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जानें कौन है George Soros? जिसके साथ नाम जुड़ना राहुल गांधी के लिए बन गया कांड, हिला देते हैं सरकारें

India News (इंडिया न्यूज), George Soros : संबित पात्रा के एक बयान के बाद राहुल गांधी और जॉर्ज सोरोस के रिश्ते को लेकर सोशल मीडिया पर खूब हंगामा मचा हुआ है। बता दें कि संबित पात्रा ने एलओपी राहुल गांधी देशदोही बताया है। उन्होंने कहा कि राहुल जॉर्ज सोरोस ओपेन सोसाइटी को फंडिंग करते है। देश के खिलाफ प्रोपगेंडा फैलाते हैं। ये मुद्दा गंभीर हैं। ये देश की एकता और संप्रभुता का मुद्दा है। पात्रा ने कहा कि कुछ ताकतें भारत को तोड़ना चाहती हैं। फ्रेंच न्यूज पेपर मीडिया ने इसका कुछ खुलासा किया है। राहुल गांधी भी जॉर्ज सोरोस से मिलें हुए हैं। तो चलिए जानते हैं जॉर्ज सोरोस कौन है।

जॉर्ज सोरोस कौन हैं?

हंगरी में जन्मे अमेरिकी नागरिक जॉर्ज सोरोस अरबों की संपत्ति के मालिक हैं। वे अक्सर विवादों में रहे हैं। उन पर कुछ देशों की सरकारों को अस्थिर करने की साजिश रचने का आरोप है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर आलोचक माने जाने वाले सोरोस ने हाल ही में 16 फरवरी को म्यूनिख में सुरक्षा सम्मेलन में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय कारोबारी गौतम अडानी के बीच संबंधों के बारे में बात की।

पीएम मोदी को लेकर कह चुके हैं ये बात

उन्होंने कहा था कि भारत के पीएम मोदी अडानी के शेयर हेरफेर और उनके पतन पर चुप हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और भारतीय संसद में जवाब देना होगा। सोरोस ने दावा किया था कि अडानी समूह में उथल-पुथल भारत में लोकतंत्र के पुनरुद्धार का द्वार खोल सकती है।

ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के संस्थापक

लगभग 8.5 बिलियन डॉलर की कुल संपत्ति के मालिक सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के संस्थापक हैं। उनका संगठन “स्वतंत्रता और लोकतंत्र” को आगे बढ़ाने के लिए दुनिया भर के नागरिक समाज समूहों का समर्थन करता है। भाजपा द्वारा “भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं” में हस्तक्षेप करने के प्रयास के लिए उनकी बार-बार आलोचना की गई है।

नाइट-क्लब के वेटर के तौर पर कर चुके हैं काम

ओपन सोसाइटी वेबसाइट के अनुसार, 92 वर्षीय अरबपति सोरोस का जन्म 1930 में हंगरी में हुआ था और वे 1944-1945 के नाजी कब्जे से बचने में सफल रहे। सोरोस एक यहूदी परिवार से हैं। वे 1947 में लंदन चले गए। वहाँ, उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में अपनी शिक्षा का खर्च उठाने के लिए रेलवे पोर्टर और नाइट-क्लब वेटर के रूप में अंशकालिक काम किया।

वे 1956 में अमेरिका चले गए और 1973 में अपना खुद का हेज फंड लॉन्च किया और बाद में अमेरिकी इतिहास में सबसे सफल निवेशकों में से एक बन गए।

सोरोस को 1992 में ब्रिटिश पाउंड के खिलाफ अपने कुख्यात दांव के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने यूरो की स्थापना से पहले विनिमय दर प्रणाली से मुद्रा को वापस लेने में मदद की। सोरोस ने ब्लैक बुधवार के रूप में जानी जाने वाली मुद्रा दुर्घटना में अपनी विशाल शॉर्ट पोजीशन से $1 बिलियन का चौंका देने वाला लाभ कमाया।

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Divyanshi Singh

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