India News (इंडिया न्यूज), Seema Pahuja: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या मामले की जांच कर रही सीबीआई पर पूरे देश की नजर है। साथ ही पीड़िता के माता-पिता को भी अब न्याय मिलने की उम्मीद है। 30 सदस्यीय टीम में सीबीआई अधिकारियों के साथ-साथ सीएफएसएल के विशेषज्ञ भी शामिल हैं, जो अपने वैज्ञानिक ज्ञान के कारण उन छिपे सबूतों को खोजने में माहिर माने जाते हैं, जिन्हें नंगी आंखों से देख पाना लगभग नामुमकिन है।
30 सदस्यीय टीम में शामिल है सीमा पाहुजा
सीबीआई शुरुआत में आरजी पर मेडिकल अस्पताल भी जा चुकी हैं, जहां डॉक्टर के साथ बर्बरतापूर्वक दुष्कर्म किया गया था। सीबीआई मामले की तह तक जाना चाहती है, इसलिए हाथरस कांड से चर्चा में आईं सीमा पाहूजा को यह जिम्मेदारी दी गई है। भले ही उस 30 सदस्यीय टीम का नेतृत्व झारखंड कैडर के 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी संपत नेहरा कर रहे हों, लेकिन इस 30 सदस्यीय टीम में एक चेहरा ऐसा भी है जिसका नाम और पहचान ही केस को सुलझाने की गारंटी है। वो नाम है सीबीआई की एएसपी सीमा पाहुजा।
कौन हैं सीबीआई की एएसपी सीमा पाहुजा
1993 में दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुईं सीमा पाहुजा ने दिल्ली पुलिस के अधीन ट्रेनिंग ली और सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच और स्पेशल क्राइम यूनिट में कई सालों तक सेवा देने के बाद अक्टूबर 1998 में सीमा पाहुजा को इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नत किया गया। उनकी जांच कौशल को देखते हुए 2013 में सीमा पाहुजा को डीएसपी बनाया गया। इस दौरान सीमा पाहुजा ने कई मानव तस्करी, धर्मांतरण, हत्या और नाबालिग लड़कियों के खिलाफ अपराधों की जांच की और आरोपियों को सजा दिलाई।
हाथरस गैंगरेप केस भी सुलझा चुकी है
सीमा पाहुजा ने शिमला के कोठई में गुड़िया के साथ दुष्कर्म और हत्या मामले को सुलझाने के लिए सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी थीं, इसके बाद उन्होंने एक नेशनल शूटर के साथ लव जिहाद मामले को सुलझाया। एक समय ऐसा भी था जब एएसपी सीमा पाहुजा ने पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते सीबीआई को समय से पहले रिटायरमेंट के लिए लिख दिया था, लेकिन यह सीमा पाहुजा की काबिलियत ही थी कि तत्कालीन सीबीआई निदेशक ने उनका तबादला चंडीगढ़ की एंटी करप्शन ब्रांच में कर दिया था। लेकिन उसके बाद देश को हिला देने वाला हाथरस गैंगरेप केस हुआ, तो सीबीआई ने एक बार फिर हाथरस गैंगरेप केस की जांच सीमा पाहुजा को सौंप दी। उन्होंने इस केस की जांच की और दोषियों को भी सजा दिलवाई। बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों को भी सुलझाया और ज्यादतर केस के आरोपियों को कोर्ट से उम्रकैद की सजा दिलवाई।
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मिले है ये पुरस्कार
- सीमा पाहुजा को सर्वश्रेष्ठ जांच पुरस्कार के लिए पहला स्वर्ण पदक 2007 में हरिद्वार में हुए दोहरे हत्याकांड को सुलझाने के लिए मिला था।
- 2014 में सीमा पाहुजा को 15 अगस्त को भारतीय पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था।
- 2018 में सीमा पाहुजा को केंद्रीय गृह मंत्री उत्कृष्टता जांच पुरस्कार मिला था।
- 2018 में ही सीमा पाहुजा को सर्वश्रेष्ठ जांच के लिए स्वर्ण पदक के साथ 50 हजार रुपये का नकद पुरस्कार भी मिला था। सीमा पाहुजा को यह सम्मान शिमला की गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले को सुलझाने के लिए मिला था। इस मामले की जांच को सीबीआई की सर्वश्रेष्ठ जांच भी माना जाता है।
कोलकाता रेप-मर्डर केस में न्याय मिलने का भरोसा
इसके अलावा सीमा पाहुजा को अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है और यही वजह है कि जब कोलकाता हाई कोर्ट ने ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर के मामले की जांच सीबीआई को सौंपी तो सीबीआई ने इस केस को सुलझाने की जिम्मेदारी एएसपी सीमा पाहुजा को दी। कोलकाता पहुंची एएसपी सीमा पाहुजा अपनी टीम के साथ जांच अधिकारी के तौर पर इस केस की जांच कर रही हैं। यही वजह है कि सीमा पाहुजा के सर्विस रिकॉर्ड को देखते हुए अब देश को ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर केस में पूरा न्याय मिलने का भरोसा है।