India News (इंडिया न्यूज), Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता रेप-मर्डर केस सामने आने के एक महीने बाद आज इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच कर रही है। सीबीआई ने जांच पर अपनी स्टेटस रिपोर्ट बेंच को सौंपी है। जजों ने सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई रिपोर्ट की समीक्षा की। मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा है कि कॉलेज से प्रिंसिपल का घर कितनी दूर है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि प्रिंसिपल का घर आरजी कर मेडिकल कॉलेज से 15 से 20 मिनट की दूरी पर है।
इस सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने कहा कि उसने अस्पताल में हुई तोड़फोड़ पर अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर दी है। वहीं, सीबीआई ने मामले में अब तक की गई जांच को लेकर अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। बेंच सीलबंद लिफाफे में दाखिल सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट पर गौर कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई ने क्या कहा?
कोलकाता रेप मर्डर केस के मामले में सीबीआई की तरफ से वकील एसजी तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार सीबीआई से क्या छिपाना चाहती है। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दाखिल जवाब की कॉपी हमें नहीं मिली है। इस पर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि हमने कोर्ट में सिर्फ जवाब की कॉपी जमा की है, अभी तक सीबीआई को कॉपी नहीं दी है। उन्होंने कहा कि जब डॉक्टरों की हड़ताल के कारण अस्पताल में डॉक्टर काम नहीं कर रहे थे, तब इलाज के अभाव में 23 लोगों की मौत हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार से कहा कि हम अप्राकृतिक मौत के मामले में स्पष्टीकरण चाहते हैं। इस पर बंगाल सरकार ने कहा कि अप्राकृतिक मौत के मामले में थाने में दोपहर 2:55 बजे डायरी दर्ज हुई और डेथ सर्टिफिकेट दोपहर 1.47 बजे बना। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की आगे की जांच के लिए सीबीआई को एक सप्ताह का और समय दिया है।
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केंद्र सरकार 3 सितंबर को पहुंची सुप्रीम कोर्ट
केंद्र सरकार ने 3 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आरोप लगाया कि आरजी कर अस्पताल में तैनात केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के जवानों के लिए अपर्याप्त व्यवस्था की गई थी। सरकार ने इसे ममता बनर्जी सरकार का असहयोग का कृत्य बताया। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह राज्य के अधिकारियों को निर्देश दे कि वे सीआईएसएफ के साथ पूरा सहयोग करें और आदेश का पालन न करने पर राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ ‘जानबूझकर गैर-अनुपालन’ के लिए अवमानना कार्यवाही शुरू करें।
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