इंडिया न्यूज:
कहते हैं हर साल जब किसी हिस्से में चक्रवात तूफान आता है तो उसके नाम की चचार्एं जोरों शोरों से होने लगती हैं। कई लोगों के मन में तूफान के नाम को लेकर कई सारे सवाल उठने लगते हैं। लोग सोचते हैं कि तूफान का नामकरण क्यों और कैसे किया जाता है। चक्रवाती तूफान असानी के नामकरण की भी एक वजह है। ‘असानी’ नाम श्रीलंका ने दिया है जो ‘क्रोध’ या गुस्से के लिए यूज होता है। आइए आज लेख के जरिए जानते हैं हर वर्ष आने वाले तूफानों का कैसे रखा जाता है नाम और इसके पीछे की क्या वजह है।
संयुक्त राष्ट्र के तहत एक एजेंसी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) अनुसार किसी विशेष भौगोलिक स्थान या दुनियाभर में एक समय में एक से अधिक चक्रवात हो सकते हैं और ये एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक जारी रह सकते हैं। इसलिए भ्रम से बचने, आपदा जोखिम संबंधी जागरूकता, प्रबंधन और राहत कार्य में मदद के लिए प्रत्येक उष्णकटिबंधीय तूफान को एक नाम दिया जाता है।
कब से हो रहा तूफानों का नामकरण?
- साल 1953 से अटलांटिक उष्णकटिबंधीय तूफानों का नामकरण अमेरिका में राष्ट्रीय तूफान केंद्र की ओर से तैयार की गई सूचियों में से रखा जाता रहा। शुरूआत में तूफानों को मनमर्जी नाम दिए जाते थे। 1900 के मध्य से तूफानों के लिए स्त्री नामों का उपयोग होने लगा। डब्ल्यूएमओ ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि मौसम विज्ञानियों ने बाद में एक अधिक संगठित और कुशल प्रणाली के माध्यम से तैयार सूची के जरिए तूफानों का नामकरण करने का फैसला किया।
देशी तूफानों का नामकरण कैसे शुरू हुआ?
- बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवातों का नामकरण सितंबर 2004 में शुरू हुआ। आईएमडी उत्तरी हिंद महासागर में 13 देशों को चक्रवात और तूफान से संबंधित परामर्श प्रदान करता है। सूची के नामों को वणार्नुक्रम में व्यवस्थित किया गया है, जो लिंग, राजनीति, धार्मिक विश्वासों और संस्कृतियों के लिहाज से तटस्थ हैं। इसका उपयोग क्रमिक रूप से किया जाता है।
- हिंद महासागर में इसकी शुरूआत साल 2004 से हुई। भारत ने जब इसकी पहल की तो 8 अन्य देशों ने तूफानों का नाम रखना शुरू किया। भारत के अलावा जो देश तूफानों का नाम रखते हैं, उनमें श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, बांग्लादेश, ओमान, पाकिस्तान, और थाईलैंड शामिल थे। हालांकि हालही के कुछ वर्षों में अरब देश भी इस पहल में जुड़े। इन अरब देशों में ईरान, यूएई, कतर और यमन का नाम शामिल है।
कैसे दिया जाता है तूफानों को नाम?
बता दें मौसम विज्ञानियों की ओर से अधिक संगठित और कुशल प्रणाली के तहत तूफानों को एक सूची से नाम देने का निर्णय लिया गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है, जिसे किसी चक्रवात का नाम देने का काम सौंपा गया है। जब उत्तरी हिंद महासागर के ऊपर हवा की गति 62 किमी प्रति घंटे की अधिकतम सीमा से तेज हो जाती है, तब इसे तूफान/चक्रवात/ के रूप में वगीर्कृत किया जाता है।
तूफानों को नाम देने के नियम क्या?
वणार्नुक्रम अनुसार व्यवस्थित देशों की ओर से दिए गए नामों की सूची तैयार की जाती है। यह लिंग, राजनीति, धार्मिक विश्वासों और संस्कृतियों से तटस्थ होते हैं। एक बार किसी नाम का प्रयोग हो जाने के बाद उसे दोबारा नहीं दोहराया जाता। चक्रवात के नाम में अधिकतम आठ अक्षर हो सकते हैं। कोई भी नाम किसी भी सदस्य देश के लिए अपमानजनक नहीं होना चाहिए या जनसंख्या के किसी भी समूह की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए।
13 देशों ने दिए 169 नाम
चक्रवातों का नाम विश्व मौसम विभाग/संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग एशिया व प्रशांत (डब्ल्यूएमओ/ईएससीएपी) पैनल आॅन ट्रॉपिकल साइक्लोन (पीटीसी) की ओर से दिया जाता है। इस पैनल में 13 देश हैं। इनमें भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, मालदीव, ओमान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन शामिल हैं। ये देश तूफान के नामकरण का सुझाव देते हैं। वहीं भारत की ओर से दिए गए तूफानों के नामों में गति, तेज, मुरासु, आग, व्योम, झार, प्रोबाहो, नीर, प्रभंजन, घुरनी, अंबुद, जलधि और वेग शामिल हैं। पिछले साल हरेक देश ने 13 नाम सुझाए थे। इसके चलते चक्रवातों के 169 नामों की फेहरिस्त बनी थी।
अब तक ये तूफान रहे चर्चा में
हुदहुद, लैला, निलोफर, वरदा, कैटरीना, नीलम, फैलीन, हेलन, अम्फान, तितली, आइला, गति, ‘गुलाब’ और ‘यास’ तूफान के नाम काफी चर्चा में रहा है।
‘असानी’ तूफान का नाम कैसे पड़ा?
- इस चक्रवात को नाम श्रीलंका ने दिया है। असानी सिंहली भाषा का शब्द है, जिसका मतलब होता है क्रोध। किसी भी तरह के तूफानों को नाम देने की वजह ये होती है कि एक ही समय में दुनिया के कई हिस्सों में तूफान आ सकते हैं। ऐसे में तूफानों को लेकर जनता और सरकार के बीच भ्रम ना हो और सही समय पर उस तूफान से राहत के कार्य कर लिए जाएं, इसलिए तूफानों को नाम दे दिया जाता है।
- बता दें ‘असानी’ तूफान बंगाल की खाड़ी में भीषण चक्रवात में बदल चुका है और ये 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ रहा है।
अगले चक्रवात का क्या होगा नाम?
असानी के बाद बनने वाले चक्रवात को सितारंग कहा जाएगा, जो थाईलैंड की ओर से दिया गया नाम है। बता दें कि चक्रवातों की तीव्रता अलग-अलग होती है जिसका उसके नाम से कोई लेना देना नहीं होता।
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