में दवाएं मौजूद हैं, जो पहले से मंकीपॉक्स के इलाज के लिए काम आती थी। जैसे-सिडोफोविर, एसटी -246 और वैक्सीनिया इम्युनोग्लोबुलिन का इस्तेमाल मंकीपॉक्स के संक्रमण में किया जाता है।

एक नजर इनमें भी

  • ब्रिटेन में अब तक मिले मंकीपॉक्स के ज्यादातर मामलों में मरीज खुद को ‘गे’ या बायसेक्शुअल आइडेंटिफाई कर रहे हैं। समलैंगिकों में यह सेक्शुअल कॉन्टैक्ट से फैल रहा है। अभी तक मंकीपॉक्स को यौन संक्रामक बीमारी नहीं माना गया है।
  • बृहन्मुंबई नगर निगम ने भी कस्तूरबा अस्पताल में मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीजों के लिए 28 बेड का आइसोलेशन वॉर्ड तैयार कर दिया है। मंकीपॉक्स को लेकर ‘नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल’ और ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ को अलर्ट रहने के लिए कहा है।

Know which people can be dangerous for monkeypox

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