India News (इंडिया न्यूज), Kolkata Rapu-Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने आज पश्चिम बंगाल के कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में स्वत: संज्ञान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि कोलकाता बलात्कार पीड़िता का नाम, फोटो और वीडियो क्लिप हर जगह प्रकाशित किया गया। कानून पीड़ितों के नाम प्रकाशित करने पर रोक लगाता है। क्या इस तरह से हम उस युवा डॉक्टर को सम्मान दे सकते हैं जिसने अपनी जान गंवा दी? सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज के प्रिंसिपल से भी सवाल किया कि उन्होंने इसे आत्महत्या के तौर पर पेश करने की कोशिश की और माता-पिता को शव देखने नहीं दिया गया।
कोलकाता रेप केस पर क्या बोली सोनागाक्षी के वर्कर
बता दें कि, मामले में देश में मचे बवाल के बाद देश के नामी मीडिया संस्थान ने कोलकाता के रेड लाइट एरिया में जाकर महिलाओं से बात की। मीडिया से बात करते हुए एक महिला जो कि एक अभिनेत्री है ने कहा कि यह घटना नहीं होनी चाहिए, यह एक संवेदनशील मामला है। यह देश को शर्मसार करने वाला मामला है। इस दौरान रेड लाइट एरिया सोनागाक्षी इलाके में काउंसलर के तौर पर काम करने वाली राजश्री बिष्ट ने कहा कि हम रोजाना हो रही दुष्कर्म की घटनाओं को कैसे रोक पाएंगे, यह सोचने वाली बात है।
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इतना बड़ा रेड लाइट एरिया के बाद क्यों करते हैं दुष्कर्म
आगे उन्होंने आगे कहा कि आप बेटी का दुष्कर्म क्यों करते हैं, इतना बड़ा रेड लाइट एरिया है। यहां वे कुछ पैसों के लिए आपके साथ काम करने को तैयार हैं। फिर आप दुष्कर्म जैसा घिनौना कृत्य क्यों कर रहे हैं। हमें सिर्फ न्याय चाहिए। ये सब घटनाएं देखकर हम भी डर जाते हैं। जब हम काम पर बाहर जाते हैं तो हमारे परिवार के लोग भी चिंतित रहते हैं। बता दें कि 9 अगस्त की दरम्यानी रात आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी गई थी। अगली सुबह उसका शव मिला था, जिसके बाद से डॉक्टर विरोध कर रहे हैं।
देश भर में चल रहे विरोध प्रदर्शन
मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने जांच बंगाल पुलिस से केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को स्थानांतरित कर दी है। शीर्ष अदालत ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए स्वत: संज्ञान लिया है कि कलकत्ता हाईकोर्ट पहले से ही मामले में शामिल था। देश भर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों, विशेषकर डॉक्टरों और उनकी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, सर्वोच्च न्यायालय न्यायिक जांच का दायरा बढ़ा सकता है।