India News (इंडिया न्यूज), Kolkata Doctor Rape-Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या मामले में हर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस मौत के पीछे कई राज छिपे हैं और सीबीआई इसकी जांच कर रही है। इस बीच, रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल भी जारी है। इस केस में अब तक पुलिसस CBI और अब देश की सर्वोच न्यायालय (Supreme Court) की भी एंट्री हो गई। सुप्रीम कोर्ट इस पर स्वत संज्ञान लिया है। फिलहाल मुख्य आरोपी संजय रॉय से पूछ ताछ जारी है। कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से पीछले तीन दिनों से पूछ ताछ जारी है। ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि शुरुआथ में इस केस में कुल सात लोगों पर शक था फिर संजय कैसे मुख्य आरोपी बन गया। आप दहल जाएंगे कि बस एक इयरफोन ने ये काम किया।
कौन है संदीप घोष
पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल बनने से पहले कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल रह चुके हैं। इसके साथ ही वो सर्जन और ऑर्थोपेडिक्स भी हैं। उन पर न सिर्फ हत्या को आत्महत्या में बदलने की कोशिश का आरोप है। बल्कि उन्होंने पीड़िता का नाम और पहचान भी उजागर की है।
मुख्य आरोपी संजय रॉय
Sanjay Roy एक ऐसा चेहरा जो इस केस में सबसे पहले उभर कर सामने आया। अभी हालात ऐसे हैं कि आरोपी संजय मुख्य सस्पेक्ट है जिसके रुह से भी सच सीबीआई उगलवा कर रहेगी। लेकिन अब सवाल यह उठता है की संजय राय इस केस में मुख्य सस्पेक्ट कैसे बन गया। जबकि वह अस्पताल का कर्मचारी भी नहीं था। दरअसल संजय राय अक्सर अस्पताल में किसी मरीज को लेकर आता रहता था। जिसकी वजह से अस्पताल की बाकी कर्मचारियों से उसकी अच्छी खासी दोस्ती हो गई थी। लेकिन वारदात के वक्त वह कैसे पहुंचा घटनास्थल पर इसके साथ ही वह पुलिस और सीबीआई के रडार पर कैसे आ गया। दरअसल इसका खुलासा सीसीटीवी ने किया। कोलकाता पुलिस ने जब इस केस की छानबीन शुरू की तो इस केस में कई एंगल सामने निकल कर आए। छानबीन के दरमियान पुलिस के हाथ एक बड़ा सुराग लगा। जिसने इस केस की दशा और दिशा दोनों ही बदल कर रखदी।
अलग- अलग टीम का गठन
मामले की जांच के लिए स्थानीय प्रशासन के द्वारा कई टीमों का गठन किया गया। हर टीम अपने-अपने स्तर पर जांच पड़ताल शुरू करती है कोई टेक्निकल इन्वेस्टिगेशन पर फोकस करता है, तो कोई लोकल सोर्सेज के हवाले से उसे अस्पताल आने जाने वाले हर संदिग्ध लोगों की जांच पड़ताल शुरू करता है। वहीं उनमें से एक टीम ऐसी भी थी जो मोबाइल फोन से जुड़ी जानकारी जुटाना की जिम्मेदारी लेकर चल रही थी। इस इन्वेस्टिगेशन में सबसे पहले सेमिनार हॉल के इर्द-गिर्द लगे सीसीटीवी कैमरा की फुटेज भी कंगाली गई। फिर CCTV ने कुछ ऐसा खुलासा कर दिया जिसकी पुलिस ने भी कल्पना नहीं की थी।
फुटेज की बेसिस पर पुलिस ने कुल 7 से 8 लोगों को रडार पर लिया। जिससे गहन पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ। लेकिन अब सवाल यह है कि पुलिस के रडार पर संजय राय कैसे आया। इस मामले में 33 साल के संजय राय नाम के एक सिविक वालंटियर का चेहरा भी पुलिस की नजरों में आया। वह अक्सर उसे अस्पताल में आया जाया करता था। इत्तेफाकन संजय उस रात सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया। फुटेज से पता चला कि वह अस्पताल में सेमिनार हॉल की तरफ जा रहा था। बता दे कि संजय राय को उससे पहले रात 11:00 अस्पताल में देखा गया था इसके बाद वह वहां से बाहर निकल गया था। लेकिन पुलिस का माथा तब ठनका जब फिर से अहले सुबह करीब 4:00 बजे अस्पताल के इमरजेंसी बिल्डिंग की तरफ वह जाता दिखा और तकरीबन 40 मिनट बाद वहां से फिर वह बाहर निकाल आया। फुटेज में देखने से लग रहा था कि वह होश में नहीं है शराब के नशे में धुत है। बाद में पूछताछ से पता चला कि वह अक्सर नशा किया करता था। साथ ही उसे एडल्ट कॉन्टेंट देखने की भी लत थी।
संजय राय ऐसे बना मुख्य आरोपी
उस के बीच पुलिस के हाथ एक ऐसा सुराग लगा जिसने सबको हिला कर रख दिया। जिससे साफ हो गया था कि एक ट्रेनिंग डॉक्टर के साथ जयादती और कत्ल का दोषी कोई और नहीं संजय रॉय ही है। जिस पर पुलिस की शक की सुई अटक गई। बता दे की पुलिस को मौकाए वारदात की जगह पर जांच पड़ताल करने के बीच एक टूटा हुआ नेक बैंड बंद ब्लूटूथ इयरफोन बरामद किया गया था।
पुलिस को यह शक हुआ कि यह इयरफोन उस वारदात में शामिल किसी आरोपी का हो सकता है। जब जांच की दिशा आगे बड़ी तो शक और गहरा होता चला गया और तस्वीर साफ होती चलेगी कि वह इयरफोन कम से कम पीड़ित लड़की का तो नहीं था फिर जिस तरह से वह टूटा हुआ था उसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि शायद ट्रेनी डॉक्टर के साथ बर्बरता करने के दौरान ही वह टूटा होगा।
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नेकबैंड ब्लूटूथ इयरफोन ने खोल कर रख दिया राज
इस सबूत के सामने आने के बाद पुलिस ने तय किया कि फिर से इस पहलू को वेरीफाई करने के लिए एक बार सीसीटीवी फुटेज की जांच पड़ताल करनी पड़ेगी इस बार पुलिस इस बात पर ज्यादा गौर करने लगी और हैरान रह गई की सुबह 4:00 बजे जब संजय राय इमरजेंसी बिल्डिंग की तरफ जा रहा था तो उसके गले में एक नेकबैंड ब्लूटूथ इयरफोन मौजूद वहीं जब वह 40 मिनट बाद बाहर निकाला तो ब्लूटूथ इयरफोन उसके गले से गायब था। तब पुलिस का शक और गहरा हो गया और तकरीबन पुख्ता हो गया कि वह इयरफोन किसी और का नहीं बल्कि मुख्य आरोपी संजय का ही था जो ज्यादती और कत्ल के दौरान सेमिनार हॉल में गिर गया था।
पुलिस यही नहीं रुकी पुलिस ने इससे पहले शॉर्ट लिस्ट किए गए कई लोगों के मोबाइल फोन के साथ ब्लूटूथ इयरफोन को कनेक्ट करने की कोशिश की और यह देखकर वह चौंक गई जब ईयरफोन संजय के मोबाइल फोन के साथ पेर्यड हो गया तो फिर साफ हो गया कि वह किसी और का नहीं बल्कि मुखिया आरोपी संजय का ही था।